Monsoon में जबर्दस्त बिखराव, 31 फीसदी क्षेत्र में हुई सामान्य से कम बारिश, जानें वजह

नयी दिल्ली: पूरे देश में बारिश की सौगात देने वाले दक्षिण-पश्चिम माॅनसून को इस साल बादलों के विक्षोभ की बाधाओं का जमकर सामना करना पड़ा. इसकी वजह से माॅनसून में बिखराव, बारिश के असमान वितरण के रूप में देखने को मिला. इस साल दक्षिण-पश्चिम माॅनसून की समग्र रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है. विक्षोभ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 4, 2018 11:50 AM

नयी दिल्ली: पूरे देश में बारिश की सौगात देने वाले दक्षिण-पश्चिम माॅनसून को इस साल बादलों के विक्षोभ की बाधाओं का जमकर सामना करना पड़ा. इसकी वजह से माॅनसून में बिखराव, बारिश के असमान वितरण के रूप में देखने को मिला.

इस साल दक्षिण-पश्चिम माॅनसून की समग्र रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है. विक्षोभ की बाधाओं के कारण बारिश न केवल छोटे-छोटे इलाकों में सिमट कर रह गयी, बल्कि मौसम के बदलते मिजाज का गवाह बने इस माॅनसून में बाढ़, भू-स्खलन, चक्रवाती तूफान और धूल भरी आंधियों की घटनाओं की भी अधिकता रही.

जून से सितंबर के बीच दक्षिण-पश्चिम माॅनसून की मौसम विभाग द्वारा शुक्रवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, इस साल माॅनसून के दौरान भारत के ऊपर10 बार हवा के कम दबाव का क्षेत्र बना. इनमें से एक क्षेत्र में कम दबाव की अधिकता के कारण चक्रवाती तूफान की स्थिति भी उत्पन्न हुई. इसका केंद्र ओड़िशा में रहा.

रिपोर्ट के अनुसार, माॅनसून के दौरान जून में बंगाल की खाड़ी में हवा के कम दबाव का क्षेत्र बनने की एक घटना से शुरुआत होकर यह संख्या जुलाई में तीन और अगस्त में चार तक पहुंच गयी.

हालांकि, मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, माॅनसून की बेहतरी के लिहाज से हवा के कम दबाव के क्षेत्र की अधिकता बारिश के लिए अनुकूल स्थिति मानी जाती है, लेकिन पिछले कुछ सालों में इसकी अधिकता के बावजूद बारिश में कमी दर्ज की गयी है.

रिपोर्ट में मौसम विभाग ने वर्ष 2018 को भी इस श्रेणी में रखते हुए कहा है कि पूरे मॉनसून के दौरान हवा के कम दबाव का क्षेत्र बनने की10 घटनाओं के बावजूद बारिश की मात्रा सामान्य से नौ प्रतिशत कम दर्ज की गयी.

ग्लोबल वार्मिंग का असर

मौसम विभाग के एक वैज्ञानिक ने इसका संबंध जलवायु परिवर्तन से होने से हालांकि इन्कार नहीं किया, लेकिन माॅनसून के असमान वितरण को देखते हुए कहा कि इस तथ्य को शोध के आधार पर स्थापित किया जा सकेगा.

इस साल माॅनसून के दौरान यह भी देखने को मिला कि मौसम संबंधी विक्षोभ की मौजूदगी जिन इलाकों में ज्यादा रही, उनमें माॅनसून का असमान वितरण और बारिश का बिखराब भी उतना ही अधिक दर्ज कियागया.

इसके परिणामस्वरूप एक क्षेत्र में मूसलाधार बारिश होने के साथ पड़ोसी क्षेत्र में बिल्कुल भी बारिश नहीं होने की प्रवृत्ति भी इस माॅनसून में देखने को मिली.

इन क्षेत्रों में हुई सामान्य से कम बारिश

माॅनसून के असमान वितरण वाले क्षेत्रों में पूर्वोत्तर के राज्य अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय भी शामिल हैं, जो बारिश की अधिकता के लिए जाने जाते रहे हैं. इस साल इन राज्यों में सामान्य से कम बारिश हुई. कम बारिश वाले क्षेत्रों में शामिल पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, सौराष्ट्र, कच्छ, गुजरात मराठवाड़ा, रायलसीमा, उत्तर भीतरी कर्नाटक, और पश्चिमी राजस्थान में भी माॅनसून का असमान वितरण दर्ज किया गया.

एक फीसदी क्षेत्रफल में हुई सामान्य से अधिक बारिश

मौसम के लिहाज से 36 क्षेत्रों में बंटे देश के 23 क्षेत्रों में (देश के कुल क्षेत्रफल का 68 प्रतिशत) सामान्य बारिश दर्ज की गयी. दक्षिण-पश्चिम माॅनसून के दौरान सिर्फ एक क्षेत्र में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गयी. इस क्षेत्र में केरल और पुड्डुचेरी सहित देश का एक प्रतिशत क्षेत्रफल शामिल है. इसके अलावा 12 क्षेत्रों में (देश के कुल क्षेत्रफल का 31 प्रतिशत) सामान्य से कम बारिश दर्ज की गयी.

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