इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर पढ़ें, इंदिरा के जीवन से जुड़ी अहम बातें और उनके अहम फैसले

31 अक्टूबर यानि देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 34 वीं पुण्यतिथि. इंदिरा गांधी अपने अहम फैसले मजहूत इच्छाशक्ति के लिए आयरन लेडी के नाम से भी जाना जाता है. 31 अक्तूबर, 1984 को उनकी हत्या सतवंत और बेअंत सिंह नामक दो कांस्टेबल ने कर दी थी. जिस दिन हत्या हुई, वहां ब्रिटेन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 31, 2018 12:15 PM

31 अक्टूबर यानि देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 34 वीं पुण्यतिथि. इंदिरा गांधी अपने अहम फैसले मजहूत इच्छाशक्ति के लिए आयरन लेडी के नाम से भी जाना जाता है. 31 अक्तूबर, 1984 को उनकी हत्या सतवंत और बेअंत सिंह नामक दो कांस्टेबल ने कर दी थी. जिस दिन हत्या हुई, वहां ब्रिटेन के अभिनेता पीटर उस्तीनोव भी मौजूद थे. वह डाक्यूमेंट्री के सिलसिले में उनसे मिलने आये थे. पीटर बताते हैं कि शुरू में गोलियों की तीन आवाजें आयीं तो कैमरामैन ने कहा कि लगता है कोई पटाखे छोड़ रहा है. जब मशीनगन की आवाज आयी तब समझा कि गोलियां इंदिरा गांधी पर चलायी गयीं. इंदिरा के जीवन से जुड़ी ऐसी ही दस अहम बातें हम आपके लिए लेकर आये हैं, पढ़ें

