फिर सामने आया पाक की कथनी और करनी का फर्क
-इंटरनेट डेस्क- नयी दिल्ली : भारत और पाकिस्तान विश्व मानचित्र पर दो ऐसे देश हैं, जिनके संबंध कभी सामान्य नहीं रहे. इनके झगड़े विश्वमंच पर भी उभरकर सामने आये हैं. भारत-पाकिस्तान के संबंधों में जो सबसे बड़ा पेच है, वह है कश्मीर. पाकिस्तान की हमेशा से यह मंशा रही है कि वह किसी भी तरह […]
-इंटरनेट डेस्क-
नयी दिल्ली : भारत और पाकिस्तान विश्व मानचित्र पर दो ऐसे देश हैं, जिनके संबंध कभी सामान्य नहीं रहे. इनके झगड़े विश्वमंच पर भी उभरकर सामने आये हैं. भारत-पाकिस्तान के संबंधों में जो सबसे बड़ा पेच है, वह है कश्मीर. पाकिस्तान की हमेशा से यह मंशा रही है कि वह किसी भी तरह कश्मीर को हथिया ले. इसके लिए वह भारत में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देता रहता है.
भारत की आजादी के बाद से उसके संबंध अपने पड़ोसी पाकिस्तान के साथ विवादित रहे हैं. चूंकि पाकिस्तान का निर्माण भारत को बांटकर हुआ है, इसलिए दोनों देशों के संबंध में कटुता हमेशा से रही है. चूंकि पाकिस्तान की मांग धर्म को आधार बनाकर की गयी थी, इसलिए वह भारत में रह गये मुसलमानों का हिमायती भी बनने की कोशिश करता रहा है. आजादी के तुरंत बाद ही 1948 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ. अभी तक घोषित रूप से भारत पाकिस्तान के बीच चार युद्ध 1948, 1965,1971 और 1999 में हुए हैं. जितने भी युद्ध भारत-पाकिस्तान के बीच हुए हैं, सबमें पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी है, बावजूद इसके पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया है.
वह अप्रत्यक्ष युद्ध के रूप में आतंकवादियों को अपनी जमीन पर प्रशिक्षण देकर उनके जरिये आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देता है और इस प्रयास में रहता है कि किसी तरह भारत की संप्रभुता को नुकसान पहुंचाया जाये. कश्मीर के मसले को पाकिस्तान हमेशा विश्वमंच पर उठाने की कोशिश करता रहता है, हालांकि भारत की ओर से हमेशा यह कहा गया है कि यह हमारा आंतरिक मामला है. अबतक जितनी भी सरकारें भारत में बनीं, सबने यह प्रयास किया कि कड़वाहट को भुलाकर पाकिस्तान के साथ संबंधों को सुधारा जाये, लेकिन पाकिस्तान इस कोशिश पर मिट्टी डालने में लगा रहता है.
अब जबकि भारत में नयी सरकार बनी है और वह इस प्रयास में है कि पड़ोसियों के साथ संबंधों को सुधारा जाये, विशेषकर दक्षिण एशियाई देशों के साथ. यही कारण था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए सभी सार्क देशों के प्रमुखों को निमंत्रण दिया गया. इस निमंत्रण को स्वीकारते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भारत आये और दोनों देशों के प्रधामंत्रियों के बीच वार्ता भी हुई. प्रधामंत्री ने संबंधों को मधुर बनाने के लिए नवाज शरीफ की मां के लिए तोहफे में एक शॉल भेजा. इस तोहफे को पाकर शरीफ का पूरा परिवार प्रफुल्लित हो गया.
नवाज शरीफ की बेटी मरियम शरीफ ने सोशल मीडिया के जरिये मोदी को धन्यवाद भी दिया. मोदी के तोहफे के बदले शरीफ ने भी पाकिस्तान जाकर मोदी की मां के लिए एक साड़ी भेजी. सबकुछ खुशनुमा माहौल में चल रहा था. शरीफ ने मोदी को पत्र लिखकर यह कहा भी कि दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य हो सकते हैं. भारत के प्रधानमंत्री ने पाक पीएम के पत्र का जवाब भी बहुत ही सकारात्मक तरीके से दिया. लेकिन आज इस खुशनुमा माहौल को किसी की नजर लग गयी. आज जम्मू- कश्मीर में नियंत्रण रेखा के करीब सुबह से गोलीबारी हो रही है. कल सीमा पर धमाके भी हुए थे. इस गोलीबारी में कई सैनिक घायल हो गये हैं. सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि एक ओर तो दोनों देश संबंध सामान्य करने में जुटे हैं और दूसरी ओर नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी उस वक्त हो रही है, जब भारत के रक्षा मंत्री जम्मू-कश्मीर का दौरा करने वाले हैं. इससे दोनों देशों के सामान्य होते संबंधों पर असर पड़ेगा.
इससे पहले जब भाजपा की सरकार देश में बनी थी, तो उसके अगुवा अटल बिहारी वाजपेयी थे. उन्होंने दोनों देशों के संबंध सामान्य करने के लिए लाहौर तक की बस यात्रा शुरू करवाई. लेकिन उनके प्रयासों को पाकिस्तान ने कारगिल में घुसपैठ करके बेकार कर दिया. अब जबकि देश में दुबारा भाजपा की सरकार बनी है, दोनों देशों के प्रधानमंत्री संबंध सामान्य करने में जुटे हैं, ऐसे माहौल में संघर्ष विराम का उल्लघंन कई सवाल खड़े करता है. भारत की ओर से संबंधों को सामान्य करने की जो कोशिश हो रही है, उसके साथ पूरा देश खड़ा है. ऐसा नहीं है कि मोदी के निर्णयों पर कहीं से अंकुश लगायी जायेगी. लेकिन आज जो गोलीबारी हुई है, उससे यह साफ है कि भले ही नवाज शरीफ पाकिस्तान के चुने हुए प्रधानमंत्री हैं, लेकिन वहां की सेना उनपर हावी है. यह भी संभव है कि नवाज शरीफ जो कर रहे है, वह हाथी के दांत, खाने के और दिखाने के और वाले सिद्धांत पर काम कर रहा हो.
ऐसा में सवाल यह भी उठता है कि अगर पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज आने वाला नहीं है, तो फिर भारत सरकार(चाहे वह किसी भी पार्टी की हो) आखिर क्यों अपनी ऊर्जा उसके साथ संबंधों को सामान्य करने में खर्च कर रही है. यह सच है कि आज के युग में कोई देश अपनी और अपने पड़ोसी देश की भौगोलिक स्थिति को बदल नहीं सकता, लेकिन हमें यह भी देखना होगा कि हमारा पड़ोसी हमारे साथ संबंधों को सामान्य करने के लिए कितना उत्सुक है. अगर हम उसे गुलाब देते रहें और वह बदले में हमें बम धमाकों की आवाज सुनाते रहें, हमारे इलाके में घुसकर हमारे सैनिकों के सिर कलम कर दें, तो हम क्योंकर उनके साथ दोस्ती का राग गा सकते हैं. यह बात हम तो हम अच्छी तरह समझते हैं, पाक को भी यह बात समझनी होगी.