नयी दिल्ली : देश में नाम बदलने आैर नया नाम रखने के दौर के बीच शनिवार को वामदलों ने सरकार से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को देश प्रेम दिवस के रूप में मनाने की मांग की है. वामदलों में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, फाॅरवर्ड ब्लाॅक, आरएसपी आैर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माले की आेर से जारी बयान में हर साल 23 जनवरी को मनायी जाने वाली नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को देश प्रेम दिवस के रूप में घोषित करने का आग्रह किया है. इसके साथ ही, इन पार्टियों की आेर से सरकार को यह सुझाव भी दिया गया है कि नेताजी के द्वारा गठित आजाद हिंद सरकार से संबंधित राष्ट्रीय महत्व के इतिहास को आधिकारिक रूप से संकलित किया जाना चाहिए.
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इतना ही नहीं, वामदलों ने पीएम मोदी पर नेताजी से जुड़ी विरासत के बारे में देश को गुमराह करने का भी आरोप लगाया. वामदलों ने बीते 21 अक्टूबर को लाल किले में नेताजी सुभाष चंद बोस की याद में आयोजित किये गये एक कार्यक्रम को राजनीति से प्रेरित बताया. वामदलों की आेर से जारी किये गये बयान में कहा गया है कि नेताजी ने 21 अक्टूबर, 1943 को दक्षिण पूर्व एशिया में आजाद हिंद सरकार का गठन किया था. यह एक ऐतिहासिक तथ्य है. आजाद हिंद सरकार के गठन के 75 साल पूरे होने पर समूचे देश ने नेताजी की देशभक्ति को याद किया था.
बयान में कहा गया कि पीएम मोदी ने मौके का फायदा उठाते हुए पहली बार लाल किले में तिरंगा फहराकर नेताजी को श्रद्धांजलि दी थी. वामदलों ने कहा कि पीएम मोदी ने अपने भाषण में नेताजी के बारे में बहुत कुछ कहा, लेकिन आजाद हिंद सरकार में राष्ट्रीय एकता और सांप्रदायिक सौहार्द के तथ्य को नजरअंदाज कर दिया. वामदलों ने इसे राजनीतिक से प्रेरित और नेताजी से जुड़े तथ्यपरक इतिहास के प्रति देश को गुमराह करने का आरोप लगाया.
वामदलों ने सरकार से देश भक्ति से ओतप्रोत नेताजी के जीवन से भविष्य की पीढ़ियों को अवगत कराने के लिये उनकी जयंती को देश प्रेम दिवस के रूप में घोषित करने और आजाद हिंद फौज एवं आजाद हिंद सरकार के देश के स्वतंत्रता संग्राम में महत्व को उजागर करने वाले ऐतिहासिक तथ्यों की पुष्टि कर इनका आधिकारिक तौर पर संकलन करने की मांग की है.