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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 2004 से 2014 के बीच सबसे अधिक जीते क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले उम्मीदवार

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वर्ष 2004 से 2014 के बीच राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय चुनावों में साफ-सुथरी छवि वाले उम्मीदवारों की तुलना में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की जीत का प्रतिशत अधिक था. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात का जिक्र किया कि विधि आयोग की एक रिपोर्ट में इन आंकड़ों […]

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वर्ष 2004 से 2014 के बीच राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय चुनावों में साफ-सुथरी छवि वाले उम्मीदवारों की तुलना में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों की जीत का प्रतिशत अधिक था. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात का जिक्र किया कि विधि आयोग की एक रिपोर्ट में इन आंकड़ों का खुलासा हुआ है, जो इसके समक्ष पेश किया गया है. शीर्ष अदालत ने राजनीति को अपराधमुक्त करने पर अपना फैसला सुनाने के दौरान यह कहा.

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अदालत ने कहा कि विधि आयोग की 244वीं रिपोर्ट में दिये गये आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है कि साफ-सुथरी छवि वाले औसतन सिर्फ 12 फीसदी उम्मीदवारों ने जीत हासिल की. वहीं, जीतने वाले 23 फीसदी उम्मीदवारों की कुछ न कुछ प्रकार की आपराधिक पृष्ठभूमि थी. इसका यह मतलब है कि अपराध के मामलों में आरोपित उम्मीदवारों ने साफ-सुथरी छवि के उम्मीदवारों की तुलना में वास्तव में बेहतर प्रदर्शन किया.

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने रिपोर्ट का हवाला दिया. इसमें यह भी कहा गया है कि न सिर्फ राजनीतिक दल आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों का चयन करते हैं, बल्कि इस बारे में भी साक्ष्य हैं कि बेदाग जनप्रतिनिधि बाद में आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त हो गये. शीर्ष अदालत ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि राज्यों में उत्तर प्रदेश में 47 फीसदी विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं और इनमें से कई आरोपियों पर कई आपराधिक आरोप हैं.

अदालत ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश में एक विधानसभा क्षेत्र के विधायक पर हत्या के 14 मामले सहित 36 आपराधिक मामले दर्ज हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि नतीजतन यह प्रवृत्ति बन गयी है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को दूसरी बार भी टिकट दिया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2004 से 2014 के बीच राष्ट्रीय या राज्यस्तरीय चुनाव लड़े 18 फीसदी (62,847 में 11,063) उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित थे. रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा लोकसभा में 162 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं, जिनमें से करीब आधे (76) के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं.

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