कांचीपुरम : तमिलनाडु के कांचीपुर में करीब 20 साल पहले रेलवे की परियोजना के लिए किये गये जमीन अधिग्रहण के बदले जब लोगों को बढ़ी दर से मुआवजा नहीं किया गया, तो यहां की एक अदालत ने ट्रेन का इंजन जब्त करने का आदेश सुनाया है. हालांकि, अदालत ने जिला के कलेक्टरेट से भी दो गाड़ियों को जब्त करने का आदेश दिया है. अदालती आदेश आने के बाद अधिकारियों ने रेलवे स्टेशन जाकर एक यात्री ट्रेन के इंजन को जब्ग्त करने का प्रयास भी किया.मजे की बात यह भी है कि दक्षिण रेलवे की आेर से राज्य सरकार को मुआवजे की बढ़ी दर की राशि का भुगतान किया जा चुका है. इसके बावजूद उन्हें इसका लाभ नहीं दिया गया.
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खबरों के अनुसार, तमिलनाडु के कांचीपुरम में करीब दो दशक पहले रेलवे की परियोजना के लिए लोगों की जमीन का अधिग्रहण किया था. अधिग्रहण के 20 साल बाद तक लोगों को इसके बदले में मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया. मुआवजे के भुगतान में देरी होने के बाद संबंधित लोगों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद अदालत ने अपने फैसले में ट्रेन का इंजन आैर कलेक्टरेट से दो गाड़ियों को जब्त करने का आदेश दिया गया. निचली अदालत की आेर से आदेश आने के बाद कोर्ट के अधिकारी पीड़ित याचिकाकर्ताआें के साथ शुक्रवार को स्थानीय रेलवे स्टेशन पर जाकर तिरुपति-पुडुचेरी फास्ट पैसेंजर ट्रेन के इंजन को जब्त करने का प्रयास भी किया.
दरसअल, यह मामला 1999 का है. वर्ष 1999 में रेलवे ने एक परियोजना के लिए जमीन का अधिग्रहण किया गया था. इसके लिए स्थानीय निवासी मुमताज बेगम समेत अन्य लोगों की जमीन का अधिग्रहण किया गया था. करीब दो दशक तक मुआवजा पाने की बाट जोहने के बाद पीड़ित मुमताज बेगम समेत अन्य लोगों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया आैर उससे मुआवजे की राशि दिलाने की अपील की. राज्य प्रशासन की आेर से मुआवजे की बढ़ी दर के हिसाब से संबंधित लोगों को भुगतान नहीं किया, तो संबंधित लोगों ने कांचीपुरम स्थित उप अदालत में याचिका दायर की.
इसके बाद उप अदालत ने रेलवे और राज्य सरकार की चल संपत्ति को जब्त करने का आदेश दिया. अदालत ने अपने आदेश में कांचीपुरम जंक्शन से गुजरने वाली तिरुपति-पुडुचेरी फास्ट पैसेंजर ट्रेन के इंजन और जिला कलेक्टर की दो कारें, टेबल, कुर्सी और चार कंप्यूटर भी जब्त करने का आदेश दिया.
हालांकि, दक्षिणी रेलवे के अधिकारी नेबताया कि इस संबंध में मुआवजे के लिए राज्य सरकार को पांच करोड़ रुपये की राशि दी जा चुकी है. दक्षिण रेलवे के अधिकारी ने कहा कि मुआवजे का भुगतान हम सीधे तौर पर लाभार्थी को नहीं करते हैं. चूंकि, यह मामला राज्य सरकार के राजस्व विभाग से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसके लिए सीधे तौर पर इसमें बरती गयी कोताही के लिए राज्य सरकार की जिम्मेदारी बनती है. वहीं, एक अन्य अधिकारी ने इस मामले में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.