Loading election data...

चौंकना मना है : भारत के इस राज्य में बिना दुकानदार के चलती है दुकान

आइजोल : भारत जहां की राजनीतिक फिजां में जहां अभी घोटालों की चर्चा आम है, वहां अगर ईमानदारी और इंसानियत की बात की जाये, तो यह बेमानी-सी लगती है. यह जानकर आप चौंक जायेंगे कि भारत के एक राज्य में बिना दुकानदार ही दुकानें चलतीहैं. ईमानदारी के लिए महाराष्ट्र के नासिक जिला स्थित शनि सिंगनापुर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 6, 2018 2:29 PM

आइजोल : भारत जहां की राजनीतिक फिजां में जहां अभी घोटालों की चर्चा आम है, वहां अगर ईमानदारी और इंसानियत की बात की जाये, तो यह बेमानी-सी लगती है. यह जानकर आप चौंक जायेंगे कि भारत के एक राज्य में बिना दुकानदार ही दुकानें चलतीहैं. ईमानदारी के लिए महाराष्ट्र के नासिक जिला स्थित शनि सिंगनापुर भी प्रसिद्ध है. वहां घरों में ताला नहीं लगाया जाता.

पग-पग पर सीसीटीवी और सुरक्षाकर्मियों वाले माॅल कल्चर में सेल्फ सर्विस की संस्कृतिअपनेदेश में विकसित हो रही है. वैसी स्थिति में किसी गांव में बिना किसी दुकानदार के दुकान की बात थोड़ी अटपटी लगती है. मगर, यह सौ फीसदी सही है.

पूर्वोत्तर भारत का एक राज्य है मिजोरम. इस राज्य की राजधानी आइजोल से करीब 65 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे नघा लोउ दावर नामक गांव है. यहां राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे कुछ दुकानें बनायी गयी हैं, जिसे संचालित करने के लिए वहां कोई दुकानदार नहीं होता. ये दुकानें पूरी तरह ईमानदारी और लोगों के भरोसे पर चलती हैं.

दरअसल, सड़क किनारे लगने वाली ये दुकानें वहां के सीमांत किसानों की है, जिन्हें दुकान चलाने के अलावा खेती-बाड़ी का भी काम करना होता है. खेती-बाड़ी का काम संभालने के लिए खेत पर जाने से पहले ये किसान छोटी मछलियों, सब्जी, फलों और फलों के रसों को टोकरियों में सजाकर रख देते हैं. फलों के रस बोतल में बंद होते हैं, जबकि अन्य वस्तु पोटली या ढेरी करके रखी रहती है.

जरूरतमंद गांव या ग्रामीण इलाके के लोग या पर्यटक जब इन दुकानों पर आते हैं, तो अपनी जरूरत की चीजों को लेकर कीमत वहां रखे कटोरे या बाॅक्स या फिर वहां की स्थानीय भाषा में कही जाने वाली पविसा दहना में रख देते हैं.

दुकानदार वस्तु की कीमतें एक तख्त या स्लेट पर कोयले या चॉक से लिख देता है और खरीदार अपनी जरूरत का सामान लेकर दाम उसी पविसा दहना में रख देता है. शाम को जब दुकानदार या सीमांत किसान खेत से लौटता है, तब अपने नफा-नुकसान का हिसाब कर लेता है.

Next Article

Exit mobile version