”गंगा की सफाई में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए होगा एचएएम का इस्तेमाल”

नयी दिल्ली : नये हाइब्रिड एन्यूटी मोड (एचएएम) से राजमार्ग परियोजनाओं को फिर खड़ा करने के बाद अब इस मॉडल का इस्तेमाल गंदे जल के शोधन संयंत्रों के लिए करने की तैयारी है. इस तरह की 16 परियोजनाओं को मंजूरी से प्रदूषण नियंत्रण तथा गंगा की सफाई में मदद मिलेगी. नदी विकास और गंगा संरक्षण […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 22, 2018 9:43 PM

नयी दिल्ली : नये हाइब्रिड एन्यूटी मोड (एचएएम) से राजमार्ग परियोजनाओं को फिर खड़ा करने के बाद अब इस मॉडल का इस्तेमाल गंदे जल के शोधन संयंत्रों के लिए करने की तैयारी है. इस तरह की 16 परियोजनाओं को मंजूरी से प्रदूषण नियंत्रण तथा गंगा की सफाई में मदद मिलेगी. नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को यह जानकारी दी.

इसे भी पढ़ें : नमामि गंगे योजना का शुभारंभ, भागलपुर में बनेगा जैव विविधता संरक्षण केंद्र

गडकरी ने कहा कि राजमार्ग परियोजनाओं में तेजी लाने, सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल को फिर शुरू करने और क्षेत्र में अधिक निवेश आकर्षित करने के मकसद से सरकार ने एचएएम की मंजूरी दी थी. इसके तहत सरकार कंपनी को परियोजना लागत का 40 फीसदी देती है, जिससे वह काम शुरू कर सके. शेष निवेश कंपनी को करना होता है. ये 16 परियोजनाएं वाराणसी, हरिद्वार और मथुरा में पहले ही शुरू हो चुकी तीन एचएएम परियोजनाओं के अतिरिक्त हैं.

गडकरी ने कहा कि प्रदूषण के मुद्दे से निपटने और गंगा सफाई कार्यक्रम में तेजी लाने के लिए हमने उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में 16 सीवरेज शोधन संयंत्र (एसटीपी) परियोजनाओं की मंजूरी दी है. इनमें से छह परियोजनाएं उत्तर प्रदेश में, तीन बिहार में और सात पश्चिम बंगाल में हैं. ये परियोजनाएं वाराणसी, हरिद्वार और मथुरा में 20 करोड़ लीटर प्रतिदिन शोधन की परियोजनाओं के अतिरिक्त हैं.

अब मंजूर की गयी परियोजनाएं करीब 72.5 करोड़ लीटर क्षमता की हैं. हाइब्रिड एन्यूटी मोड में 40 फीसदी पूंजी लागत निर्माण की अवधि के दौरान दी जाती है. शेष 60 फीसदी का भुगतान 15 साल के दौरान तिमाही एन्यूटी के रूप में किया जाता है. यह एसटीपी के प्रदर्शन से जुड़ा होता है.

Next Article

Exit mobile version