अगले 48 घंटे में ठप हो सकती है इंटरनेट सेवा
नयी दिल्ली : अगले 48 घंटे में वैश्विक स्तर पर इंटरनेट सेवाएं कुछ समय के लिए ठप हो सकती हैं. हालांकि इंटरनेट यूजर्स पर इसका आंशिक असर ही होगा. ऐसे यूजरों की संख्या विश्व में 3.6 करोड़ यानी 01 फीसदी तक हो सकती है. मतलब करीब 99 फीसदी लोग इससे प्रभावित नहीं होंगे. रूस के […]
नयी दिल्ली : अगले 48 घंटे में वैश्विक स्तर पर इंटरनेट सेवाएं कुछ समय के लिए ठप हो सकती हैं. हालांकि इंटरनेट यूजर्स पर इसका आंशिक असर ही होगा. ऐसे यूजरों की संख्या विश्व में 3.6 करोड़ यानी 01 फीसदी तक हो सकती है. मतलब करीब 99 फीसदी लोग इससे प्रभावित नहीं होंगे. रूस के अखबार रशिया टुडे के मुताबिक, सभी डोमेन सर्वर का नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर दुरुस्त किया जाना है.
ऐसे में कुछ समय तक वेबसाइट खोलने में परेशानी हो सकती है. टेक विशेषज्ञों के मुताबिक, इसके मद्देनजर यह आशंका जतायी जा रही है कि दुनिया के मुख्य डोमेन सर्वर में डॉट काम, डॉट इन, डॉट ओआरजी आदि से जुड़ी वेबसाइट डाउन रह सकती हैं.
आइसीएएनएन का दावा, आंशिक ही होगा असर : इंडियन एक्सप्रेस डॉट कॉम के मुताबिक इंटरनेट कॉर्पोरेशन ऑफ असाइंड नेम्स एंड नंबर्स (आइसीएएनएन)ऑर्गेनाइजेशन ने स्पष्ट किया है कि रूट की साइनिंग की (केएसके) रोल ओवर चल रहा है. लिहाजा इसका दुनियाभर में न्यूनतम प्रभाव होगा.
दरअसल, साइबर सिक्यूरिटी के मद्देनजर क्रिप्टोग्राफिक मेंटेनेंस की घोषणा इस साल अगस्त में ही की गयी थी. शुक्रवार को इंटरनेट बंद होने की खबर तेजी से वायरल होने लगी थी, जिसके बाद आइसीएएनएन ने इस पर स्पष्टीकरण दिया कि इसका असर लगभग ना के बराबर पड़ेगा.
पूरे विश्व में 3.6 करोड़ यूजर्स को होगी दिक्कत : कम्युनिकेशंस रेगुलेटरी अथॉरिटी (सीआरए) ने स्पष्ट किया कि इंटरनेट शटडाउन से पूरी दुनिया के महज उन्हीं यूजर्स को दिक्कत हो सकती है,जिनके नेटवर्क ऑपरेटर और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर इस बदलाव के लिए तैयार नहीं होंगे.इनकी संख्या करीब 3.6 करोड़ होगी.
इस तरह की आ सकती है दिक्कत : अगर कोई इंटरनेट यूजर्स पुरानी आइएसपी इस्तेमाल कर रहा है, तो उसे इंटरनेट ऐक्सेस करने में एरर मिल सकता है. पेज स्लो लोड हो सकते हैं. पुराने सर्विस प्रोवाइडर्स के यूजर्स का इंटरनेट पूरी तरह से ब्लॉक हो सकता है. ट्रांजैक्शन में भी परेशानी हो सकती है.
क्यों जरूरी हुआ मेंटेनेंस
दरअसल, साइबर हमलों का असर रोकने के लिए ‘आइसीएएनएन’ मेंटेनेंस के दौरान क्रिप्टोग्राफिक-की में भी बदलाव करेगा. इससे इंटरनेट एड्रेस बुक और डोमेन नेम सिस्टम की सुरक्षा प्रणाली ज्यादा मजबूत होगी. साइबर हमलों से बचने के लिए यह काफी जरूरी कदम है. क्रिप्टोग्राफिक की डोमेन नेम सिस्टम यानी डीएनएस को प्रोटेक्ट करने में मदद करती है. इसे इंटरनेट ऐड्रेस भी कहा जाता है.