जब नाक टूनने के बाद भी जारी रखा था भाषण
घटना 1967 की है, चुनाव प्रचार के सिलसिले में इंदिरा गांधी उड़ीसा गयीं थी. जैसे ही उन्होंने बोलना शुरू किया, वहां मौजूद भीड़ ने उनके ऊपर पत्थर फेंकना शुरू कर दिये. स्थानीय नेताओं ने उनसे अपना भाषण तुरंत समाप्त करने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने बोलना जारी रखा. इसी बीच एक पत्थर उनकी नाक पर आ लगा और उनकी नाक की हड्डी टूट गयीं. लेकिन वह विचलित नहीं हुईं. अगले कई दिनों तक चेहरे पर प्लास्टर लगाये हुए वे पूरे देश में चुनाव प्रचार करती रहीं. इस घटना का उल्लेख करते हुए लेखिका सागरिका घोष ने अपनी किताब ‘इंदिरा: इंडियाज मोस्ट पावरफुल प्राइम मिनिस्टर’ में कहा है कि इससे उनके अंदर जोश और लड़ने की क्षमता का पता चलता है.
शुरूआती दौर में असहज रहती थी इंदिरा गांधी
इंदिरा गांधी के निजी चिकित्सक रहे डॉ केपी माथुर ने अपनी किताब ‘द अनसीन इंदिरा गांधी’ में लिखा है कि वर्ष 1966 में पीएम बनने के बाद एक या दो साल तक इंदिरा बहुत तनाव में रहीं. वह उन कार्यक्रमों में असहज महसूस करतीं और उनसे बचने का प्रयास करतीं जहां उन्हें बोलना होता था
इस नर्वसनेस की वजह से उनका पेट गड़बड़ हो जाता था या उनके सिर में दर्द होने लगता था. कांग्रेस के विभाजन के बाद उनमें आत्मविश्वास आया, जो ताउम्र उनके साथ रहा. पूर्व अमरीकी विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर ने अपनी आत्मकथा ‘द व्हाइट हाउज इयर्स’ में लिखा है कि ‘जब इंदिरा गांधी अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन से मिलीं, तो उन्होंने निक्सन से कुछ इस तरह बरताव किया जैसा कि एक प्रोफेसर किसी पढ़ाई में कमजोर छात्र के साथ करता है.’
इंदिरा-फ़िरोज़ का वैवाहिक जीवन
इंदिरा गांधी के वैवाहिक जीवन पर भी सार्वजनिक रूप से बहुत कम कहा गया है सिवाए इसके कि उनके अपने पति फ़िरोज़ गांधी के साथ संबंध बहुत अच्छे नहीं थे.इंदर मल्होत्रा ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, "फ़िरोज़ गांधी मेरे बहुत अज़ीज़ दोस्त थे. वो कभी ज़िक्र भी कर देते थे और उनके यहाँ जो महिलाएं आती थीं वो मुझे भी जानती थीं. उनकी दोस्ती हम्मी नाम की एक बहुत ख़ुबसूरत महिला के साथ थी जिनके पिता उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री हुआ करते थे. इंदिरा नेहरू की देखभाल के लिए बच्चों को ले कर दिल्ली में प्रधानमंत्री निवास में आ गईं. वहाँ से फ़िरोज़ का रोमांस शुरू हुआ. फ़िरोज़ हैड अ काइंड ऑफ़ ग्लैड आई.’हम्मी को लेकर इंदिरा गांधी को ज़िंदगी भर मलाल रहा है.
इस बारे में इंदर मल्होत्रा ने बताया, "एक बार जब फ़िरोज़ नहीं रहे और इंदिरा गाँधी प्रधानमंत्री बन गईं तो इमरजेंसी से पहले हम्मी प्रधानमंत्री कार्यालय में किसी बात पर एक अर्ज़ी देने आईं. जब वो प्रधानमंत्री कार्यालय से निकल कर बाहर जा रही थी तो उसी समय कांग्रेस अध्यक्ष देवकांत बरुआ ऑफ़िस में घुस रहे थे. इंदिरा गाँधी ने बरुआ से कहा कि बाहर नज़र डालो. जिस औरत को तुम देख रहे हो, इस औरत के लिए फ़िरोज़ ने सारी ज़िंदगी हमारी ख़राब कर दी."
झारखंड के देवघर की यात्रा
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को वर्ष 1979 में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ बाबा बैद्यनाथ की पूजा कराने वाले तीर्थपुरोहित शिव नारायण श्रृंगारी आज भी उस पल को याद करते हुए बताते हैं कि वह उनके जीवन का सबसे यादगार क्षण था. उन्हें वैदिक मंत्रों की पूरी जानकारी थी. वह मंदिर प्रवेश करने के समय से ही नियमों का पालन कर रही थीं. हमलोग सिंह दरवाजा से मंदिर प्रवेश कराना चाहते थे, लेकिन सनातन पद्धति को अपनाते हुए वह पूरब दरवाजा से मंदिर प्रांगण में प्रवेश की. वह पहली बार बाबाधाम आयी थीं, बावजूद पूरी पूजा पद्धति जानती थीं. पूजा के दौरान सभी मंत्र शुद्ध-शुद्ध उच्चारण कर रही थीं. कई मंत्र साथ-साथ बोल रही थीं. इससे पूजा कराने में बहुत आसानी हुई. कम समय में ही पूजा संपन्न हो गयी. वह पूजा कर हिंदी विद्यापीठ के लिए रवाना हो गयीं.
उनके अहम फैसले
‘ऑपरेशन ब्‍लू स्‍टार’
इंदिरा गांधी के जीवन से जुड़ी यह सबसे अहम घटनाओं में एक थी. इस फैसले की वजह से उनकी हत्या हुई . 6 जून 1984 के दिन सिखों के सबसे पावन स्थल स्वर्ण मंदिर परिसर में भारतीय सेना की कार्रवाई ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार के कारण काफी आलोचना होती है. साल 1984 तक पंजाब के हालात बेकाबू हो गए थे. स्वर्ण मंदिर में डीआइजी ए.एस. अटवाल की हत्या के बाद पंजाब बेकाबू था. जरनैल सिंह भिंडरांवाले के नेतृत्व में सिखों के एक विद्रोही गुट ने जंग छेड़ दी थी. भिंडरावाले खालिस्तानी चरमपंथी के तौर पर तेजी से अपनी पैठ पंजाब में बना रहा था.
भारतीय सेना ने इस दौरान अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर में प्रवेश करके ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ को अंजाम दिया था. दरअसल देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी देश के सबसे खुशहाल राज्य पंजाब को उग्रवाद के दंश से छुटकारा दिलाना चाहती थीं, लिहाजा उन्होंने यह सख्त कदम उठाया और खालिस्तान के प्रबल समर्थक जरनैल सिंह भिंडरावाले का खात्मा करने और सिखों की आस्था के पवित्रतम स्थान स्वर्ण मंदिर को उग्रवादियों से मुक्त करने के लिए यह अभियान चलाया.
बांग्लादेश युद्ध
साल 1971 में इंदिरा गांधी ने अहम फैसला लिया. उस वक्त पाकिस्तान में गृह युद्ध के हालात थे. पूर्वी पाकिस्तान में बांग्लादेश की मांग जोरों पर थी. भारत सरकार ने पूर्वी पाकिस्तान के आंदोलन को समर्थन देने का फैसला लिया. भारत- पाक के बीच जंग छिड़ गयी . इस दौर में इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की . 11 दिनों के भीतर पाकिस्तान ने हार मान ली. इसके बाद स्वतंत्र रूप से बांग्लादेश को मान्यता मिली.
बैंकों का राष्ट्रीयकरण
इंदिरा गांधी के अहम फैसलों में बैकों का राष्ट्रीयकरण का फैसला भी गिना जाता है. उन्होंने 19 जुलाई, 1969 को 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया था.इन बैंकों पर अधिकांश बड़े औद्योगिक घरानों का कब्जा था.इसके बाद राष्ट्रीयकरण का दूसरा दौर 1980 में हुआ.इसके तहत 7 बैंकों को राष्ट्रीयकृत किया गया.वर्तमान में 27 बैंक राष्ट्रीयकृत हैं.
पोखरण विस्फोट
साल 1974 में पोखरण में पहला परमाणु विस्फोट हुआ. इस विस्फोट ने दुनिया को चौका दिया. उनके मजबूत और दमदार फैसलों की वजह से भारत की पहला मजबूत हुई. दक्षिण एशिया में उनके नेतृत्व में एक ऐसी शक्ति का उदय हुआ, जिसकी ओर कोई आंख उठाकर नहीं देख सकता था.

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