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Aadhaar की वैधता पर बुधवार को फैसला सुना सकता है सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट बुधवार को कई महत्वपूर्ण मामलों में अपना फैसला सुना सकता है. इन मामलों में केंद्र की प्रमुख योजना आधार की वैधता, अदालती कार्यवाही का सीधे प्रसारण और अनुसूचित जाति-जनजाति कर्मचारियों की पदोन्नति में आरक्षण से जुड़े मामले शामिल हैं. केंद्र के महत्वपूर्ण आधार कार्यक्रम और इससे जुड़े 2016 के कानून […]

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट बुधवार को कई महत्वपूर्ण मामलों में अपना फैसला सुना सकता है. इन मामलों में केंद्र की प्रमुख योजना आधार की वैधता, अदालती कार्यवाही का सीधे प्रसारण और अनुसूचित जाति-जनजाति कर्मचारियों की पदोन्नति में आरक्षण से जुड़े मामले शामिल हैं. केंद्र के महत्वपूर्ण आधार कार्यक्रम और इससे जुड़े 2016 के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कुछ याचिकाओं पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट अपना महत्वपूर्ण फैसला सुना सकता है.

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प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 38 दिनों तक चली लंबी सुनवाई के बाद 10 मई को मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. मामले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश के एस पुत्तास्वामी की याचिका सहित कुल 31 याचिकाएं दायर की गयी थीं. सुप्रीम कोर्ट देश भर में अदालती कार्यवाही के सीधे प्रसारण या वीडियो रिकार्डिंग दिखाने की अनुमति देने संबंधी विभिन्न याचिकाओं पर बुधवार को अपना निर्णय सुना सकता है.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एमएम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने 24 अगस्त को इस मुद्दे पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था. पीठ का कहना है कि वह अदालतों में भीड़भाड़ को कम करने के लिए ‘खुली अदालत’ की परिकल्पना को लागू करना चाहती है. सुप्रीम कोर्ट उन याचिकाओं पर भी फैसला सुना सकता है, जिनमें अदालत के 2006 के आदेश पर पुनर्विचार के लिए सात सदस्यीय पीठ गठित करने का अनुरोध किया गया है.

वर्ष 2006 के फैसले में अजा-अजजा कर्मचारियों की नौकरी में पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देने के लिए कुछ शर्तें लगायी गयी थीं. इस मामले में प्रधान न्यायाधीश मिश्र की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ कल फैसला सुना सकती है. सु्प्रीम कोर्ट बुधवार को इस प्रश्न पर भी अपना निर्णय सुना सकता है कि अपीलीय अदालत द्वारा किसी अयोग्य ठहराये गये जनप्रतिनिधि की दोष सिद्धि पर लगायी गयी रोक से क्या सदन में उसकी सदस्यता बहाल हो जायेगी. प्रधान न्यायाधीश मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में गैर-सरकारी संगठन लोक प्रहरी ने याचिका दायर की थी.

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