समय से पहले विधानसभा भंग होने पर आचार संहिता तत्काल प्रभाव से लागू मानी जायेगी : चुनाव आयोग

नयी दिल्ली : चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि किसी भी राज्य में समय से पहले विधानसभा भंग होने के साथ ही चुनाव आचार संहिता तत्काल प्रभावी हो जायेगी और उस राज्य की कार्यवाहक सरकार नयी येाजनाओं की घोषणा नहीं कर सकती है. कुछ सप्ताह पहले तेलंगाना में विधानसभा को निर्धारित कार्यकाल (जून 2019) […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 27, 2018 7:56 PM

नयी दिल्ली : चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि किसी भी राज्य में समय से पहले विधानसभा भंग होने के साथ ही चुनाव आचार संहिता तत्काल प्रभावी हो जायेगी और उस राज्य की कार्यवाहक सरकार नयी येाजनाओं की घोषणा नहीं कर सकती है.

कुछ सप्ताह पहले तेलंगाना में विधानसभा को निर्धारित कार्यकाल (जून 2019) पूरा होने से पहले ही भंग किये जाने के परिप्रेक्ष्य में आयोग का यह निर्णय महत्वपूर्ण है. इसके तहत तेलंगाना में भी आयोग द्वारा गुरुवार को यह स्थिति स्पष्ट किये जाने के साथ ही आचार संहिता लागू मानी जायेगी. उल्लेखनीय है कि सामान्य तौर पर चुनाव आयोग द्वारा निर्वाचन कार्यक्रम घोषित किये जाने के दिन से ही चुनाव आचार संहिता लागू हो जाती है. यह चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक लागू रहती है. इस लिहाज से चुनाव कार्यक्रम घोषित होने से पहले ही किसी राज्य में आचार संहिता लागू होने का शायद पहला उदाहरण होगा.

आयोग ने गुरुवार को इस मामले में व्यवस्था से जुड़े प्रश्न पर स्थिति को स्पष्ट करते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडलीय सचिवालय और सभी राज्यों के मुख्य सचिव को स्पष्टीकरण भेजा है. इसमें कहा गया है कि समय से पहले विधानसभा भंग होने पर संबद्ध राज्य की कार्यवाहक सरकार के अलावा केंद्र सरकार भी उस राज्य से जुड़े मामलों में आचार संहिता से आबद्ध होगी.

आयोग ने आचार संहिता के प्रावाधानों का हवाला देते हुए कहा है कि इस तरह की स्थिति में संहिता के भाग सात के अनुसार राज्य में विधानसभा भंग होने के साथ ही आचार संहिता प्रभावी हो जाती है और चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक लागू रहती है. ऐसे में राज्य की कार्यवाहक सरकार और केंद्र सरकार संबद्ध राज्य के जुड़ी कोई नयी परियोजना की घोषणा नहीं कर सकेगी. आयोग ने कहा कि यह व्यवस्था उच्चतम न्यायालय के 1994 के उस फैसले के अनुरूप है जिसमें कार्यवाहक सरकार को सिर्फ सामान्य कामकाज करने का अधिकार होने का स्पष्ट प्रावधान किया गया है. ऐसी स्थिति में कार्यवाहक सरकार कोई नीतिगत फैसला नहीं कर सकती है. आयोग ने स्पष्ट किया कि ऐसे में गैर आधिकारिक उद्देश्यों के लिये आधिकारिक संसाधनों का इस्तेमाल सहित अन्य प्रतिबंध कार्यवाहक सरकार और केंद्र सरकार के मंत्रियों एवं अन्य अधिकारियों पर बाध्यकारी होंगे.

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