1885 से चल रहा है राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद

अयोध्या के राममंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम सवाल पर अपना फैसला सुनाया. शीर्ष अदालत के फैसले के बाद अब इस मामले की सुनवाई में तेजी आयेगी. दरअसल, यह विवाद साल वर्ष 1885 से चला आ रहा है, जब एक महंत ने कोर्ट से िववादित भूमि के बाहर एक छत्र […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 28, 2018 7:29 AM

अयोध्या के राममंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम सवाल पर अपना फैसला सुनाया. शीर्ष अदालत के फैसले के बाद अब इस मामले की सुनवाई में तेजी आयेगी. दरअसल, यह विवाद साल वर्ष 1885 से चला आ रहा है, जब एक महंत ने कोर्ट से िववादित भूमि के बाहर एक छत्र बनाने की मांग की. उस वक्त कोर्ट ने मामला खारिज कर दिया था.

इसके 107 साल बाद छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया. इस मामले में आपराधिक केस के साथ-साथ दीवानी मुकदमा भी चला. जब टाइटल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई तो मुस्लिम पक्षकारों के वकील कपिल सिब्बल ने यह दलील देकर विवाद खड़ा कर दिया था कि सुनवाई में इतनी जल्दी क्यों है.

फैसले से दोनों वर्गों में उत्साह जल्द विवाद निबटने की उम्मीद

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लोगों में इस विवाद का हल जल्द निकलने की उम्मीद जगी है. आरएसएस ने कहा कि अब अयोध्या मसले पर जल्द न्यायोचित फैसला आने की उम्मीद है. मदनी जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैय्यद अरशद मदनी ने कहा कि मस्जिद में नमाज पढ़ने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है, उसका असर बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि केस पर नहीं पड़ेगा, क्योंकि अयोध्या विवाद मिल्कियत का केस है. सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस के पक्षकार मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि अयोध्या मसला मालिकाना हक का है. पूर्व में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आस्था को आधार बनाकर फैसला किया जिसको सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था.

इसलिए अब सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग है या नहीं इस पर पुराने फैसले को बरकरार रखा जिसका कोई असर अयोध्या मुकदमे पर नहीं पड़ेगा.

यह धार्मिक विवाद का मामला नहीं है. अयोध्या हिंदुओं का महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, क्योंकि यह राम जन्म भूमि है. मुस्लिमों के लिए यह धार्मिक स्थल नहीं है, क्योंकि उनका धार्मिक स्थल मक्का है. अब यह जमीन विवाद का मामला है.
उमा भारती, केंद्रीय मंत्री

मैंने कहा था कि अनुच्छेद 25 के तहत यह मेरा अधिकार है कि भगवान राम की जन्मभूमि पर मैं उनकी पूजा करूं. सुप्रीम कोर्ट ने मेरे लिए इसका रास्ता साफ किया है. मुझे उम्मीद है कि दीपावली से पहले राम जन्म भूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण शुरू हो जायेगा.
सुब्रमण्यन स्वामी , भाजपा नेता

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद साथ बैठे अयोध्या केस के पक्षकार, दी अपनी राय
महंत धर्मदास

महंत धर्मदास ने कहा कि समाज चाहता है जल्द मंदिर बने. हम पक्षकार हैं, इसलिए हमारा कहने का हक है कि नवंबर तक मंदिर पर फैसला दिया जाये.
इकबाल अंसारी

बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि हम भी चाहते हैं कि जितनी जल्द हो सके फैसला हो जाये. हम भी 70 साल से लड़ रहे हैं.
आचार्य सत्येंद्र दास

आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि जिन्हें यह शंका थी कि मंदिर के पक्ष में निर्णय हो सकता है, उन्हें इसे लंबित करने के लिए केस लाकर रख दिया.
प्रभात सिंह

महंत निर्मोही अखाड़ा के उत्तराधिकारी प्रभात सिंह ने कहा कि समझौते से बात हल हो जाये, हम ऐसा शुरू से चाहते हैं. हमने कई बार प्रयास भी किया.

133 साल से भी अधिक समय से चल रहा केस

1528 : बाबर के कमांडर मीर बाकी ने मस्जिद का निर्माण किया.

1885 : कोर्ट से विवादित भूमि के बाहर छत्र बनाने की अनुमति मांगी

1949 : मध्य गुंबद के नीचे राम लला की मूर्तियां रखी गयीं.

1986 : कोर्ट हिंदुओं के लिए स्थल को खोलने का आदेश दिया.

06 दिसंबर, 1992 : कारसेवकों ने विवादित ढांचा गिराया.

1993 : फारूकी समेत अन्य की याचिकाएं इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर.

24 अक्तूबर, 1994 : मस्जिद इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं : सुप्रीम कोर्ट

30 सितंबर, 2010 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राम लला, निर्मोही अखाड़े व वक्फ बोर्ड के बीच विवादित भूमि बांटने का आदेश दिया.

21 मार्च, 2017 : सीजेआई खेहड़ ने केस कोर्ट से बाहर निबटाने की सलाह दी.

07 अगस्त, 2017: 1994 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तीन जजों की पीठ.

20 नवंबर, 2017 : उप्र शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अयोध्या में मंदिर बनाया जा सकता है और लखनऊ में मस्जिद.

06 अप्रैल, 2018: 1994 के फैसले पर पुनर्विचार के लिए मामला बड़ी पीठ को भेजे जाने का आग्रह.

27 सितंबर, 2018 : सुप्रीम कोर्ट ने मामला पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजने से इन्कार किया.

अयोध्या दोनों पक्षों ने किया स्वागत
अदालत के फैसले का हम सब सम्मान करते हैं. इस फैसले में दो सकारात्मक बातें हैं. पहला, अयोध्या मामले की सुनवाई आस्था की बुनियाद पर नहीं होगी, स्वामित्व के विवाद के तौर पर होगी. दूसरा, इस्माइल फारूकी की अदालत का जो भी नजरिया था, उसका असर अयोध्या मामले पर नहीं पड़ेगा.
मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली, सदस्य, एआइएमपीबी

यह कतई भी मुस्लिम समाज के लिए झटका नहीं है. इसका मतलब है कि अब ट्रायल शुरू होगा. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गयी टिप्पणी 1994 के इस्माइल फारूकी केस के संबंध में है. मुझे लगता है कि कोर्ट का इतना कहना पर्याप्त है.
जफरयाब जिलानी, बाबरी मस्जिद एक्शन कमिटी

सर्वोच्च न्यायालय ने श्री राम जन्मभूमि के मुकदमे में तीन सदस्यीय पीठ के द्वारा 29 अक्तूबर से सुनवाई का निर्णय किया है, इसका हम स्वागत करते हैं. हम विश्वास करते हैं कि शीघ्रातिशीघ्र मुकदमे का न्यायोचित निर्णय होगा.
अरुण कुमार, आरएसएस

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत है. अब जल्द ही अयोध्या विवाद का भी हल निकलेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोनों पक्षों को बुलाकर समझौते का प्रयास करना चाहिए, इससे हल निकल सकता है.
हाजी महबूब, पक्षकार

कोर्ट ने सही फैसला दिया है. राम मंदिर पर फैसला जल्द ही होगा. अब 2019 के पहले राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जायेगा. सबसे बेहतर होगा, जब दोनों पक्षों में आपसी सहमति बन जाये. इसके लिए वह प्रयास कर रहे हैं.
डॉ राम विलास वेदांती, जन्मभूमि न्यास के सदस्य

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