गंगा को निर्मल बनाने के लिए ”गंगा मंथन” आंदोलन
नयी दिल्ली : गंगा को अविरल एवं निर्मल बनाने की नरेंद्र मोदी सरकार की सोच पर अमल करते हुए जल संसाधन मंत्रालय ने इसे जन आंदोलन का रुप देने के लिए जुलाई माह में गंगा मंथन कार्यक्रम शुरु करने की योजना बनायी है. जल संसाधन एवं गंगा पुनर्जीवन मंत्री उमा भारती ने यहां संवाददाताओं से […]
नयी दिल्ली : गंगा को अविरल एवं निर्मल बनाने की नरेंद्र मोदी सरकार की सोच पर अमल करते हुए जल संसाधन मंत्रालय ने इसे जन आंदोलन का रुप देने के लिए जुलाई माह में गंगा मंथन कार्यक्रम शुरु करने की योजना बनायी है.
जल संसाधन एवं गंगा पुनर्जीवन मंत्री उमा भारती ने यहां संवाददाताओं से कहा, कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में अपने उद्बोधन में विकास को जन आंदोलन का रुप देने की बात कही थी. गंगा को अविरल एवं निर्मल बनाने का विषय ऐसा है जो बिना जन आंदोलन के पूरा ही नहीं हो सकता. उन्होंने कहा, हमने निश्चय किया है कि पूरे देश के पर्यावरणविदों, जल संसाधन के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों, साधु संतों, वैज्ञानिकों के समूहों एवं अन्य शिक्षाविदों को गंगा मंथन कार्यक्रम में एकजुट करेंगे.
यह संसद सत्र को देखते हुए जुलाई के पहले या दूसरे सप्ताह में हो सकता है. उमा ने कहा कि सचिवों के समूह के सुझावों, मंत्रियों के निष्कर्षो, जानकारों के ज्ञान के आधार पर अविरल गंगा, निर्मल गंगा को जन आंदोलन का रुप दिया जायेगा. इस प्रयास में नदियों के तटीय क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसदों, स्थानीय निकाय के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जायेगा.
गंगा को अविरल एवं निर्मल बनाने के लिए सचिवों का समूह विभिन्न आयामों पर अध्ययन कर एक महीने में विस्तृत रिपोर्ट पेश करेगा. इस विषय पर हाल ही में जल संसाधन विकास, परिवहन एवं जहाजरानी, पर्यटन और वन एवं पर्यावरण मंत्रियों की बैठक में विस्तृत चर्चा हुई.जल संसाधन मंत्री ने कहा , गंगा हमारी प्राथमिकता है जिसे हम आदर्श के रूप में पेश करना चाहते हैं. इस बारे में तय मापदंड अन्य नदियों पर भी लागू होंगे. सचिवों के समूह की रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट नोट तैयार किया जायेगा.
गंगा में थूकने पर जुर्माना एवं ऐसे ही कुछ नियम बनाए जाने के बारे में मीडिया में आई खबरों को गलत बताते हुए उमा ने कहा, नदियों में प्रदूषण को रोकने के लिए कठोर कानून बनाने जाने की जरुरत है लेकिन गंगा को निर्मल बनाने जैसे गंभीर विषय को ऐसी अपुष्ट खबरों से हल्का नहीं किया जाना चाहिए. उमा ने कहा कि मंत्रालय गंगा, यमुना एवं अन्य नदियों को निर्मल बनाने के संबंध में एक वेबसाइट तैयार कर रहा है जिस पर दुनिया के विशेषज्ञों से राय देने का आग्रह किया गया है.
कावेरी नदी प्रबंधन बोर्ड के बारे में एक सवाल के जवाब में उमा भारती ने कहा कि इस बारे में सभी तरह की राय पर विचार हो रहा है और किसी के साथ अन्याय नहीं होगा. उच्चमत न्यायालय के निर्देश का पालन किया जायेगा. इसके तहत वाराणसी से हुबली तक अंतरदेशी जल मार्ग बनाया जायेगा जिसके लिए 45 मीटर तक तलहटी से गाद की सफाई की जायेगी.
इसके साथ ही गंगा के तट पर तीर्थाटन को बढावा देने के लिए लाइट एंड साउड कार्यक्रम तथा इन स्थानों पर संग्रहालय स्थापित किये जायेंगे. गौरतलब है कि इस पहल के तहत मानव संसाधन विकास मंत्रालय गंगा एवं अन्य नदियों की स्वच्छता के बारे में अध्ययन के लिए शोध संस्थान भी स्थापित करेगा. इसके अलावा बराजों को सुदृढ बनाने का काम भी किया जायेगा. कानपुर, इलाहाबाद में प्रदूषित पानी गंगा में छोडे जाने की बजाए इन्हें उद्योगों को फिर से इस्तेमाल के लिए दिया जायेगा.
उमा ने कहा कि इसके तहत योजनाबद्ध तरीके से न केवल गंगा की सफाई होगी बल्कि विकास, तीर्थाटन और आर्थिक विकास के केंद्र के रुप में तैयार किया जायेगा. इस संबंध में चार मंत्रालयों के सचिवों को दायित्व सौंपा गया है. गंगा को आदर्श के रुप में पेश किया जायेगा और यही मापदंड अन्य नदियों पर भी लागू होंगे.