रणबीर फर्जी एनकाउंटर केस: 18 पुलिसकर्मी दोषी, 9 जून को सजा का एलान
नयी दिल्लीः 2009 में उत्तराखंड में एक फरजी मुठभेड़ में एक छात्र की गोली मारकर हत्या करने के सिलसिले में दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को 18 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया. सात को हत्या और अन्य को आपराधिक साजिश व अपहरण सहित विभिन्न अपराधों में दोषी ठहराया गया है.दिल्ली की एक अदालत ने देहरादून […]
नयी दिल्लीः 2009 में उत्तराखंड में एक फरजी मुठभेड़ में एक छात्र की गोली मारकर हत्या करने के सिलसिले में दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को 18 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया. सात को हत्या और अन्य को आपराधिक साजिश व अपहरण सहित विभिन्न अपराधों में दोषी ठहराया गया है.दिल्ली की एक अदालत ने देहरादून में 2009 में हुए रणबीर सिंह फर्जी एनकाउंटर केस में आज (शनिवार) फैसला सुरक्षित रख लिया है दोषियों के खिलाफ सजा का एलान 9 जून को किया जाएगा.
विशेष सीबीआइ न्यायाधीश जेपीएस मलिक ने छह उपनिरीक्षकों व एक कांस्टेबल को एमबीए छात्र रणबीर सिंह (22) की मुठभेड़ में जान लेने का दोषी ठहराया. हत्या के लिए दोषी ठहराये गये लोगों में उप निरीक्षक संतोष कुमार, गोपाल दत्त भट्ट (थाना प्रभारी), राजेश बिष्ट, नीरज कुमार, नितिन चौहान, चंद्रमोहन सिंह रावत एवं कांस्टेबल अजीत सिंह शामिल हैं. इस मामले में दोषी ठहराये गये अन्य पुलिसकर्मियों में कांस्टेबल सतबीर सिंह, सुनील सैनी, चंद्रपाल, सौरभ नौटियाल, नगेन्द्र राठी, विकास चन्द्र बलूनी, संजय रावत एवं मनोज कुमार तथा चालक मोहन सिंह राणा एवं इंद्रभान सिंह शामिल हैं.
जसपाल सिंह गोसाईं को किसी व्यक्ति को सजा से बचाने के लिए गलत रिकार्ड भरने के आरोप में दोषी ठहराया. लेकिन उसे अन्य सभी आरोपों से बरी कर दिय गया.
मामले पर एक नजर
सीबीआइ ने रणबीर सिंह मुठभेड मामले में इन आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था. यह मुठभेड़ 2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा सिंह पाटील की उत्तराखंड यात्रा के दौरान हुई थी. गाजियाबाद के रहने वाले एमबीए छात्र रणबीर को 3 जुलाई 2009 मोहिनी रोड से पकड़े जाने के बाद गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. छात्र को इस आरोप में पकड़ा गया था कि वह और उसके सहयोगी कोई अपराध करने का प्रयास करने वाले थे.