नयी दिल्ली: पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि मामला दायर करनेवाले पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने दिल्ली की एक अदालत को बुधवार को बताया कि उनके खिलाफ लगाये गये यौन दुर्व्यवहार के मनगढ़ंत और झूठे आरोपों के कारण उन्हें तत्काल नुकसान पहुंचा है.
अकबर अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मेजिस्ट्रेट समर विशाल के समक्ष पेश हुए और 15 अक्तूबर को रमानी के खिलाफ दर्ज मानहानि की शिकायत के पक्ष में उन्होंने अपना बयान दर्ज कराया. रमानी ने आरोप लगाया था कि करीब 20 वर्ष पहले अकबर ने उनके साथ यौन दुर्व्यवहार किया था. अकबर ने अपने बयान में कहा, मिथ्या प्रकृति के इन मनगढ़ंत आरोपों की वजह से निश्चित ही तत्काल नुकसान पहुंचा है. कथित मनगढ़ंत घटनाएं, जो कभी हुई ही नहीं, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि ये कथित तौर पर दो दशक पहले हुई, उन्हें लेकर मुझ पर निजी तौर पर हमला किया गया. उन्होंने कहा, ऐसे माहौल में, एक पदाधिकारी के रूप में नहीं, बल्कि निजी तौर पर मैं चाहता हूं कि मेरे साथ न्याय किया जाये. इसीलिए मैंने भारत सरकार में राज्यमंत्री के तौर पर इस्तीफा दिया.
आम जनता और मेरे करीबी तथा मेरे नजदीकी लोगों की नजरों में मेरी छवि खराब हुई है. अकबर ने 17 अक्तूबर को केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उनके बयान की रिकॉर्डिंग पूरी हो चुकी है. अदालत ने मामले पर आगे की सुनवाई के लिए 12 नवंबर की तारीख तय की है. उस दिन उन गवाहों के बयान दर्ज किये जायेंगे जिनका नाम अकबर ने लिया है. भारत में ‘मी टू’ अभियान के तेज होने के साथ अकबर का नाम सोशल मीडिया में तब उछला था जब वह नाइजीरिया में थे.
कई महिलाओं ने आरोप लगाया था कि पत्रकार रहते हुए अकबर ने उनका कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया था. अकबर 14 अक्तूबर को देश लौटे थे. लौटने के कुछ ही घंटों के बाद उन्होंने उक्त आरोपों को झूठा, मनगढ़ंत और बेहद क्षुब्ध कर देनेवाला बताया था. उन्होंने कहा था कि वह आरोप लगानेवालों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करेंगे.