क्या मोदी सरकार में फूटने लगे हैं विरोध के स्वर?

-रजनीश आनंद- नयी दिल्ली : नरेंद्र मोदी भारतीय राजनीति के ऐसे राजनेता हैं, जिनके उदय में उनकी टीम का काफी हाथ माना जाता है. इस टीम में वैसे लोग शामिल हैं, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी उनका साथ दिया. जब मोदी की कट्टर छवि के कारण भाजपा के शीर्ष नेता उन्हें प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 11, 2014 2:08 PM

-रजनीश आनंद-

नयी दिल्ली : नरेंद्र मोदी भारतीय राजनीति के ऐसे राजनेता हैं, जिनके उदय में उनकी टीम का काफी हाथ माना जाता है. इस टीम में वैसे लोग शामिल हैं, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी उनका साथ दिया. जब मोदी की कट्टर छवि के कारण भाजपा के शीर्ष नेता उन्हें प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करने का विरोध कर रहे थे, उस वक्त भी मोदी की टीम उनके साथ थी.

मोदी की इस टीम में ऐसे लोग थे, जो मोदी के समर्थक थे, उनकी रणनीति को समझते थे और इस कोशिश में थे कि मोदी क्षेत्रीय राजनीति को छोड़कर राष्ट्रीय राजनीति का हिस्सा बने. इसके लिए उन्होंने उनकी खूब वकालत की. ऐसे ही नेताओं में शुमार हैं भाजपा से निष्कासित और वरिष्ठ अधिवक्ता रामजेठमलानी. रामजेठमलानी ने हमेशा मोदी की वकालत की. सुब्रह्मण्यम स्वामी और जनरल वीके सिंह को भी हम मोदी समर्थकों में जगह दे सकते हैं. मधु किश्वर जैसी प्रबुद्ध महिला ने तो मोदी के समर्थन में एक अभियान सा चला दिया था.

लेकिन जब से मोदी सरकार बनी है, ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मोदी की टीम बिखरती जा रही है. मधु किश्वर जैसी प्रबल मोदी समर्थक ने स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय दिये जाने पर उनकी योग्यता पर प्रश्नचिह्न उठाये. आज भी मधु किश्वर ने यह ट्वीट किया है कि अरुण जेटली और स्मृति ईरानी जैसे बिना जनाधार वाले लोगों को सरकार में जगह मिलना, अनोखा फैसला है. हालांकि उन्होंने वीके सिंह की इसलिए वकालत की, क्योंकि उनके पास व्यापक जनाधार है और वे भारी मतों से विजयी होकर आये हैं.

वहीं सुब्रह्मण्यम स्वामी ने यहां तक कह दिया कि यही गलती दुर्योधन ने की थी, उन्होंने नारायणी सेना तो ली,लेकिन नारायण को छोड़ दिया. साथ ही उन्होंने ट्विटर पर यह भी लिखा कि शकुनि की सलाह पर दुर्योधन ने पांडवों को पांच गांव नहीं दिये और अंतत: अपना सबकुछ गंवा दिया.मोदी कैबिनेट पर टिप्पणी करते हुए रामजेठमलानी ने कहा कि मोदी ने अपने शत्रुओं को भी कैबिनेट में जगह दी, जबकि उक्त नेता हमेशा से मोदी को पीछे रखना चाहते थे.

वहीं आज वीके सिंह ने अपने ट्वीट में कहा कि उन्होंने दलबीर सुहाग सिंह के खिलाफ जो कार्रवाई की थी वह बिलकुल सही थी. वीके सिंह का यह बयान सरकार के उस निर्णय के प्रति विरोधाभास प्रकट करता है, जिसमें रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि जनरल दलबीर सुहाग सिंह की नये सेना प्रमुख के तौर पर नियुक्ति बिलकुल सही है और विवाद को न बढ़ाया जाये.

मोदी सरकार के गठन के बाद उक्त बयानबाजी काफी महत्व रखती है, क्योंकि जिस एकजुटता के साथ यह सरकार बनी है, अगर वह एकजुटता ही सरकार में नहीं रहेगी, तो सरकार चलेगी कैसे. अब मोदी के सामने यह चुनौती है कि वे अपनी टीम को एकसाथ रखें और कोई ऐसी गलती न करें, जिससे उनकी टीम बिखर जाये.

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