नयी दिल्ली : राजस्थान में कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री की पद की दौड़ बुधवार को उस वक्त तेज हो गयी जब पार्टी के संगठन महासचिव अशोक गहलोत ने कहा कि वह और प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट चुनाव मैदान में उतरेंगे. राज्य की सियासी हलचल को तेज करने वाले उनके इस बयान की काफी अहमियत है क्योंकि गहलोत और पायलट को कांग्रेस की सरकार बनने पर मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर देखा जा रहा है.
हालांकि, दोनों ने कभी खुलकर अपनी दावेदारी पेश नहीं की है, किंतु मुख्यमंत्री के सवाल को लेकर इनके समर्थकों की तरफ से समय-समय पर बयान आते रहे हैं. गहलोत के चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद पायलट ने भी कहा कि गहलोत और वह चुनाव लड़ेंगे. कांग्रेस के संगठन महासचिव ने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी राजस्थान में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं करेगी. भाजपा सांसद के हरीश चंद्र मीणा के कांग्रेस में शामिल होने के अवसर पर बुलाये गये संवाददाता सम्मेलन में गहलोत ने कहा, जो अफवाहें चल रही थीं कि कांग्रेस में फूट है, वो भाजपा का षड़यंत्र था. उसका पर्दाफाश भी पिछले दो महीने में हो चुका है. मीडिया ने खूब उसको उछालने का प्रयास किया, क्योंकि मीडिया पर दबाव बहुत ज्यादा है.
उन्होंने कहा, हम सब मैदान में एकसाथ चुनाव के लिए उतर रहे हैं. सचिन पायलट जी भी और मैं भी. हम सब चुनाव लड़ेंगे. चुनाव हम सब लड़ेंगे और जो नेता लड़ना चाहते हैं, सब लड़ो चुनाव. इस मौके पर मौजूद पायलट ने भी कहा, मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि राहुल गांधी जी के आदेश के बाद और अशोक गहलोत जी के आग्रह के बाद मैं भी विधानसभा का चुनाव लड़ूंगा. गहलोत साहब भी लड़ेंगे और हम सब मिलकर कांग्रेस पार्टी को भारी बहुमत से जितायेंगे. माना जा रहा है कि गहलोत अपनी परंपरागत सीट सरदारपुरा (जोधपुर) से चुनाव लड़ेंगे, हालांकि पायलट की सीट को लेकर अभी कुछ तय नहीं है. सूत्रों का कहना है कि पायलट अजमेर या दौसा की किसी सीट से चुनावी मैदान में उतर सकते हैं.
पायलट पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. वह दौसा और अमजेर से सांसद रह चुके हैं, हालांकि 2014 में वह अजमेर से हार गये थे. मुख्यमंत्री की उम्मीदवारी के बारे में पूछे जाने पर गहलोत ने कहा, आजादी के बाद राजस्थान में कांग्रेस ने कभी मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित नहीं किया. इसलिए मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का सवाल नहीं है. राजस्थान विधानसभा की 200 सीटों के लिए सात दिसंबर को मतदान होगा.