राफेल पर राहुल गांधी के आरोपों को दसॉल्ट के CEO ने बकवास बताया, कहा, अंबानी की कंपनी को खुद चुना
नयी दिल्ली : राफेल सौदे को लेकर देश में राजनीतिक घमासान के बीच दसॉल्ट एविएशन के CEO ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों को बकवास बताया है. उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में कहा, फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांदे ने दसॉल्ट-रिलायंस ज्वाइंट वेंचर को लेकर झूठ बोला था. उन्होंने कहा, अनिल […]
नयी दिल्ली : राफेल सौदे को लेकर देश में राजनीतिक घमासान के बीच दसॉल्ट एविएशन के CEO ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों को बकवास बताया है. उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में कहा, फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांदे ने दसॉल्ट-रिलायंस ज्वाइंट वेंचर को लेकर झूठ बोला था. उन्होंने कहा, अनिल अंबानी को हमने चुना है और राफेल डील बहुत कम में हुआ है, जबकि डील दो गुना में होना चाहिए था. राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि राफेल डील अधिक में किया गया.
उन्होंने कहा, मैं कभी झूठ नहीं बोलता. मैंने जो पहले कहा, वही अब भी बोल रहा हूं. उनसे जब पूछा गया कि राहुल गांधी दसॉल्ट रिलायंस ग्रुप को ऑफसेट पॉर्टनर चुनने को लेकर झूठ बोल रहा है, तो उन्होंने इस पर कहा, मेरी छवि झूठ बोलने वाले व्यक्ति की नहीं है. मेरे पॉजिशन में पहुंचकर आप झूठ बोलना का रिस्क नहीं उठा सकते हैं.
गौरतलब हो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दो नवंबर को आरोप लगाया था कि फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस को ‘रिश्वत की पहली किस्त’ के रूप में 284 करोड़ रुपये दिये.
I don't lie. The truth I declared before and the statements I made are true. I don't have a reputation of lying. In my position as CEO, you don't lie: Dassault CEO Eric Trappier responds to Rahul Gandhi's allegations, in an exclusive interview to ANI #Rafale pic.twitter.com/K6PMdhg8pF
— ANI (@ANI) November 13, 2018
CEO ट्रॉपियर ने कहा, उनका कांग्रेस के साथ डील करने का पूराना अनुभव रहा है. राहुल गांधी की ओर से किये गये टिप्पणी से वो काफी दुखी नजर आये और कहा, हमारा कांग्रेस पार्टी के साथ लंबा अनुभव रहा है. 1953 में भारत के साथ जो डील हुई थी, उस समय भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु थे. हम भारत के साथ लंबे समय से काम कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा, हम किसी पार्टी के लिए काम नहीं करते हैं.
राफेल सौदे को लेकर देश में राजनीतिक घमासान मचा के बीच केन्द्र सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि फ्रांस से 36 लड़ाकू राफेल विमानों की खरीद में 2013 की ‘रक्षा खरीद प्रक्रिया’ का पूरी तरह पालन किया गया और बेहतर शर्तों पर बातचीत की गयी थी. इसके साथ ही केंद्र ने कहा कि इस सौदे से पहले मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति ने भी अपनी मंजूरी प्रदान की.
#WATCH: ANI editor Smita Prakash interviews CEO Eric Trappier at the Dassault aviation hangar in Istre- Le Tube air… https://t.co/0igomqmE2i
— ANI (@ANI) November 13, 2018
सरकार ने 14 पृष्ठों के हलफनामे में कहा है कि राफेल विमान खरीद में रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया गया है. इस हलफनामे का शीर्षक 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का आदेश देने के लिये निर्णय लेने की प्रक्रिया में उठाये गये कदमों का विवरण है.
केन्द्र ने राफेल विमानों की खरीद के सौदे की कीमत से संबंधित विवरण सीलबंद लिफाफे में न्यायालय में पेश किया. केन्द्र विमानों की कीमतों का विवरण देने को लेकर अनिच्छुक था और उसने कहा था कि इनकी कीमतों को संसद से भी साझा नहीं किया गया है.
शीर्ष अदालत के 31 अक्टूबर के आदेश का पालन करते हुए निर्णय लेने की प्रक्रिया और कीमत का ब्यौरा पेश किया गया. न्यायालय अब दोनों दस्तावेजों पर गौर करेगा और बुधवार को सुनवाई करेगा.