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यहां सूखी नदी का सीना चीर कर पानी लाती हैं महिलाएं

बालाघाट:पांजरा में पीने के पानी के लिए पसीने बहाना रोजमर्रा की मजबूरी है. खैरलांजी तहसील के इस गांव में महिलाओं को तपती धूप में डेढ़ किमी का फासला तय कर पानी मुहैया होता है. यहां रोजाना पैरों व हाथों की वर्जिश का सिलसिला शुरू होता है. दरअसल, सूखी चनई नदी में एक-एक स्थान पर दर्जनभर […]

बालाघाट:पांजरा में पीने के पानी के लिए पसीने बहाना रोजमर्रा की मजबूरी है. खैरलांजी तहसील के इस गांव में महिलाओं को तपती धूप में डेढ़ किमी का फासला तय कर पानी मुहैया होता है. यहां रोजाना पैरों व हाथों की वर्जिश का सिलसिला शुरू होता है.

दरअसल, सूखी चनई नदी में एक-एक स्थान पर दर्जनभर महिलाएं पानी के लिए गड्ढा खोदकर झील बनाती है. फिर घंटों पसीना बहाकर निकले पानी को कतार लगाकर बरतनों में सहेजा जाता है. जिला मुख्यालय से करीब 90 किमी दूर पांजरा गांव में गर्मी के चलते मौजूदा जलस्रोत सूख चुके हैं. आजादी के बाद से इस गांव में पीने के पानी के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं हुए हैं. गर्मी ही नहीं बल्कि बारिश व ठंड में भी लोगों को पीने के पानी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. गांव के हैंडपंप खारा पानी उगल रहे हैं, कुओं में पानी नहीं है.

रोज खोदती हैं गड्ढा

यहां पीने के पानी की समस्या है. यहां के जलस्रोत गर्मी में सूख जाते हैं. हैंडपंपों से खारा पानी निकलता है. जिसके चलते महिलाएं नदी से पानी लाती हैं. गर्मी में नदी का पानी भी सूख जाता है. ग्रामीणों को रोज पानी के लिए नदी में गड्ढा खोदना पड़ता है.

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