स्कूल में हिंदू-मुस्लिम बच्चों को अलग-अलग बैठाने के मामले में शिक्षक निलंबित, जांच के आदेश

नयी दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी के एक प्राथमिक विद्यालय में हिंदू और मुस्लिम छात्रों को अलग-अलग कक्षाओं में बैठाने को लेकर उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) ने स्कूल प्रभारी को निलंबित कर दिया है. वहीं, दिल्ली सरकार ने मामले की जांच के आदेश दियेहैं. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी मामले में रिपोर्ट तलब की है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 10, 2018 10:28 PM

नयी दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी के एक प्राथमिक विद्यालय में हिंदू और मुस्लिम छात्रों को अलग-अलग कक्षाओं में बैठाने को लेकर उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) ने स्कूल प्रभारी को निलंबित कर दिया है. वहीं, दिल्ली सरकार ने मामले की जांच के आदेश दियेहैं. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी मामले में रिपोर्ट तलब की है.

एनडीएमसी के शिक्षकों के एक वर्ग ने आरोप लगाया है कि वजीराबाद के प्राथमिक स्कूल में हिंदू और मुस्लिम छात्रों को अलग-अलग कक्षाओं में बैठाया जा रहा है. भाजपा शासित एनडीएमसी ने अपनी शुरुआती जांच में आरोपों को सही पाया और स्कूल प्रभारी को निलंबित करने का आदेश दिया.

निगम ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे ‘अकल्पनीय’ और ‘अक्षम्य’ करार दिया है. उत्तरी नगर निगम के आयुक्त मधुप व्यास ने कहा, ‘मुझे मेरे अधिकारियों ने आरोपों के बारे में जानकारी दी. हमने आरोपों की जांच करने का फैसला किया और दुर्भाग्य से यह आरोप सही पायेगये. हमने तुरंत प्रभाव से स्कूल के प्रभारी को निलंबित कर दिया है.’

आयुक्त ने घटना को ‘बेतुका’ और ‘अक्षम्य’ बताते हुए कहा कि यह बहुलतावादी समाज की संरचना के खिलाफ है. एनडीएमसी के शिक्षा निदेशक एचके हेम ने बताया कि जुलाई में स्कूल के प्रधानाचार्य का तबादला कर दिया गया था, जिसके बाद शिक्षक सीबी सिंह सेहरावत को स्कूल का प्रभारी बनाया गया था.

उन्होंने बताया कि आरोपों की जांच के लिए बुधवार को तीन सदस्य समिति भेजीगयी थी, आयुक्त ने कहा, ‘हमारी जांच के दौरान, यह पाया गया कि स्कूल प्रभारी ही था, जिसने (छात्रों को) अलग-अलग कक्षाओं में बैठाना शुरू किया. ये बच्चे गरीब पृष्ठभूमि से आते हैं और इस तरह के कृत्यों से उन पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकते हैं. हम ऐसी चीजें बर्दाश्त नहीं करेंगे. यह अक्षम्य है.’

जांच में दोषी पाये गये स्कूल के प्रभारी

उत्तर दिल्ली के मेयर आदेश गुप्ता ने कहा कि शुरुआती जांच में स्कूल का प्रभारी दोषी पाया गया है. गुप्ता ने कहा, ‘उत्तरी दिल्ली नगर निगम के स्कूलों में जाति, समुदाय या धर्म के आधार सामाजिक विभाजन को स्वीकार नहीं किया जायेगा. एनडीएमसी संविधान की भावना का अनुसरण करती है. इस तरह का विभाजन चलन में पाया जाता है, तो इसे तुरंत सुधारा जायेगा और दोषी पाये गये लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी.

बाल संरक्षण आयोग ने स्कूल को भेजा नोटिस

दिल्ली बाल संरक्षण आयोग ने एनडीएमसी द्वारा संचालित स्कूल के प्रभारी को नोटिस जारी कर छात्रों को धर्म के आधार पर अलग- अलग बैठाने का कारण पूछा है. आयोग ने कहा कि इस तरह से अलग-अलग बैठाने का प्रभाव बच्चों की समग्र शिक्षा और विकास पर पड़ सकता है. साथ में यह देश के सामाजिक ताने-बाने पर भी नकारात्मक असर डाल सकता है.

सिसोदिया ने कहा : संविधान के खिलाफ साजिश

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, ‘मामला बहुत गंभीर है. यह देश के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा सकता है. यह संविधान के खिलाफ साजिश है. मैंने शिक्षा विभाग के निदेशक से मामले की जांच करने और शुक्रवार तक रिपोर्ट देने को कहा है.’ वहीं, मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पत्रकारों से कहा, ‘हमें अब तक कोई शिकायत नहीं मिली है. लेकिन, हमने मीडिया की खबर को पढ़ा है. मैंने रिपोर्ट मांगी है.’

स्कूल में पढ़ते हैं 700 विद्यार्थी

हेम ने कहा कि स्कूल में करीब 700 छात्र हैं. विद्यालय में लड़कियों के मुकाबले लड़के ज्यादा हैं. उन्होंने कहा, ‘यह हैरान कर देने वाली चीज है. अपने पूरे कैरियर में मैंने इस तरह का कुछ भी कभी नहीं देखा है. अब हम अन्य स्कूलों में निरीक्षण करेंगे. अगर कोई दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी.’ हेम ने कहा, ‘सहरावत अब विभागीय जांच का सामना करेगा, जो एक हफ्ते में शुरू होगी और अगर वह जांच में दोषी पाया जाता है, तो उसकी सेवा को समाप्त किया जा सकता है.’

एनडीएमसी के वजीराबाद इलाके में पड़ता है. यह इलाका नगर निकाय के सिविल लाइंस जोन के तहत आता है. दिल्ली के नगर निगम के सभी स्कूल प्राथमिक हैं. नगर निगम के अन्य स्कूल के शिक्षकों ने घटना पर हैरानी जतायी है.करोल बाग के एक नगर निगम स्कूल में शिक्षक ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, ‘एक बच्चे की संतुलित वृद्धि के लिए स्कूलों को राजनीति से दूर रखना चाहिए तथा धर्म और जाति का जिक्र नहीं करना चाहिए. जब एक छात्र स्कूल में प्रवेश करता है, तो वह न तो हिंदू होता है, न मुसलमान, न सिख और न ही ईसाई. वह एक भारतीय होता है और इसी तरह हमें उन्हें पढ़ाना चाहिए.’

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