बेंगलुरु : मुंबई में 26/11 को हुए हमले के 10 वर्ष पूरे हो जायेंगे. इस हमले में मेजर संदीप उन्नीकृष्णन शहीद हो गये थे, लेकिन अपने दो मंजिला इमारत वाले घर के कोने-कोने में वह आज भी जिंदा हैं. घर का गलियारा राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड कमांडो की यादों और उनके निजी लेखों के संग्रह से भरा है. उनकी बहादुरी के किस्से यहां आने वाले हर एक शख्स को बड़े ही गर्व से सुनाये जाते हैं.
इन लेखों की यहां मौजूदगी दर्दनाक जरूर है, लेकिन यहां आने वाले लोगों के लिए प्रेरणादायक भी है. मुंबई में वर्ष 2008 में 26/11 को हुए हमले में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों से लोहा लेते हुए संदीप शहीद हो गये थे. संदीप के पिता उन्नीकृष्णन ने अपने बेटे को याद करते हुए कहा कि संदीप का रवैया हमेशा जीतने वाला रहा, बिल्कुल सचिन तेंडुलकर की तरह, क्योंकि उसे तेंडुलकर पंसद था.
सेवानिवृत्त इसरो अधिकारी ने कहा, ‘संदीप चाहता था कि हमारा देश हमेशा जीते. जब भारत हारता था, वह निराश हो जाता था. इसरो के असफल होने पर भी वह मुझे सांत्वना देता था. उसे हार पसंद नहीं थी.’
संदीप के उदार रवैये पर बात करते हुए उन्नीकृष्णन कहते हैं कि वह निरंतर रूप से कई धर्मार्थ संस्थानों को पैसे दान करता रहता था. मुझे इसका एहसास उसके जाने के बाद हुआ, जब मुझे दान के लिए अनुस्मारक (रिमाइंडर) प्राप्त होने लगे.
संदीप को ताज पैलेस होटल पर हमले के दौरान अपनी सूझ-बूझ और बहादुरी का परिचय देने के लिए 26 जनवरी 2009 को ‘अशोक चक्र’ से सम्मानित किया गया था.