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राजस्थान के नेताओं में बढ़ी निजी बाउंसरों और बॉडीगार्ड की मांग

जयपुर: विधानसभा चुनावों की सरगर्मियां तेज होने के साथ ही राजस्थान में नेताओं और मंत्रियों को अपनी सुरक्षा की चिंता सताने लगी है. आचार संहिता के चलते मंत्रियों की सुरक्षा में लगे सरकारी सुरक्षा तंत्र को हटा लिये जाने के बाद अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित नेता अब निजी बॉडीगार्ड, बाउंसर तथा गनमैन की सेवाएं […]

जयपुर: विधानसभा चुनावों की सरगर्मियां तेज होने के साथ ही राजस्थान में नेताओं और मंत्रियों को अपनी सुरक्षा की चिंता सताने लगी है. आचार संहिता के चलते मंत्रियों की सुरक्षा में लगे सरकारी सुरक्षा तंत्र को हटा लिये जाने के बाद अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित नेता अब निजी बॉडीगार्ड, बाउंसर तथा गनमैन की सेवाएं लेने जा रहे हैं. कुछ नेता रुतबा दिखाने के लिए भी इनकी सेवाएं लेते हैं.

राज्य में कार्यरत विभिन्न डिटेक्टिव एवं सिक्यूरिटी एजेंसियां इन दिनों बहुत व्यस्त हैं. राज्य के कई नेता चुनाव के मद्देनजर निजी सुरक्षा एजेंसियों की सेवाएं ले रहे हैं या इसकी तैयारी में हैं. पैट्रॅन डिटेक्टिव एंड आर्म्ड सिक्यूरिटी गार्ड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक राजकुमार कुमावत ने बताया कि चुनाव के नजदीक आते ही कई नेताओं ने खुद की सुरक्षा के लिए बॉडीगार्ड, बाउंसर और गनमैन की मांग की है.

जयपुर के साथ साथ झुंझुनू, सीकर तथा नागौर जिलों के नेता अपनी सुरक्षा के लिए निजी सिक्यूरिटी कंपनियों की ओर रुख कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि खींवसर से निर्दलीय विधायक और जाट नेता हनुमान बेनीवाल ने अपनी सुरक्षा के लिए बाउंसर, गनमैन और सिक्यूरिटी गार्ड की मांग की है.

लीडर्स सिक्योरिटी लिमिटेड के राजेश शेखावत ने बताया कि बहुत से नेता सामान्य दिनों में भी सुरक्षा के लिए सुरक्षा गार्ड, बाउंसर आदि की सेवाएं लेते हैं, लेकिन चुनाव से 15-20 दिन पहले चुनाव कार्यालय खुलने के समय नेताओं को सुरक्षा गार्ड, बाउंसर और बॉडीगार्ड की सेवाएं लेने की खास जरूरत महसूस होती है.

उन्होंने बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव के भी कई नेताओं ने उनकी कंपनी की सेवाएं ली थीं. कुमावत ने बताया कि आमतौर पर लोकप्रिय नेताओं को चुनाव के समय जनता के बीच जाने के दौरान अपनी सुरक्षा के लिए निजी सुरक्षा एजेंसियों की सेवाओं की आवश्यकता होती है. उनकी कंपनी महिला बाउंसर और महिला सुरक्षा गार्ड भी उपलब्ध करवाती है.

इस क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि आचार संहिता लगने के बाद आमतौर पर निजी सुरक्षा एजेंसी में कार्यरत सुरक्षाकर्मियों के लाइसेंस शुदा हथियारों को जमा करवाना पड़ता है. निजी सुरक्षा कंपनियों के कर्मचारी पुलिस आयुक्त और चुनाव आयोग की अनुमति से लाइसेंसशुदा हथियार रख सकते हैं.

इसके लिए बाकायदा प्रार्थना पत्र देकर जरूरी अनुमति लेने के बाद ही नेताओं को हथियारबंद सुरक्षा कर्मी उपलब्ध करवाये जातेहैं. कुमावत के अनुसार, सुरक्षा की चिंता के साथ-साथ कुछ नेता जनता के बीच रुतबा दिखाने के लिए भी बाउंसर या बड़ी गन रखने वाले सुरक्षाकर्मियों की मांग करते हैं.

जहां तक सुरक्षाकर्मियों को मेहनताने का सवाल है, तो बाउंसर्स के लिए एक हजार रुपये से डेढ़ हजार रुपये प्रतिदिन और गनमैन के लिए डेढ़ हजार से ढाई हजार रुपये प्रतिदिन तक चुकाने होते हैं. लाइसेंस शुदा हथियारबंद सुरक्षाकर्मी 15,000 से 25,000 रुपये प्रतिमाह में उपलब्ध कराये जाते हैं.

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