नोटबंदी के प्रखर विरोधी रहे प्रमुख अर्थशास्त्री टीएन श्रीनिवासन का निधन

चेन्नई : जाने-माने अर्थशास्त्री टीएन श्रीनिवासन का संक्षिप्त बीमारी के बाद निधन हो गया. क्षेत्र के विशेषज्ञों और उनके समकालीन लोगों ने उन्हें उदारीकरण का मजबूत पैरोकार बताया. श्रीनिवासन (85 वर्ष) का शनिवार रात यहां निधन हो गया. पारिवारिक सूत्रों ने इसकी जानकारी दी. वह अपने पीछे पत्नी और पुत्र को छोड़ गये हैं. सूत्रों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 12, 2018 9:07 PM

चेन्नई : जाने-माने अर्थशास्त्री टीएन श्रीनिवासन का संक्षिप्त बीमारी के बाद निधन हो गया. क्षेत्र के विशेषज्ञों और उनके समकालीन लोगों ने उन्हें उदारीकरण का मजबूत पैरोकार बताया. श्रीनिवासन (85 वर्ष) का शनिवार रात यहां निधन हो गया. पारिवारिक सूत्रों ने इसकी जानकारी दी. वह अपने पीछे पत्नी और पुत्र को छोड़ गये हैं.

सूत्रों ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को किया जायेगा. श्रीनिवासन को यले विश्वविद्यालय से डाक्टर की उपाधि से नवाजा गया था और 2007 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. केंद्र सरकार में पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम सहित कई प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के पूर्व अध्यक्ष सी रंगराजन ने कहा, मुझे डाॅ टीएन श्रीनिवासन के निधन से गहरा झटका लगा है. मित्रों और सहयोगियों के बीच उन्हें टीएन के नाम से जाने जाता था. वह भारत के प्रमुख अर्थशास्त्रियों में से एक थे. उन्होंने कहा कि श्रीनिवासन उदारीकरण के मजबूत पैरोकारों में से एक थे.

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल को पढ़ानेवाले श्रीनिवासन ने भारत में नोटबंदी के कदम के प्रभावी होने पर गंभीर संदेह जताया था. उन्होंने कहा था कि इससे कालेधन की समस्या से लड़ने में मदद नहीं मिलेगी. उन्होंने कहा था कि सरकार द्वारा भ्रष्टाचार से निपटने के लिए बहुत सोची समझी नीति अपनाये जाने की जरूरत है. भ्रष्टाचार से लड़ने की कोई सोची-समझी भ्रष्टाचार निरोधक नीति न तो थी और न है. भारत में कार्यान्वित नोटबंदी जैसी नीति से भ्रष्टाचार से निपटे जाने और पारदर्शिता बढ़ने की संभावना नहीं है. उन्होंने कहा था, हालांकि नोटबंदी की कोई पूर्व घोषणा नहीं की गयी, लेकिन सरकार के कार्यान्वयन में तैयारी का अभाव व सोच की कमी दिखी. श्रीनिवासन ने कहा था कि सरकार ने 500 व 1000 रुपयों के नोटों को चलन से बाहर तो कर दिया, लेकिन इसका कोई स्पष्ट उद्देश्य नहीं बताया.

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