नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल एवं एचएस पुरी पाकिस्तान में करतारपुर गलियारे की आधारशिला कार्यक्रम में हिस्सा लेने सीमा पार जायेंगे. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शनिवार पाकिस्तान को इस बारे में सूचित किया. पाकिस्तान में 28 नवंबर को होने वाले कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पाक के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से न्योता मिलने के कुछ देर बाद सुषमा की यह प्रतिक्रिया सामने आयी.
कुरैशी को लिखे पत्र में सुषमा ने पाकिस्तान आने का न्योता देने के लिए उनका धन्यवाद किया और कहा कि तेलंगाना में चुनाव प्रचार अभियानों को लेकर अपनी पहले की प्रतिबद्धताओं के चलते वह करतारपुर साहिब नहीं आ सकतीं, लेकिन इस कार्यक्रम में हरसिमरत कौर बादल और पुरी भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘नियत तिथि पर करतारपुर साहिब आने में मैं असमर्थ हूं. लेकिन मेरे माननीय साथी हरसिमरत कौर बादल एवं एचएस पुरी भारत सरकार की ओर से प्रतिनिधित्व करेंगे.’
सुषमा ने उम्मीद जतायी कि पाकिस्तान सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि इस गलियारे का निर्माण जल्द हो, ताकि हमारे नागरिक जल्दी से जल्दी इस गलियारे का इस्तेमाल कर गुरुद्वारा करतारपुर साहिब में दर्शन कर सकें.
मनमोहन सिंह ने फैसले का स्वागत किया
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारत के सीमावर्ती गुरदासपुर जिले को पाकिस्तान के करतारपुर के ऐतिहासिक गुरुद्वारे दरबार साहिब से जोड़ने के लिए करतारपुर गलियारा बनाये जाने के प्रस्ताव का स्वागत किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस गलियारे के दोनों देशों के लोगों के बीच पुल का काम करने संबंधी बयान के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने चेताया कि इस लक्ष्य को हासिल किये जाने से पहले अभी कई बाधाओं को पार करना है.
प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘टूवार्ड्स पीस, हारमोनी एंड हैप्पीनेस : ट्रांजिशन टू ट्रांसफॉर्मेशन’ विषयक सम्मेलन से इतर उन्होंने संवाददाताओं को बताया, ‘इसमें कई बाधाएं हैं और इन अड़चनों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए. लेकिन कोई भी शुरुआत अच्छी शुरुआत होती है, मुझे उम्मीद है यह सफल होगी.’
सिंह ने हालांकि यह नहीं बताया कि वह किन अड़चनों के बारे में सोच रहे हैं. पहले सिख गुरु गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व पर शुक्रवार को मोदी ने कहा था, ‘क्या किसी ने कभी सोचा था कि बर्लिन की दीवार गिरेगी? हो सकता है गुरु नानक देवजी के आशीर्वाद से करतारपुर गलियारा सिर्फ गलियारा न रहे, बल्कि दोनों देशों के लोगों के बीच पुल की तरह काम करे.’