सबरीमाला पर Supreme Court के फैसले के खिलाफ टीडीबी पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगा
तिरुवनंतपुरम : सबरीमाला में भगवान अयप्पा मंदिर का प्रबंधन करनेवाले त्रावणकोर देवास्वम बोर्ड (टीडीबी) ने बुधवार को फैसला किया कि वह सबरीमाला मंदिर पर हाल ही में आये उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगा. बोर्ड ने कहा कि इसका अब कोई औचित्य नहीं है. गौरतलब है कि शीर्ष न्यायालय ने […]
तिरुवनंतपुरम : सबरीमाला में भगवान अयप्पा मंदिर का प्रबंधन करनेवाले त्रावणकोर देवास्वम बोर्ड (टीडीबी) ने बुधवार को फैसला किया कि वह सबरीमाला मंदिर पर हाल ही में आये उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगा. बोर्ड ने कहा कि इसका अब कोई औचित्य नहीं है.
गौरतलब है कि शीर्ष न्यायालय ने इस मंदिर में रजस्वला आयु वर्ग (10 से 50 वर्ष) की महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था. उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ दायर 19 पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई के लिए शीर्ष न्यायालय द्वारा 13 नवंबर की तारीख तय किये जाने के एक दिन बाद बोर्ड ने यह निर्णय लिया है. बोर्ड ने शीर्ष न्यायालय के आदेश के बाद मंदिर परिसर और उसके आसपास के इलाकों में मौजूद स्थिति पर रिपोर्ट (शीर्ष न्यायालय में) नहीं दाखिल करने का भी संकल्प लिया है. सबरीमाला के विशेष आयुक्त एम मनोज ने मंगलवारको केरल उच्च न्यायालय में एक रिपोर्ट दाखिल कर यह आशंका जतायी कि सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने संबंधी शीर्ष न्यायालय के आदेश के बाद अब 17 नवंबर से शुरू हो रही तीन महीने लंबी सालाना तीर्थयात्रा के दौरान प्रदर्शन भड़क सकते हैं और संकट की स्थिति पैदा हो सकती है.
टीडीबी सदस्य केपी शंकर दास ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के कहने पर ही बोर्ड रिपोर्ट दाखिल करेगा. दास ने पत्रकारों से कहा कि यदि उच्चतम न्यायालय पहले से दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार करने के दौरान उसका विचार मांगेगा, तभी बोर्ड अपना जवाब दाखिल करेगा. उन्होंने कहा कि अब बोर्ड के पुनर्विचार याचिका दायर करने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है. गौरतलब है कि शीर्ष न्यायालय के आदेश को लागू करने के राज्य की एलडीएफ सरकार के फैसले के मद्देनजर श्रद्धालुओं द्वारा व्यापक प्रदर्शन किये जाने के बाद स्थिति पर एक रिपोर्ट के साथ बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय का रूख करने का पिछले हफ्ते फैसला किया था. वहीं, राज्य के मुख्यमंत्री पी विजयन ने एक दिन पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करने के पक्ष में नहीं है और वह न्यायालय के फैसले को लागू करना चाहते हैं.
कभी मंदिर पर स्वामित्व का अधिकार रखनेवाले पंडालम शाही परिवार के प्रतिनिधि शशि कुमार वर्मा ने विजयन की आलोचना करते हुए बुधवार को कहा कि यह मंदिर श्रद्धालुओं का है, जिन्हें इसकी परंपरा का उल्लंघन किये जाने पर सवाल पूछने का अधिकार है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, हमने मंदिर बंद करने को कभी नहीं कहा. हम रीति रिवाज और परंपराओं पर कोई समझौता करने को तैयार नहीं हैं. परिवार की नजरें मंदिर की संपत्ति पर नहीं है. वर्मा ने कहा कि शाही परिवार का अब भी मंदिर पर अधिकार है. इस बीच, कांग्रेस नेतृत्ववाली यूडीएफ ने भगवान अयप्पा मंदिर के मुख्य पुजारी के खिलाफ विजयन की टिप्पणी की आलोचना की है और इसे दुनिया भर के पुजारियों पर हमला करार दिया. विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्नीतला ने यहां संवाददाताओं से कहा कि मंदिर के रीति-रिवाज एवं परंपराओं पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार तंत्री (मुख्य पुजारी) का है और उनके खिलाफ कोई भी टिप्पणी मुख्यमंत्री के पद पर बैठे किसी व्यक्ति के लिए अशोभनीय है.