मोदी ने अपने भाषण में गरीबों के ”अच्छे दिन” पर दिया जोर
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि उनकी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता गरीबों का उन्नयन होगी. सरकार सुनिश्चित करेगी कि देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ 2022 तक देश के हर परिवार के पास पक्का मकान हो, जिसमें बिजली, पानी और शौचालय हो. हिन्दुत्व की छवि के लिए जाने जाने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र […]
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि उनकी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता गरीबों का उन्नयन होगी. सरकार सुनिश्चित करेगी कि देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ 2022 तक देश के हर परिवार के पास पक्का मकान हो, जिसमें बिजली, पानी और शौचालय हो.
हिन्दुत्व की छवि के लिए जाने जाने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज मुसलमानों के सशक्तीकरण की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा कि हमें स्थिति में बदलाव लाना होगा क्योंकि अगर समाज का एक अंग दुर्बल हो तो समाज स्वस्थ नहीं हो सकता.
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वह छोटे थे, तो देखा था कि एक मुसलमान भाई साइकिल रिपेयरिंग करता था और आज उसकी तीसरी पीढी का बेटा भी साइकिल रिपेयरिंग कर रहा है.
उन्होंने कहा, स्थिति में बदलाव करना होगा. शरीर का एक अंग अगर विकलांग हो तो शरीर स्वस्थ नहीं हो सकता. समाज का कोई अंग अगर दुर्बल है तो समाज स्वस्थ नहीं हो सकता. इस मूलभूत भावना से काम करना है और हम प्रतिबद्ध हैं. हमारे देश में विकास की एक नई परिभाषा की आवश्यकता है.’’
मोदी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट को लेकर पुणे के एक मुस्लिम साफ्टवेयर इंजीनियर की हत्या पर पीडा जतायी. अभिभाषण पर चर्चा के दौरान एमआईएमक्यूम के असादुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस के एम आई शाहनवाज समेत कई सदस्यों ने मुसलमानों के विषय पर सरकार से रुख स्पष्ट करने को कहा था.
सरकार के भविष्य के कार्यक्रमों एवं नीतियों को दर्शाने वाले राष्ट्रपति के अभिभाषण में भी अल्पसंख्यकों के हालात का जिक्र करते हुए कहा गया है, दुर्भाज्ञपूर्ण है कि स्वतंत्रता के इतने दशकों के बाद भी अल्पसंख्यक समुदाय गरीबी से पीडित है और सरकार की स्कीमों का लाभ अल्पसंख्यकों तक नहीं पहुंच पाता है.’’ अभिभाषण में कहा गया था, मेरी सरकार भारत की प्रगति में सभी अल्पसंख्यकों को बराबर का भागीदार बनाने के लिए कृतसंकल्प है.’’ मुस्लिम समुदाय के उत्थान की बात करते हुए मोदी ने कहा, जब मैं छोटा था तो देखा था कि एक मुसलमान भाई साइकिल रिपेयरिंग करता था और आज उसकी तीसरी पीढी का बेटा भी साइकिल रिपेयरिंग करता है .. बदलाव करना होगा. शरीर का अगर एक अंग विकलांग हो तो शरीर स्वस्थ नहीं हो सकता है. समाज का कोई एक अंग दुर्बल रहा तो समाज सशक्त नहीं हो सकता है. इस मूलभूत भावना से काम करना है और हम प्रतिबद्ध हैं. हमारे देश में विकास की एक नई परिभाषा की आवश्यकता है.’’ मोदी ने कहा कि राजनीतिक दलों को अब हार और जीत से उपर उठना चाहिए और जनादेश से सही सीख चाहिए. हर किसी को विजय और पराजय से सीख लेनी चाहिये.
जो विजय से सीख नहीं लेते, वे पराजय का बीज बोते हैं और जो पराजय से सीख नहीं लेते वह विनाश के बीज बोते हैं.’’ चुनावी भाषणों में अपने पसंदीदा विषय को छूते हुए उन्होंने निर्वाचित प्रतिनिधियों के खिलाफ आपराधिक मामलों का जिक्र किया और कहा कि ऐसे मामलों में मुकदमा तेजी से चलाने की आवश्यकता है ताकि दोषियों को दंडित किया जा सके और निदरेष की रक्षा हो सके.
