नयी दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी के परेड ग्राउंड में आयोजित रामलीला समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम गणमान्य हस्तियों की मौजूदगी में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया गया. प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति कोविंद ने दर्शकों द्वारा जय श्री राम के जयघोष के बीच रामलीला में राम, सीता और लक्ष्मण की भूमिका निभा रहे लवकुश रामलीला समिति के कलाकारों को मंच पर तिलक लगाया. दिल्ली के अलावा बिहार, पंजाब, उत्तर प्रदेश के कई जिलों में रावण दहन किया गया. मौके पर प्रधानमंत्री ने प्रतीकात्मक तीर छोड़कर रावण का अंत किया.
समारोह में पर्यावरण मंत्री हर्ष वर्धन और दिल्ली भाजपा प्रमुख मनोज तिवारी भी शामिल हुए. समारोह में कोविंद ने कहा कि यह त्योहार हमें ईमानदार जिंदगी जीने की प्रेरणा देता है. उन्होंने कहा, मैं विजयदशमी पर देश के लोगों को मुबारकबाद देता हूं. विजयदशमी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. यह त्योहार जीवन में अच्छी चीजों को अपनाने के लिये प्रेरित करता है. राष्ट्रपति ने कहा, इस दौरान लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि इसकी वजह से दूसरों को असुविधा न हो और प्रदूषण न हो. वहीं, मैसूरू में भी 10 दिनों तक चला दशहरा उत्सव भी रंगारंग जुलूस के साथ संपन्न हो गया. दर्जनों सजेधजे हाथियों के साथ मैसूर के राज परिवार की कुल देवी चामुंडेश्वरी की प्रतिमा 750 किलोग्राम के सोने के हौद पर सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकलीं. इस दौरान हजारों की संख्या में लोग सड़क के किनारे उनके दर्शन के लिए खड़े थे. हालांकि, राजपरिवार के एक मौत की वजह से दशहरे से जुड़े कई रीति-रिवाजों को स्थगित कर दिया गया.
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दशहरे का पर्व शुक्रवार को बीकानेर के पास भारत-पाकिस्तान सीमा पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों के साथ मनाया. इससे पहले सिंह ने ‘शस्त्र पूजा’ भी की. पहली बार देश के किसी वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री ने विजयादशमी के दिन अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ‘शस्त्र पूजा’ की है. विजयदशमी को पारंपरिक रूप से शस्त्र पू्जन होता है. उन्होंने सीमा चौकी सतपाक का दौरा किया तथा वहां शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करके शहीदों को श्रद्धांजलि दी. सिंह ने वहां सैनिकों को संबोधित भी किया. अपने परंपरागत भव्यता और उत्सवधर्मिता के लिए दुनियाभर में मशहूर पश्चिम बंगाल में इस बार भी दुर्गा पूजा इसी अंदाज में मनायी गयी. श्रद्धालुओं ने ‘बिजोयदशमी’ पर देवी दुर्गा को अश्रुपूर्ण विदाई दी.
इसी के साथ हर साल की तरह मायके में पांच दिन तक अस्थायी निवास के बाद देवी दुर्गा अपने धाम कैलाश पर्वत प्रस्थान कर गयीं. दशमी के अनुष्ठानों के बाद मिट्टी से निर्मित देवी दुर्गा की प्रतिमाओं को भव्य तरीकों से सजाये गये पंडालों और घरों से नदियों और अन्य जलाशयों में विसर्जन के लिए ले जाया गया. उधर, हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में सप्ताहभर चलनेवाला ऐतिहासिक दशहरा उत्सव व्यापक सुरक्षा इंतजाम के बीच शुक्रवार को शुरू हो गया. जिले के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. अंतरराष्ट्रीय रूप से मशहूर यह उत्सव बड़ा अनोखा है क्योंकि यह तब शुरू होता है जब देश के बाकी हिस्से में दशहरा उत्सव का समापन होता है. दूसरा, अन्य स्थानों के विपरीत यहां रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले नहीं जलाये जाते हैं. तिरूवनंतपुरम से मिली खबरों के मुताबिक, केरल में भी लोगों ने पारंपरिक हर्षोल्लास के साथ विजयदशमी का त्योहार मनाया. इस मौके पर प्रदेश भर में दो से तीन साल की उम्र के हजारों बच्चों की पढ़ाई-लिखाई की शुरुआत भी की गयी.