मुंबई : महाराष्ट्र सरकार ने बारिश, फसल की स्थिति और भूजल स्तर का आधुनिक प्रौद्योगिकी की मदद से विश्लेषण करने के लिये एक वेबसाइट और एक ऐप्लीकेशन शुरू किया है. पुनर्वास एवं राहत मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने शुक्रवार को यहां वेबसाइट ‘महा मदत’ के उद्घाटन के बाद कहा कि यह साइट राज्य के गांवों में सूखे जैसी स्थिति के सटीक विश्लेषण में मदद करेगी. राहत एवं पुनर्वास मंत्रालय ने महाराष्ट्र रिमोट सेंसिंग ऐप्लीकेशन सेंटर (एमआरएसएसी) की मदद से इस वेबसाइट का निर्माण कराया है.
पाटिल ने कहा कि 2016 में केन्द्र सरकार ने किसी इलाके को सूखा घोषित करने के लिये मानदंड तय किये थे. इसके अनुसार किसी इलाके को सूखा तभी घोषित किया जाता है जब वहां लगातार 21 दिन तक बारिश नहीं हो.
इसके अलावा मिट्टी की नमी, फसल की स्थिति, भूजल स्तर के अध्ययन पर विचार करने के बाद ही उस इलाके को सूखा क्षेत्र घोषित किया जाता है. पाटिल ने कहा, ‘वेबसाइट पर जानकारियां एकत्र की जायेंगी और उनका विश्लेषण भी किया जायेगा. यह सूखा प्रभावित या सूखे जैसी स्थिति का सामना करने वाले किसी गांव को सूखाग्रस्त घोषित करने के लिये सटीक फैसला लेने में मदद करेगा.’
उन्होंने कहा, ‘इसके परिणाम स्वरूप लोगों को तत्काल सहायता मिल पायेगी.’ उन्होंने कहा कि सूखा से संबंधित केन्द्र के पहले मानदंड के अनुसार राज्य में 201 तालुकाओं में लगातार 21 दिन तक बारिश नहीं हुई.
उन्होंने बताया, ‘दूसरे मानदंड का अध्ययन किया जा रहा है और इसे जल्द पूरा कर लिया जायेगा तथा रिपोर्ट सोमवार को उपलब्ध होगी.’ उन्होंने बताया, ‘इसके बाद जो तालुकाएं इन मानदंडों को पूरा करती हैं उन्हें सूखे जैसी स्थिति से प्रभावित घोषित कर दिया जायेगा और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिये इन गांवों में विभिन्न उपाय किये जायेंगे.’