उन्होंने कहा, ‘‘कानून का डर होना चाहिए.’’ अभिभाषण में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के नारे की कांग्रेस द्वारा आलोचना का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि भारत विविधता में एकता वाली भूमि है और इस नारे के पीछे भावना ये थी कि जनता और दलों को विभाजन की भाषा छोडकर एकता की भाषा अपनानी चाहिए.
मोदी ने देश के विकास के लिए देखे गये सपनों की जिक्र किया और ‘स्कैम इंडिया’ (घोटालों के भारत) की जगह ‘स्किल्स इंडिया’ (कुशल भारत) की छवि बनाने की चर्चा की. कृषि और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों को सुधारने के बारे में उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में यदि किसी राज्य में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है तो उसे अपनाया जाएगा.
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा के बाद राज्यसभा में जवाब देते हुए कहा राष्ट्रपति के अभिभाषण पर सदस्यों ने अपनी राय दी है. राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को उठाया है. यह पूरी चर्चा बहुत सार्थक रही है. कई वर्षों से निराशा का महौल छाया हुआ है. जिन्हें आशंका है उन्हें भी विश्वास हो जायेगा कि देश निराशा के महौल से हटकर आशा की ओर देखना शुरु कर दिया है.
सदस्यों ने जिसतरह के सकरात्मक सुझाव दिया है उसपर विचार किया जायेगा. विजय और पराजय से सीख लेना चाहिए. जो विजय से सीख नहीं लेता वह पराजय के बीज बोता है और पराजय से सीख नहीं लेता वह विनाश के बीज बोता है. इससे पहले लोकसभा में नरेंद्र मोदी ने कहा कि सदन में आने के बाद हम जनता के दूत हैं. जो आज तक नहीं हुआ वो हम करके दिखायेंगे. यदि कोई गलती हमसे हुई हो तो हमें माफ कर दें. जनता के उम्मीदों को हमें पुरा करना है. विजय हमें नम्रता सिखाती है.
मोदी ने ममता बनर्जी की तारीफ करते हुए कहा कि छोटे राज्य भी अच्छा काम कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने 33 वर्ष के शोषण से राज्य को बाहर निकाला और अपने राज्य के विकास के लिए काम में लगी हुईं हैं.जनता ने विकास के लिए एक स्थिर सरकार चुनी है. विश्व के सामने हमें सब के साथ मिलकर खड़ा होना है. दुनिया को डंके की चोट पर प्रभावित करना है. उन्होंने कहा कि हमें गरीबों के लिए काम करना है. यदि हम ऐसा नहीं करते तो जनता हमें माफ नहीं करेगी. सरकार गरीबों के लिए होनी चाहिए.
हमें गरीब को गरीबी से बाहर निकालना है. इसके लिए हमें उन्हें शिक्षा देने की जरुरत है. यदि ऐसा हम करने में हम कामयाब हुए तो उन्हें बल मिलेगा और वे खुद अपने बुते पर खड़ा हो सकेंगे. हम अपने किसानों के जीवन को बदल पाने में कामयाब अब तक नहीं हो पाये हैं. गांव में हमें ध्यान देने की जरुरत है.हमें गांव को ऐसा बनाना है कि वहां सुविधा शहर जैसी हो लेकिन दिल उनका वही गांव वाला रहे. गांव में हम सेटेलाईट का उपयोग कर गांव के हर छोर में बैठे बच्चे को बिना शिक्षक के भी ज्ञान दे सकते हैं.
मोदी ने कहा मैं सदन को विश्वास दिलाता हूं कि जो राष्ट्रपति जी ने अभिभाषण में कहा है, हम उसे पूरा करने की कोशिश करेंगे. राष्ट्रपति के बताए रास्ते कोताही नहीं बरती जाएगी. अभिभाषण में कही गई बातें पवित्र हैं. उन्होंने कहा कि सदन में पूरी तरह सकारात्मक माहौल नजर आया, जो मुद्दे उठाए गए उनमें उम्मीद दिखी.
मोदी ने कहा महंगाई को दूर करने का हमने वायदा किया है. हम इस दिशा में प्रामाणिकता से प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. मैं देश के राजनेताओं से अपील करता हूं कि बलात्कार की घटनाओं का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण बंद करें. यह शोभा नहीं देता है. ‘‘हमारी पहचान ‘स्कैम इंडिया’ की बन गयी है, हमें इसे ‘स्किल इंडिया’ में बदलना होगा.’’ ‘‘हमें विकास को जन आंदोलन बनाना चाहिए.’’