जीएसटी के तहत ‘आपदा कर” के तौर-तरीकों पर विचार करेगी सुशील मोदी समिति
नयी दिल्ली : सरकार ने प्राकृतिक आपदा और किसी विपत्ति की स्थिति में अतिरिक्त राजस्व जुटाने को लेकर सोच-विचार करने और जरूरी सुझाव देने के वास्ते बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार को सात सदस्यीय मंत्री समूह गठित किया है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि मंत्री समूह 31 अक्तूबर […]
नयी दिल्ली : सरकार ने प्राकृतिक आपदा और किसी विपत्ति की स्थिति में अतिरिक्त राजस्व जुटाने को लेकर सोच-विचार करने और जरूरी सुझाव देने के वास्ते बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार को सात सदस्यीय मंत्री समूह गठित किया है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि मंत्री समूह 31 अक्तूबर तक माल एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा.
इससे पहले दिन में वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में शुक्रवार को यहां हुई जीएसटी परिषद की बैठक में आपदा कर लगाने के बारे में सुझाव देने के लिये मंत्री समूह बनाने का निर्णय लिया गया था. मंत्री समूह के गठन का फैसला आपदा प्रभावित केरल जैसे राज्यों में पुनर्वास कार्यों के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने को नया कर लगाने के बारे में लिया गया. सुशील मोदी की अध्यक्षता में गठित मंत्री समूह में असम के वित्त मंत्री हेमंत विश्व शर्मा, केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक और पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल शामिल हैं. इसके अन्य सदस्यों में ओडिशा के वित्त एवं आबकारी मंत्री शशि भूषण बेहेरा, महाराष्ट्र के वित्त एवं आबकारी मंत्री सुधीर मुर्गंतिवर और उत्तराखंड के वित्तमंत्री प्रकाश पंत भी शामिल हैं.
केरल ने जीएसटी परिषद की बैठक में राज्य को अतिरिक्त राजस्व जुटाने के वासते अतिरिक्त कर लगाये जाने की अनुमति देने की मांग की थी. जीएसटी परिषद ने केरल की मांग पर ही मंत्रिसमूह का गठन करने का फैसला किया जिसकी देर शाम घोषणा कर दी गयी. मंत्री समूह पांच मुद्दों पर गौर करेगा. क्या यह नया कर केवल राज्य के भीतर लगेगा या फिर यह पूरे देश में लगना चाहिए. यह कर कुछ खास लक्जरी सामान पर लगे अथवा केवल अहित कर सामान पर लगाया जाना चाहिए. इसके अलावा जीएसटी के तहत इस प्रकार के कर की वैधानिकता को भी परखा जायेगा. समूह यह भी देखेगा कि राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष, राज्य आपदा मोचन कोष प्रणाली इस प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिये काफी है. वह उन परिस्थितियों को भी परिभाषित करेगा जहां ‘अपादा कर’ लगाया जा सकता है.