नयी दिल्ली : आज आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह दिल्ली में व्याप्त बिजली संकट को संभाल नहीं पा रही है और यह बताने में जुटी है कि यह पिछली सरकारों की कारगुजारियों का नतीजा है.
सच तो यह है कि वह परिस्थिति से निपटने में समर्थ नहीं है और यह मोदी सरकार की विफलता है. मोदी ने उक्त बातें ट्वीट करके कही, वहीं कांग्रेस नेता अमरेंदर सिंह लवली ने प्रेस कॉफ्रेंस करके बिजली मंत्री पीयूष गोयल के आरोपों का जवाब दिया. गौरतलब है कि आज दिल्ली में व्याप्त बिजली संकट पर मंत्री पीयूष गोयल ने उप-राज्यपाल और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की और दावा किया कि 10-14 दिनों में स्थिति में सुधार होगा. दिल्ली की उक्त स्थिति के लिए उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों को जिम्मेदार ठहराया है.
आज जिस प्रकार अरविंद केजरीवाल और अमरेंदर सिंह ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है, उससे इस बात को और बल मिला है कि अब ये दोनों एक साथ दिल्ली की कुर्सी पर हक जमाना चाह रहे हैं. केजरीवाल ने तो यहां तक कहा कि भाजपा न तो स्थिति संभाल पा रही है और न ही दिल्ली में सरकार बनने दे रही है.
नयी दिल्ली में सरकार बनाने का मौका मिलने के बाद अपनी सरकार खुद कुर्बान करने वाले अरविंद केजरीवाल एक बार दिल्ली में सरकार बनाने की जुगत भिड़ा रहे हैं. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी को एकजुट करने में जुटे हैं.
वे पार्टी छोड़कर गयीं शाजिया इल्मी को वापस पार्टी में लाना चाहते हैं. सरकार गठन को लेकर आप के एक वरिष्ठ नेता ने कांग्रेस विधायकों से मुलाकात की है. हालांकि पार्टी अभी सरकार बनाने को एकमत नहीं है, लेकिन पार्टी के कुछ लोग यह चाहते हैं कि दिल्ली में सरकार बनायी जाये. लेकिन अभी यह तय नहीं हो पाया है कि आखिर सरकार बनेगी कैसे? गौरतलब है कि पिछले वर्ष दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था.
भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, लेकिन बहुमत से दूर थी, तब 28 सीट जीतने वाली आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनायी थी, हालांकि चुनाव से पहले अरविंद केजरीवाल ने अपने बच्चों की कसम खायी थी कि वे कांग्रेस से समर्थन नहीं लेंगे. लेकिन जनलोकपाल बिल को लेकर अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की किरकिरी हो जाने के बाद दोनों पार्टियां अभी चुनाव में नहीं जाना चाहतीं हैं. लोकसभा चुनाव में दिल्ली के सभी सात सीट पर भाजपा को विजयी मिली है, ऐसे में दोनों पार्टियां सत्ता सुख भोगने के लिए तिकड़म भिड़ा रहीं हैं और यह भी संभव है कि वे दिल्ली में सरकार बना लेंगे.