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केंद्रीय कैबिनेट ने ‘ट्रिपल तलाक” को अपराध बनाने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दी

नयी दिल्ली :केंद्रीय कैबिनेट ने फौरी तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने के लिए एक अध्यादेश को मंजूरी दी है. बुधवार को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से तीन तलाक की कुप्रथा पर पाबंदी लगाये जाने के बाद भी यह जारी है, जिसके कारण अध्यादेश […]


नयी दिल्ली :
केंद्रीय कैबिनेट ने फौरी तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने के लिए एक अध्यादेश को मंजूरी दी है. बुधवार को कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से तीन तलाक की कुप्रथा पर पाबंदी लगाये जाने के बाद भी यह जारी है, जिसके कारण अध्यादेश लागू करने की आवश्यकता पड़ी. एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रसाद ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह वोट बैंक की राजनीति के कारण राज्यसभा में लंबित ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक’ को पारित करने में सहयोग नहीं कर रही है. अध्यादेश का ब्योरा देते हुए उन्होंने कहा कि अपराध को संज्ञेय बनाने के लिए किसी महिला या उसके सगे रिश्तेदार को किसी पुलिस थाने में केस दाखिल करना होगा.

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उन्होंने कहा कि ऐसे अपराध के मामलों में किसी मजिस्ट्रेट के समक्ष समझौता भी हो सकता है, बशर्ते प्रभावित महिला इसके लिए रजामंद हो. प्रसाद ने पत्रकारों को बताया, ‘यह मेरा गंभीर आरोप है कि एक महिला की ओर से कांग्रेस की अगुवाई किए जाने के बाद भी उन्होंने विधेयक का समर्थन नहीं किया.’ तीन तलाक की प्रथा को ‘‘बर्बर और अमानवीय” करार देते हुए उन्होंने कहा कि करीब 22 देशों ने तीन तलाक का नियमन किया है. बहरहाल, वोट बैंक की राजनीति के कारण भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में लैंगिक न्याय की पूरी अनदेखी की गयी. उन्होंने कैबिनेट की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा, ‘मैं सोनिया जी से एक बार फिर अपील करूंगा कि लैंगिक न्याय की खातिर देशहित में यह अध्यादेश लाया गया है. मैं आपसे अपील करता हूं कि वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठकर महिलाओं के न्याय के हित में इसे पारित करने में मदद करें.’

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केंद्रीय मंत्री ने बसपा सुप्रीमो मायावती और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी से भी अपील की कि वे राज्यसभा में लंबित विधेयक को पारित कराने में मदद करें. राज्यसभा में मोदी सरकार के पास जरूरी संख्याबल की कमी है. लोकसभा पहले ही विधेयक पारित कर चुकी है. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल तीन तलाक की प्रथा पर पाबंदी लगा दी थी. लेकिन यह प्रथा अब भी जारी रहने के कारण इसे दंडनीय अपराध बनाने के लिए एक विधेयक लाया गया था.

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