RBI की बैठक से पहले एस गुरुमूर्ति ने कहा बैंक के रिजर्व स्टोरेज नियमों में बदलाव जरूरी

नयी दिल्ली : अगले हफ्ते भारतीय रिज़र्व बैंक के बोर्ड की होने वाली अहम बैठक से पहले केंद्रीय बैंक के स्वतंत्र निदेशक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक एस गुरूमूर्ति ने वृहस्पतिवार को रिज़र्व बैंक के आरक्षित भंडारण के नियम में बदलाव की वकालत की है. उन्होंने कहा कि आरबीआई के पास 9.6 करोड़ रुपये […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 16, 2018 10:27 AM


नयी दिल्ली
: अगले हफ्ते भारतीय रिज़र्व बैंक के बोर्ड की होने वाली अहम बैठक से पहले केंद्रीय बैंक के स्वतंत्र निदेशक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक एस गुरूमूर्ति ने वृहस्पतिवार को रिज़र्व बैंक के आरक्षित भंडारण के नियम में बदलाव की वकालत की है. उन्होंने कहा कि आरबीआई के पास 9.6 करोड़ रुपये आरक्षित भंडार है और दुनिया के किसी भी केंद्रीय बैंक के पास इतना आरक्षित भंडारण नहीं है. कुछ महीने पहले ही आरबीआई बोर्ड के निदेशक नियुक्त किए गए गुरूमूर्ति ने कहा कि भारत में निर्धारित पूंजी पर्याप्तता अनुपात एक प्रतिशत है जो बेसेल के वैश्विक नियम से ज्यादा है.

उन्होंने छोटे एवं मंझोले उद्योगों के लिए कर्ज नियमों को आसान बनाने की भी वकालत की जो देश की जीडीपी का 50 प्रतिशत है. आरबीआई और वित्त मंत्रालय के बीच विवाद शुरू होने के बाद सार्वजनिक तौर पर पहली बार टिप्पणी करते हुए गुरूमूर्ति ने कहा कि यह गतिरोध अच्छी बात नहीं है. आरबीआई के बोर्ड की बैठक सोमवार को होनी है जिसमें पीसीए के नियमों को सरल करना, आरक्षित भंडारण को कम करने और एमएसएमई को ऋण बढ़ाने समेत सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हो सकती है. गुरुमूर्ति ने कहा कि यदि नवंबर, 2016 में नोटबंदी नहीं की गई होती, तो अर्थव्यवस्था ढह जाती. उन्होंने विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन में व्याख्यान में कहा कि नोटबंदी से 18 माह पहले 500 और 1,000 रुपये के नोट 4.8 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गए थे. रीयल एस्टेट और सोने की खरीद में इन नोटों का इस्तेमाल किया जाता था. यदि नोटबंदी नहीं होती तो हमारा हाल भी 2008 के सब प्राइम ऋण संकट जैसा हो जाता. गुरुमूर्ति ने कहा कि यदि ऐसा नहीं हुआ होता तो भारतीय अर्थव्यवस्था ढह जाती. यह एक सुधारात्मक उपाय था.

आरबीआई के पूंजी ढांचे के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि आरबीआई के पास 27-28 प्रतिशत का आरक्षित भंडार है जो रुपये के मूल्य में आई हालिया गिरावट के कारण और बढ़ सकता है. उन्होंने कहा कि आप यह नहीं कह सकते हैं कि इसके पास बहुत आरक्षित भंडार है और वे धन मुझे दें . मेरे ख्याल से सरकार भी यह नहीं कह रही है. जहां तक मेरी समझ है सरकार एक नीति बनाने के लिए कह रही है कि केंद्रीय बैंक के पास कितना आरक्षित भंडार होना चाहिए. अधिकतर केंद्रीय बैंकों के पास इतना आरक्षित भंडार नहीं होता है जितना आरबीआई के पास है. गुरुमूर्ति ने कहा है कि सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच गतिरोध का होना कोई अच्छी स्थिति नहीं है. गुरुमूर्ति का यह बयान रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल की बहुप्रतीक्षित बैठक से पहले आया है. हाल के दिनों में वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के बीच कई मुद्दों पर गतिरोध उभरकर सामने आया है.

इनमें केंद्रीय बैंक की खुद की पूंजी से संबंधी नियम और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) क्षेत्र के लिए कर्ज की उपलब्धता के नियम उदार करने से संबंधित मुद्दे भी शामिल हैं. गुरुमूर्ति ने ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति: भारत और विश्व’ विषय पर अपने व्याख्यान में कहा कि डूबे कर्ज के लिए एक झटके में सख्त प्रावधान के नियमों से भी बैंकिंग प्रणाली के समक्ष समस्या खड़ी हुई है। रिजर्व बैंक और सरकार के बीच हाल के समय में तनाव बढ़ा है. वित्त मंत्रालय ने पहले कभी इस्तेमाल नहीं की गई रिजर्व बैंक कानून की धारा सात के तहत विचार विमर्श शुरू किया है. इसके तहत सरकार को रिजर्व बैंक को निर्देश जारी करने का अधिकार है. रिजर्व बैंक के बोर्ड की बैठक 19 नवंबर को होनी है.

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