नयी दिल्ली : आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल मंगलवार को संसद की एक समिति के समक्ष पेश हुए. उन्होंने सरकार के नोटबंदी निर्णय का एक तरह से बचाव करते हुए सांसदों से कहा कि नोटबंदी का प्रभाव अस्थायी था और अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है.
बैठक में उपस्थित सांसदों ने कहा कि वित्त पर संसद की स्थायी समिति के समक्ष पेश पटेल सदस्यों द्वारा उठाये गये कुछ विवादास्पद मुद्दों का लिखित में जवाब देंगे. इन मुद्दों में सरकार की ओर से रिजर्व बैंक की उस धारा का प्रयोग करने का भी मुद्दा है जिसका उल्लेख इससे पहले किसी सरकार ने नहीं किया था. पटेल ने अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में अपनी बातें रखी और कहा कि अर्थव्यवस्था की बुनियाद सुदृढ़ है और तेल के दाम के चार साल के उच्च स्तर से नीचे आने से और मजबूती मिलेगी. सूत्रों ने कहा कि अर्थव्यवस्था को लेकर उनका विचार सकारात्मक था. आरबीआई गवर्नर ने समिति के सदस्यों को सूचित किया कि कर्ज में वृद्धि 15 प्रतिशत रही, मुद्रास्फीति घटकरचार प्रतिशत पर आ गयी है और जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) नकद अनुपात भी सुधरा है.
नोटबंदी से जुड़े एक सवाल के जवाब में पटेल ने कहा कि इसका प्रभाव अस्थायी था. इससे पहले, पटेल को 12 नवंबर को समिति के समक्ष उपस्थित होना था. सूत्रों के अनुसार हालांकि उन्होंने आरबीआई कानून की धारा 7 के उपयोग, फंसे कर्ज, केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता और अन्य जटिल मुद्दों पर कुछ नहीं कहा. आरबीआई गवर्नर समिति के समक्ष ऐसे समय पेश हुए हैं जब केंद्रीय बैंक तथा वित्त मंत्रालय के बीच कुछ मुद्दों को लेकर गहरा मतभेद है. इन मुद्दों में आरबीआई के पास पड़े आरक्षित कोष का उचित आकार क्या हो तथा लघु एवं मझोले उद्यमों के लिये कर्ज के नियमों में ढील के मामले शामिल हैं. पटेल ने समिति के समक्ष अर्थव्यवस्था की स्थिति के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अपनी बातें रखी. कई सदस्यों ने इस पर सवाल पूछे.
अर्थव्यवस्था को लेकर उनके विचार सकारात्मक थे. सूत्रों ने कहा, उन्होंने सरकार द्वारा विशेष शक्ति के उपयोग जैसे विवादास्पद सवालों का जवाब नहीं दिया और बुद्धिमानीपूर्वक अपनी बातें रखी. सदस्यों ने बासेल तीन के तहत बैंकों के लिए पूंजी पर्याप्तता नियम के क्रियान्वयन के बारे में सवाल पूछे. इस संदर्भ में गवर्नर ने कहा कि भारत जी-20 देशों को लेकर प्रतिबद्ध है और वैश्विक नियमों से बंधा है. बैठक के दौरान भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने ‘बिटवीन डेट एंड डेविल’ पुस्तक का हवाला देते हुए सुझाव दिया कि और नोट की छपाई से रोजकोषीय कर्ज पर लगाम लग सकता है. एक अन्य सूत्र ने कहा कि बड़ी संख्या में सवाल पूछे गये.
गवर्नर से 10 से 15 दिनों में लिखित जवाब देने को कहा गया. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षतावाली 31 सदस्यीय समिति के सदस्य हैं. बैंक खासकर सरकारी बैंक इस समय फंसे कर्ज की समस्या से जूझ रहे हैं. हाल में आईएल एंड एफएस के चूक से महत्वपूर्ण एनबीएफसी क्षेत्र के लिए नकदी संकट रहा है.