10 वर्ष में 2600 करोड रुपये खर्च करने के बावजूद नदियां प्रदूषित
नयी दिल्ली : गंगा, यमुना, गोदावरी समेत देश की विभिन्न नदियों के संरक्षण के लिए 10 वर्षो में 2600 करोड रुपये से अधिक धनराशि खर्च करने के बाद भी नदियों में प्रदूषण का स्तर चिंताजनक है. नरेन्द्र मोदी सरकार ने गंगा एवं अन्य नदियों को निर्मल बनाने की पहल की है हालांकि कुछ विशेषज्ञों का […]
नयी दिल्ली : गंगा, यमुना, गोदावरी समेत देश की विभिन्न नदियों के संरक्षण के लिए 10 वर्षो में 2600 करोड रुपये से अधिक धनराशि खर्च करने के बाद भी नदियों में प्रदूषण का स्तर चिंताजनक है.
नरेन्द्र मोदी सरकार ने गंगा एवं अन्य नदियों को निर्मल बनाने की पहल की है हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे नियमन या कानून बनाए जाएं जिससे राष्ट्रीय नदी गंगा से जुडे विषय केंद्र के प्रत्यक्ष नियंत्रण में आएं. गंगा को अविरल एवं निर्मल बनाने के लिए सरकार ने सचिवों की समिति बनाते हुए व्यापक खाका तैयार करने की पहल की है.
सूचना का अधिकार : आरटीआई : के तहत राष्ट्रीय नदी संरक्षण महानिदेशालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, साल 2000 से 2010 के बीच देश के 20 राज्यों में नदियों के संरक्षण पर बनी राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के तहत 2607 करोड रुपये जारी किये गए. इसके तहत वित्तवर्ष 2000.01 में 116.98 करोड रुपये, 2001.02 में 282.52 करोड रुपये, 2002.03 में 276.89 करोड रुपये, 2003.04 में 211.53 करोड रुपये, 2004.05 में 291.16 करोड रुपये, 2005.06 में 277.23 करोड रुपये, 2006.07 में 275.48 करोड रुपये , 2007.08 में 241.93 करोड रुपये, 2008.09 में 269.13 करोड रुपये और 2009.10 में 367.85 करोड रुपये जारी किये गए.
राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के दायरे में 20 राज्यों की 38 नदियां आती हैं. केंद्रीय जल संसाधन एवं गंगा पुनर्जीवन मंत्री उमा भारती ने कहा कि नरेन्द्र मोदी जब बनारस पहुंचे तब उन्होंने गंगा को निर्मल बनाने की सोच पेश की. इस विषय के महत्व को देखते हुए मोदी के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनने के बाद गंगा के विषय पर मंत्रालय में अलग विभाग बना दिया गया.
उमा भारती ने कहा कि इसके तहत योजनाबद्ध तरीके से न केवल गंगा की सफाई होगी बल्कि विकास, तीर्थाटन और आर्थिक विकास के केंद्र के रुप में इसे तैयार किया जायेगा. इस संबंध में चार मंत्रलयों के सचिवों को दायित्व सौंपा गया है. गंगा को आदर्श के रुप में पेश किया जायेगा और इस बारे में मापदंड अन्य नदियों पर भी लागू होंगे.बीएचयू के प्रो. बी डी त्रिपाठी ने कहा कि साल 2008 में गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया लेकिन अभी भी यह पांच राज्यों उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के तहत ही है. इन राज्यों का नदी जल का उपयोग और प्रबंधन से संबंधित अपना अपना नियमन है. इसलिए केंद्र सरकार को परियोजनाओं पर अमल करने में कठिनाई पेश आती है. उन्होंने कहा कि इस विषय पर नया नियमन या कानून बनाया जाना चाहिए ताकि गंगा का विषय सीधे केंद्र के अधीन आ जाए.
केंद्र सरकार ने गंगा को स्वच्छ बनाने की दिशा में अहम पहल करते हुए जन संसाधन, वन एवं पर्यावरण, पर्यटन, परिवहन एवं जहाजरानी मंत्रलयों के सचिवों को एक महीने में रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है. इसके तहत न केवल गंगा की सफाई होगी बल्कि गंगा में मालवाहक नौकाएं चलायी जायेंगी और तीर्थाटन के विकास के साथ पर्यटक स्थल भी तैयार किए जाएंगे.