नयी दिल्ली : दिल्ली में प्रदूषण का स्तर सोमवार को नीचे गिरकर ‘बेहद खराब’ श्रेणी में पहुंच गया है और हवा की दिशा बदलने तथा पड़ोसी राज्यों में भारी मात्रा में पराली जलाये जाने से दिल्ली की आबोहवा बुरी तरह बिगड़ गयी है. सोमवार को समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर श्रेणी में 418 दर्ज किया गया. एक दिन पहले एक्यूआई 171 के मध्यम स्तर पर था और सोमवार को इसमें काफी गिरावट दर्ज की गयी.
दिवाली से दो दिन पहले ही राष्ट्रीय राजधानी में धुंध की चादर बिछ गयी है. इसके बाद विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि स्थानीय कारकों की वजह से वायु गुणवत्ता और बिगड़ सकती है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार दिल्लीवासियों के लिए रविवार का दिन पिछले तीन सप्ताह में सबसे साफ था. इस मौसम में पहली बार वायु गुणवत्ता 30 अक्तूबर को गंभीर स्तर पर चली गयी थी. सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार पीएम 2.5 और पीएम 10 क्रमश: 361 और 500 की बेहद खराब और आपात स्थिति की श्रेणी में पहुंच गया है. गौरतलब है कि सूचकांक शून्य से 50 तक होने पर हवा को अच्छा, 51 से 100 होने पर संतोषजनक, 101 से 200 के बीच सामान्य, 201 से 300 से खराब, 301 से 400 तक बहुत खराब और 401 से 500 के बीच को गंभीर श्रेणी में रखा जाता है.
सोमवार को पीएम 2.5 (हवा में 2.5 माइक्रोमीटर से भी कम मोटाईवाले कणों की मौजूदगी) का स्तर 268 दर्ज किया गया, जबकि पीएम10 (हवा में 10 माइक्रोमीटर से भी कम मोटाईवाले कणों की मौजूदगी) का स्तर 391 दर्ज किया गया. अधिकारियों ने प्रदूषण अचानक से बढ़ने के पीछे हवा की दिशा में बदलाव को बताया है जो पश्चिमोत्तर क्षेत्र से उत्तर की ओर बह रही है और पड़ोसी राज्यों से पराली जलने से उठनेवाले धुएं और धूल को ला रही है. केंद्र की वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली (सफर) के एक अधिकारी ने बताया राष्ट्रीय राजधानी के प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान 24 प्रतिशत है. मौसम संबंधी कारणों और दिल्ली में अधिकारियों द्वारा उठाये गये कदमों से हवा की गुणवत्ता में थोड़ा सुधार होने के एक दिन बाद ही दिल्ली की आबोहवा दमघोंटू हो गयी.
अधिकारियों ने प्रदूषण से निपटने के लिए प्रयास तेज कर दिये हैं जिसमें निर्माण गतिविधियां रोकने और यातायात का नियमन करना शामिल है. खुदाई समेत सभी निर्माण गतिविधियों पर रोक है. दिल्ली तथा एनसीआर के अन्य जिलों में सिविल निर्माण गतिविधियां रोक दी गयी हैं. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने परिवहन विभाग और यातायात पुलिस को वाहनों की प्रदूषण जांच को तेज करने तथा 1 से 10 नवंबर के दौरान क्षेत्र में यातायात की भीड़ को नियंत्रित करने के निर्देश दिये हैं. एक से 10 नवंबर तक ‘स्वच्छ हवा अभियान’ भी शुरू किया गया है ताकि प्रदूषण फैलानेवाली गतिविधियों पर नजर रखी जाये और उनकी रिपोर्ट की जाये. इस अभियान के तहत प्रदूषण से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने पर लोगों पर पिछले तीन दिनों में एक करोड़ रुपये तक जुर्माना लगाया जा चुका है. दिवाली के मद्देनजर शहर में प्रदूषण की स्थिति और बदतर हो सकती है.