सबरीमला पहुंची दो महिलाएं, प्रदर्शन के कारण नहीं कर सकीं भगवान अयप्पा के दर्शन

सबरीमला/तिरुवनंतपुरम : सबरीमला में घंटों तक चले नाटकीय घटनाक्रम और तनाव के बीच दो महिलाएं शुक्रवार को पहाड़ी की चोटी पर पहुंची, लेकिन भगवान अयप्पा के श्रद्धालुओं के व्यापक प्रदर्शन के चलते उन्हें मंदिर के गर्भगृह में पहुंचने से पहले ही लौटना पड़ा. गर्भगृह की ओर जानेवाली 18 पवित्र सीढ़ियों से कुछ ही मीटर दूर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 19, 2018 8:26 PM

सबरीमला/तिरुवनंतपुरम : सबरीमला में घंटों तक चले नाटकीय घटनाक्रम और तनाव के बीच दो महिलाएं शुक्रवार को पहाड़ी की चोटी पर पहुंची, लेकिन भगवान अयप्पा के श्रद्धालुओं के व्यापक प्रदर्शन के चलते उन्हें मंदिर के गर्भगृह में पहुंचने से पहले ही लौटना पड़ा.

गर्भगृह की ओर जानेवाली 18 पवित्र सीढ़ियों से कुछ ही मीटर दूर स्थित कतार परिसर, वलिया नदापंडाल में महिलाओं और उन्हें सुरक्षा प्रदान कर रहे पुलिसकर्मियों को श्रद्धालुओं ने रोक दिया. जैसे ही ये दोनों लौट रही थीं, तो 46 वर्षीय एक महिला ने पंबा से पांच किलोमीटर दूर मंदिर परिसर में जाने का प्रयास किया, लेकिन श्रद्धालुओं के विरोध के कारण उन्हें लौटना पड़ा. एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत त्रावणकोर देवोस्वोम बोर्ड (टीडीबी) ने कहा कि मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने संबंधी शीर्ष अदालत के फैसले को सरकार द्वारा लागू किये जाने का निर्णय लिये जाने के बाद राज्य में व्याप्त तनावपूर्ण स्थिति को शांत करने के वास्ते वह उच्चतम न्यायालय का रुख करेगा.

केंद्र सरकार ने सबरीमला विवाद के मद्देनजर तीन दक्षिणी राज्यों केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक को सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने के लिए कहा है. उच्चतम न्यायालय ने हाल के अपने फैसले में सबरीमला मंदिर में रजस्वला उम्रवाली 10-50 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी थी. इस आदेश के खिलाफ प्रदर्शन जारी है. अपने परामर्श में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन तीन राज्यों को सोशल मीडिया और इंटरनेट सेवाओं के माध्यम से विभिन्न प्रतिकूल संदेशों के प्रसार पर भी करीब से नजर रखने के लिए कहा है. गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा प्रभाग द्वारा भेजे गये इस परामर्श में कहा गया है, कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को बनाये रखने के लिए सभी आवश्यक एहतियाती कदम उठाये जाये और किसी भी अप्रिय घटना को टालने के लिए पर्याप्त सुरक्षा प्रबंध किये जाये.

वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों समेत श्रद्धालुओं ने मंदिर में रजस्वला आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश का विरोध किया. महिलाओं के वापस लौटने पर राजी होने के बाद तनाव खत्म हुआ. राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि वह प्रदर्शनरत श्रद्धालुओं के खिलाफ बल प्रयोग कर महिलाओं को सन्निधानम (मंदिर परिसर) तक नहीं ले जाना चाहती. मंदिर के ‘तंत्री’ (मुख्य पुजारी) ने कहा कि अगर महिलाओं को गर्भगृह तक लाया गया, तो वह मंदिर बंद कर देंगे. उनके इस रुख के बाद ही महिलाओं को वापस लौटने के लिए मनाया गया. इससे पहले महिलाओं ने जोर देते हुए कहा था कि वे मंदिर जाना चाहती हैं. हालांकि, बाद में पुलिस ने उन्हें स्थिति की गंभीरता के बारे में समझाया और उन्हें सरकार तथा मुख्य पुजारी द्वारा उठाये गये कदम के बारे में राजी कर लिया. अगर वे सबरीमला मंदिर पहुंच जाती, तो वे उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद सबरीमला के भगवान अयप्पा मंदिर में जानेवाली रजस्वला उम्र (10-50 वर्ष आयुवर्ग) की प्रथम महिलाएं होती.

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने 28 सितंबर के अपने फैसले में मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश को अनुमति दी थी. महिलाओं को सुरक्षा मुहैया करा रहे पुलिसकर्मियों की टीम का नेतृत्व कर रहे महानिरीक्षक एस श्रीजीत ने बाद में पत्रकारों को बताया कि महिलाओं ने वापस लौटने की इच्छा जतायी है. उन्होंने कहा, तंत्री ने मुझे बताया कि अगर महिलाएं मंदिर में घुसी, तो वह मंदिर बंद कर देंगे. महिलाओं को यह बताया गया और उन्होंने वापस लौटने की इच्छा जतायी. हम पहाड़ी से नीचे उतरने में भी उन्हें सुरक्षा मुहैया करायेंगे. श्रद्धालुओं को मंत्रोच्चार के बीच यह घोषणा सुनायी गयी. इससे पहले श्रद्धालुओं के अलावा पूजा में पुजारियों की मदद कर रहे मंदिर कर्मचारी भी पवित्र सीढ़ियों पर बैठ गये और उन्होंने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के खिलाफ प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों के जमीन पर बैठकर रास्ता रोकने के साथ स्थिति को नियंत्रण से बाहर होते देखकर श्रीजीत ने कहा कि वे केवल कानून का पालन कर रहे हैं, लेकिन उनकी भावनाओं को आहत करके आगे जाने की कोई योजना नहीं है.

