नयी दिल्ली : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि राम मंदिर का निर्माण जल्द से जल्द होना चाहिए. साथ ही कहा कि अवैध और अनुचित तरीके से धर्मांतरण गलत है. तीन दिवसीय सम्मेलन के आखिरी दिन सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35-ए को स्वीकार नहीं करता है. ये अनुच्छेद जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देते हैं. उन्होंने राज्य के अधिक विकास की वकालत की. यह राज्य के लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए जरूरी है.
एक सवाल के जवाब में भागवत ने कहा कि हिंदुत्व के खिलाफ कोई गुस्सा नहीं है और इसकी स्वीकार्यता दुनियाभर में बढ़ रही है. महिलाओं की सुरक्षा और बलात्कार की बढ़ती घटनाओं से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि हमें ऐसा माहौल बनाना होगा जहां महिलाएं सुरक्षित महसूस करें. उन्होंने कहा कि पुरुषों को महिलाओं का सम्मान करना सीखना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि एलजीबीटीक्यू समुदाय को अलग-थलग नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि वे समाज का हिस्सा हैं. साथ ही समलैंगिकों के अधिकार ही एकमात्र ज्वलंत मुद्दा नहीं है जिसपर चर्चा की जानी चाहिए. भागवत ने कहा कि समय बदल रहा है और समाज को ऐसे मुद्दों पर फैसला करना चाहिए.
भागवत ने कहा कि संघ अंग्रेजी सहित किसी भी भाषा का विरोधी नहीं है, लेकिन इसे उचित जगह दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह किसी भारतीय भाषा का स्थान नहीं ले सकती. उन्होंने कहा, आपको अंग्रेजी समेत किसी भी भाषा का विरोधी नहीं होना चाहिए और इसे हटाया नहीं जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि हमारी अंग्रेजी के साथ कोई शत्रुता नहीं है. हमें कुशल अंग्रेजी वक्ताओं की जरूरत है. भागवत ने कहा, हमें एक ऐसी शिक्षा नीति की जरूरत है जो आधुनिक शिक्षा एवं हमारी परंपराओं का मिलाजुला रूप हो. संस्थान डिग्रियां तो दे रहे हैं, लेकिन अनुसंधान कार्य घट रहा है.
उन्होंने कहा कि आरएसएस के स्वयंसेवकों में अंतरजातीय विवाह बेहद आम बातहै. उन्होंने कहा कि आरएसएस के स्वयंसेवकों में अंतरजातीय विवाह बेहद आम बातहै. भागवत ने कहा, गौ रक्षा को लेकर कानून अपने हाथों में लेना अपराध है. उन्होंने कहा, गौ तस्करों द्वारा की गयी हिंसा पर कोई बातचीत नहीं होती, हमें ऐसे दोहरेपन को खारिज करना होगा.