अमृतसर : पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सोमवार को कहा कि शुरुआती जांच से प्रतीत होता है कि निरंकारी भवन पर हमले के लिए इस्तेमाल किया गया ग्रेनेड पाकिस्तानी सेना के आयुध कारखाने में निर्मित ग्रेनेड के समान है.
अमृतसर के पास एक गांव में रविवार को बाइक सवार दो लोगों ने एक धार्मिक समागम में ग्रेनेड फेंका था. इस विस्फोट में एक उपदेशक सहित तीन लोगों की मौत हो गई जबकि 20 से ज्यादा लोग घायल हो गये थे. अमृतसर के राजा सांसी के समीप अदलिवाल गांव में निरंकारी भवन में निरंकारी पंथ के धार्मिक समागम के दौरान यह हमला हुआ.
पुलिस इस घटना को आतंकवादी हमला मानकर जांच कर रही है. अमरिंदर ने कहा कि निरंकारी भवन में ग्रेनेड हमले में पाकिस्तान का हाथ प्रतीत होता है और प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि इस्तेमाल किया गया ग्रेनेड पाकिस्तानी सेना के आयुध कारखाने द्वारा निर्मित ग्रेनेड के समान था. अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि अमृतसर की घटना में शामिल लोगों के संबंध में जानकारी मुहैया कराने वाले को 50 लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा.उन्होंने बताया कि इस संबंध में कोई भी सूचना पंजाब पुलिस की हेल्पलाइन 181 पर दी जा सकती है. सूचना देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाएगी.
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अमरिंदर चंडीगढ़ से अपने कैबिनेट सहयोगी और अमृतसर के विधायक नवजोत सिंह सिद्धू और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ के साथ स्थिति का जायजा लेने के लिए यहां पहुंचे.उन्होंने कहा कि पुलिस ने पिछले महीने एक आतंकवादी मॉड्यूल से इसी प्रकार के एचजी-84 हथगोले बरामद किए थे. इससे सीमा पार के देशविरोधी ताकतों के शामिल होने के संकेत मिलते हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि यह अलगाववादी ताकतों की आतंकवादी गतिविधि है जिसमें आईएसआई समर्थित खालिस्तान या कश्मीरी आतंकवादी समूहों की भागीदारी है. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने घटना को गंभीरता से लिया है और सभी पहलुओं की जांच की जा रही है. सिंह ने घटनास्थल का दौरा करने के बाद मीडियाकर्मियों से कहा कि अपराधियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) भी जांच में सहयोग कर रही है और कुछ सुराग मिले हैं.
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एनआईए की एक टीम रविवार की रात जांचकर्ताओं और विस्फोटक विशेषज्ञों के साथ मौके पर गई थी. उन्होंने पंजाब पुलिस के शीर्ष अधिकारियों के साथ भी चर्चा की. अमरिंदर ने एक प्रश्न के जवाब में कहा कि इस हमले की तुलना 1978 के निरंकारी संघर्ष के साथ नहीं जा सकती क्योंकि वह एक धार्मिक मामला था और यह घटना पूरी तरह से आतंकवाद का मामला है.
उल्लेखनीय है कि 13 अप्रैल 1978 को अमृतसर में संत निरंकारी मिशन और सिखों के बीच हुई हिंसा में 13 लोगों की मौत हो गई थी. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रारंभिक जांच के अनुसार रविवार की घटना में कोई धार्मिक मकसद नहीं था. एक प्रश्न के जवाब में सिंह ने कहा कि राज्य पहले से ही हाई अलर्ट पर है और ऐतिहासिक इमारतों और अन्य महत्वपूर्ण सार्वजनिक प्रतिष्ठानों तथा बुनियादी ढांचों के आसपास सख्त जांच की जा रही है.
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उन्होंने कहा कि सभी जिलों में पुलिस नाके बनाए गये हैं और गश्ती दल संदिग्ध वस्तुओं / गतिविधियों की तलाश में जुटे हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला और पुलिस प्रशासन को सभी महत्वपूर्ण स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की संभावना का पता लगाने के निर्देश दिये गये हैं.
सिंह घायल लोगों से मिलने के लिए अस्पताल गये और हमले में मारे गये लोगों के परिजनों के लिए नौकरियों और घायलों के मुफ्त उपचार तथा 50,000 रुपये की मदद की घोषणा की. इसके पहले मुख्यमंत्री के यहां पहुंचने पर गृह सचिव एनएस कल्सी, डीजीपी सुरेश अरोड़ा, अमृतसर के आईजी सुरिंदर पाल परमार और अमृतसर के डीसी कमलदीप ने उन्हें जांच की अब तक हुयी प्रगति की जानकारी दी.