राज्य के देवोस्वोम मंत्री के सुरेंद्रन ने तिरुवनंतपुरम में पत्रकारों से कहा कि सरकार बल प्रयोग करने और श्रद्धालुओं की भावनाओं को आहत नहीं करना चाहती है. उन्होंने यह भी कहा कि एक महिला की पहचान सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर हुई है और सबरीमला का पवित्र स्थान उनके ताकत का प्रदर्शन करने की जगह नहीं है. सुरेंद्रन ने कहा, सरकार की उच्चतम न्यायालय के आदेश को लागू करने तथा श्रद्धालुओं की रक्षा करने की जिम्मेदारी है, न कि कार्यकर्ताओं की. पुलिस को उन महिलाओं की सच्चाई तथा पृष्ठभूमि की जांच करनी चाहिए, जो मंदिर में दर्शन के लिए आयीं. सबरीमला में बढ़ते विरोध के बीच राज्य पुलिस के प्रमुख लोकनाथ बेहरा ने राज्यपाल पी सदाशिवम से मुलाकात की और उन्हें ताजा स्थिति से अवगत कराया.

राजभवन की एक विज्ञप्ति में कहा गया है, मंदिर में महिलाओं के संभावित प्रवेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर सबरीमला और आसपास के इलाकों में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति के बारे में माननीय राज्यपाल के सूचना मांगे जाने के बाद यह मुलाकात हुई. बेहरा ने बताया कि स्थिति अब नियंत्रण में है और पुलिस सबरीमला में पूजा करने के लिए जानेवाले वास्तविक श्रद्धालुओं को सुरक्षा उपलब्ध करा रही है. टीडीबी के अध्यक्ष पदमकुमार ने कहा कि सरकार के आदेश को लागू करने के प्रयास के दौरान सबरीमला और आसपास के इलाकों में व्याप्त हुई स्थिति पर बोर्ड शीर्ष अदालत में एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करेगा. मौजूदा संकट को दूर करने के लिए केरल उच्च न्यायालय में इसी तरह की एक रिपोर्ट दाखिल की जायेगी. जब उनसे पूछा गया कि क्या बोर्ड शीर्ष अदालत के आदेश के खिलाफ समीक्षा याचिका दाखिल करेगा, तो उन्होंने कहा कि वर्तमान निर्णय के खिलाफ सभी समीक्षा याचिकाओं में टीडीबी एक प्रतिवादी है.

विपक्षी कांग्रेस और भाजपा ने सबरीमला मंदिर में महिला कार्यकर्ताओं को लाने के वास्ते कथित रूप से समर्थन प्रदान करने और श्रद्धालुओं की भावनाओं को आहत करने के लिए केरल की वाममोर्चा सरकार पर शुक्रवार को निशाना साधा. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारी सुरक्षा के बीच पहाड़ी की चोटी पर चढ़ने वाली महिलाओं में से एक को पुलिस ने अपनी सरकारी वर्दी और हेलमेट दिया. इन दो महिलाओं की पहचान हैदराबाद की पत्रकार और कोच्चि की एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में हुई है. गर्भगृह की ओर जानेवाली 18 पवित्र सीढ़ियों से कुछ ही मीटर दूर स्थित कतार परिसर, वलिया नदापंडाल में महिलाओं और उन्हें सुरक्षा प्रदान कर रहे पुलिसकर्मियों को श्रद्धालुओं ने रोक दिया और उन्हें गर्भगृह में पहुंचने से पहले ही वापस लौटना पड़ा.

इस मुद्दे पर माकपा के नेतृत्ववाली एलडीएफ सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला ने पूछा कि क्या पुलिस ने वास्तविक श्रद्धालुओं को सुरक्षा दी है. चेन्निथला ने कहा, सरकार ने भगवान अयप्पा के श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए सबरीमला में कार्यकर्ताओं को लाने के लिए समर्थन प्रदान किया है. इससे पहले दिन में राज्य के देवोस्वोम मंत्री के सुरेंद्रन ने स्वीकार किया कि पहाड़ी की चोटी पर चढ़ी एक महिला सामाजिक कार्यकर्ता थी और सबरीमला का पवित्र स्थान उनकी ताकत का प्रदर्शन करने का स्थान नहीं है. चेन्निथला ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा-आरएसएस इस मामले को लेकर सांप्रदायिक जुनून को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं.

एलडीएफ सरकार पर हमला करते हुए भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष पीएस श्रीधरन पिल्लई ने कहा कि राज्य के अधिकारी सबरीमला को एक संघर्ष का क्षेत्र बनाने का प्रयास कर रहे हैं. इस बीच पथानामथिट्टा जिले के कलेक्टर पीबी नूह ने कहा कि स्थिति अब नियंत्रण में है. मंदिर परिसर, पंबा और निलक्कल में निषेधाज्ञा आदेशों को और तीन दिनों यानी 22 अक्तूबर तक के लिए बढ़ा दिया है.

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