नयी दिल्ली: किसान क्रांति पदयात्रा के तहत हरिद्वार से दिल्ली के लिये कूच करने वाले प्रदर्शनकारी किसानों ने बुधवार तड़के यहां किसान घाट पर अपना मार्च समाप्त कर दिया. पुलिस ने बताया कि इससे पहले दिल्ली पुलिस ने मंगलवार की मध्य रात्रि के बाद बैरिकेड हटा दिया और किसान क्रांति पदयात्रा के दौरान रोके गये किसानों को दिल्ली में प्रवेश और किसान घाट की ओर जाने की अनुमति दे दी.
किसान अपने ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों पर सवार होकर राष्ट्रीय राजधानी में घुसे और किसान घाट की ओर बढ़े. वहां बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था. कृषि ऋण माफी से लेकर ईंधन की कीमतों में कटौती समेत विभिन्न मांगों को लेकर हजारों किसानों ने मंगलवार को दिल्ली की तरफ कूच किया था. इससे दिल्ली की ओर आने वाली सड़कों पर यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ था.
राष्ट्रीय राजधानी की ओर से आने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर किसानों का हुजूम उमड़ पड़ा था. वे पूर्वी उत्तर प्रदेश में गोंडा, बस्ती और गोरखपुर तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आए थे. पुलिस ने उत्तर प्रदेश से लगी दिल्ली की सीमा को सील कर दिया था. निषेधाज्ञा लगाते हुए पांच या उससे अधिक लोगों के एक जगह एकत्र होने, एंप्लीफायर, लाउडस्पीकरों और इस तरह के उपकरणों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गयी थी. किसान क्रांति पदयात्रा 23 सितंबर को हरिद्वार में टिकैत घाट से शुरू हुई थी. इसमें उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से किसान शामिल हुए थे. किसान पैदल, बस और ट्रैक्टर ट्रॉली में सवार होकर पहुंचे थे. उनके हाथों में भारतीय किसान संघ (भाकियू) के बैनर थे. भाकियू ने कई मांगों को लेकर मार्च का आह्वान किया था.
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देर रात खोले गये बैरियर
दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा पर हजारों की संख्या में किसान पुलिस के साथ झड़प और अपने खिलाफ बल प्रयोग के बावजूद मांगों को लेकर डेरा डाले हुए थे लेकिन अंत में आखिरकार जीत किसानों की हुई. किसानों के लिए खुशी की खबर बीती रात करीब 12:30 बजे आयी जब पुलिस ने बैरियर खोल दिये और किसानों को दिल्ली में प्रवेश की इजाजत दे दी. ‘किसान क्रांति यात्रा’ पर निकले किसानों के बीच अचानक बैरियर खुलने की खबर फैली और उनके चेहरे पर मुस्कान आ गयी.
सड़कों पर ही बना लिया बिस्तर
गौर हो कि किसान पुलिस के साथ झड़प और अपने खिलाफ बल प्रयोग के बावजूद मांगों को लेकर डेरा डाले हुए थे. यहां तक कि किसानों ने अपनी मांगों के संबंध में सरकार की ओर से दिये गये आश्वासनों पर भी भरोसा करने से इंकार कर दिया था. किसानों के प्रदर्शन के खिलाफ मंगलवार को बल प्रयोग के दौरान पुलिस के कुछ अधिकारी भी घायल हुए हैं. रात होते-होते प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर ही अपने बिस्तर बिछा लिया और सोने का उपक्रम शुरू कर दिया. वहीं पुलिस गश्त पर तैनात थी.
विपक्ष का हमला
प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में विपक्ष ने मोदी सरकार पर किसानों के खिलाफ ‘क्रूर पुलिस कार्रवाई’ का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि गांधी जयंती के अवसर पर किसान शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने के लिए राजघाट जाना चाहते थे. वहीं पुलिस का कहना है कि उन्होंने भीड़ को तितर-बितर करने और दिल्ली में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए हल्का बल प्रयोग किया.
आप भी जानें क्या है किसानों की मांगे
किसान 60 साल की आयु के बाद पेंशन देने की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा पीएम फसल बीमा योजना में बदलाव करने की मांग, गन्ना की कीमतों का जल्द भुगतान, किसान कर्जमाफी, सिंचाई के लिए बिजली मुफ्त, किसान क्रेडिट कार्ड पर ब्याज मुक्त लोन, आवारा पशुओं से फसल का बचाव, सभी फसलों की पूरी तरह खरीद की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा किसान स्वामीनाथन कमिटी की रिपोर्ट को लागू करने की भी मांग पर अड़े हुए हैं. किसान की मांगों में एक गन्ने की कीमतों के भुगतान में देरी पर ब्याज देने की मांग भी है.