नयी दिल्ली : सरकार और आरबीआई के बीच मतभेद की खबरों के बीच सोमवार 19 नवंबर को आरबीआई की बोर्ड मीटिंग है, जिसमें कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होनी है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने आरबीआई के बोर्ड को निर्देश दिया है कि फाइनेंशल स्टेबिलिटी, मॉनेटरी पॉलिसी और फॉरन एक्सचेंज मैनेजमेंट पर निगरानी के लिए एक पैनल बनाया जाये. इस कदम से बोर्ड की शक्ति में वृद्धि होगी. चूंकि आरबीआई के बोर्ड में सरकार द्वारा नामित सदस्य भी होंगे, जो सरकार का पक्ष रखेंगे और कार्यों पर नजर भी रखेंगे.
पिछले दिनों आरबीआई के बीच मतभेद इतना बढ़ा था कि ऐसी खबरें आ रहीं थी कि गवर्नर उर्जित पटेल इस्तीफा दे सकते हैं. लेकिन सरकार ने डैमेज कंट्रोल करते हुए बैंक की स्वायत्तता को सर्वोपरि माना. बावजूद इसके सरकार और शीर्ष बैंक के बीच विवाद बना हुआ है.अहम बैठक से पहले केंद्रीय बैंक के स्वतंत्र निदेशक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक एस गुरूमूर्ति ने वृहस्पतिवार को कहा कि रिज़र्व बैंक के आरक्षित भंडारण के नियम में बदलाव की वकालत की .
उन्होंने कहा कि आरबीआई के पास 9.6 करोड़ रुपये आरक्षित भंडार है और दुनिया के किसी भी केंद्रीय बैंक के पास इतना आरक्षित भंडारण नहीं है. कुछ महीने पहले ही आरबीआई बोर्ड के निदेशक नियुक्त किए गए गुरूमूर्ति ने कहा कि भारत में निर्धारित पूंजी पर्याप्तता अनुपात एक प्रतिशत है जो बेसेल के वैश्विक नियम से ज्यादा है. इस बयान से यह साफ है कि बैठक में भी सरकार और बैंक के बीच विवाद नजर आयेगा. आरबीआई के लिक्विडिटी मैनेजमेंट के दृष्टिकोण का सरकार ने जमकर विरोध किया था.
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार रिजर्व बैंक की इस बैठक में रिजर्व बैंक और सरकार के बीच जिन मुद्दों पर तकरार है उन पर विस्तार से चर्चा होगी. सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में लिक्विडिटी और बैंकों के लिए बेसल 3 नियमों पर चर्चा होगी.वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस विवाद में उलझने से बचते हुये कहा कि रिजर्व बैंक के साथ जो भी विचार विमर्श अथवा परामर्श होता है उसे कभी भी सार्वजनिक नहीं किया जाता है. अब देखना यह है कि तमाम कयासों के बीच उर्जित पटेल बोर्ड की बैठक में क्या निर्णय लेते हैं.