राजस्थान चुनाव : गानों और स्लोगनों ने बदली चुनावी फिजा!
कोटा से अंजनी कुमार सिंहराजस्थान विधानसभा चुनाव में नारों और वायदों की गूंज जहां पूरे प्रदेश में सुनायी दे रही है, वहीं प्रचार के दौरान बजनेवाले गानों और बैनर-पोस्टर पर लिखे गये स्लोगनों ने चुनाव की पूरी फिजा ही बदल दी है. राष्ट्रीय स्तर पर तैयार नारों के साथ ही स्थानीय स्तर पर बजनेवाले नारों […]
कोटा से अंजनी कुमार सिंह
राजस्थान विधानसभा चुनाव में नारों और वायदों की गूंज जहां पूरे प्रदेश में सुनायी दे रही है, वहीं प्रचार के दौरान बजनेवाले गानों और बैनर-पोस्टर पर लिखे गये स्लोगनों ने चुनाव की पूरी फिजा ही बदल दी है. राष्ट्रीय स्तर पर तैयार नारों के साथ ही स्थानीय स्तर पर बजनेवाले नारों ने माहौल को पूरा चुनावी बना डाला है. हालांकि, इन नारों और स्लोगनों को जनता जितनी चाव से सुनती और पढ़ती है, उससे उनके विचार कितना बदल पायेंगे, यह कहना जल्दबाजी होगी.
कांग्रेस ने ‘बूथ जिताओ, भ्रष्टाचार मिटाओं’ के नारे के साथ अपने चुनावी रथ को आगे कर दिया है, वहीं भाजपा की तरफ से ‘जय-जय राजस्थान’, ‘सबका साथ-सबका विकास’ और ‘हर बूथ भाजपा को-हर वोट भाजपा को’ आदि नारे चल निकले हैं. भाजपा का ‘भाजपा फिर से’ और कांग्रेस का ‘कांग्रेस आये विकास लाये’ नारा भी पूरे प्रदेश में खूब गूंज रहा है. इन नारों के साथ ही स्थानीय स्तर पर पार्टी प्रत्याशी द्वारा भी नारे गढ़े जा रहे हैं. जिससे उनके पक्ष में माहौल बनाया जा सके. इतना ही नहीं, एक प्रत्याशी द्वारा कराये गये कामों को दूसरे प्रत्याशी द्वारा अपने गानों में हाईजैक कर लेने के साथ ही हर दल एक-दूसरे पर आरोप भी मढ़ रहे हैं.
कोटा के नयापुरा चौराहे पर अचानक ‘बब्बर शेर आयो, बब्बर शेर आयो’ की आवाज राजस्थानी धुनों पर गूंजने लगती है, जिसे सुनकर एकबारगी लगता है कि कांग्रेस ने कोई नारा बनाया हो, लेकिन गाने की अगली पंक्ति- ‘चीते की चाल, बाज की नजर और प्रहलाद गुंजल की जीत को रोकना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है. प्रहलाद गुंजन जिंदाबाद, आयो बब्बर शेर आयो’ से स्पष्ट होता है कि यह गाना भाजपा प्रत्याशी के प्रचार में बज रहा है. उत्तरी कोटा से कांग्रेस के उम्मीदवार शांति धारीवाल इस गाने पर आपत्ति जताते हुए कहते हैं कि इससे लगता है कि भाजपा प्रत्याशी मतदाता को डराने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन उनका यह रौब मतदाता पर चलनेवाला नहीं है.
वहां से आगे बढ़ने पर महर्षि नवल सर्किल के पास कांग्रेस की प्रचार गाड़ी खड़ी है. प्रचार गाड़ी से बजनेवाले गाने, ‘कोटा को विकास करायो, हाड़ौती को चमन बनायो. चंबल पर पुल बनवायो, कोटा का मान बढ़ायो. थोड़ो नाम का हड़ौती में डंको बाजे रे, जो कांग्रेस के लाडलो धारीवाल रे’ पर भाजपा उम्मीदवार प्रहलाद गुंजल बताते हैं कि कोटा का मान, चंबल पर पुल ,सेवन वंडर आदि उनके कार्यकाल में पूरा हुआ है, लेकिन धारीवाल इसका श्रेय लेने की असफल कोशिश कर रहे हैं. अब जनता ही इसका फैसला करेगी.
आम आदमी पार्टी का भले ही कोई जनाधार नहीं हो, लेकिन मुस्लिम प्रत्याशी को खड़ा कर आम आदमी पार्टी कुछ वोट अपने पाले में करने में जुटी है. आप के कैसेट तो दिल्ली से भेजे गये हैं, लेकिन आप के प्रत्याशी मोहम्मद हुसैन की जीत का दावा किया जा रहा है. उनके समर्थन में घूम रही गाड़ी पर बजनेवाला गाना- ‘भ्रष्टाचार मिटायेंगे, उत्तर कोटा चमकायेंगे. माेहम्मद हुसैन को जीतायेंगे, आप पार्टी लायेंगे. झाड़ू फिर से चलायेंगे…’ दिल्ली चुनाव की याद ताजा कर देती है.
स्थानीय स्तर पर बजनेवाले ऐसे गाने से लोगों का मनोरंजन जरूर हो रहा है, लेकिन ऐसे नारों पर जनता भरोसा करने काे तैयार नहीं है. कांग्रेस-भाजपा की प्रचार गाड़ी स्टेशन रोड की ओर जाती है और जहां-जहां पब्लिक की भीड़ होती है, उन जगहों पर कुछ देर रुककर फिर आगे बढ़ जाती है. लोग उत्सुकता से प्रचार गाड़ी पर बजनेवाले गाने को सुनते जरूर हैं, लेकिन उनके मन पर शायद ही इन प्रचारों का कोई असर पड़ता है. स्टेशन रोड पर करौली वाले आभूषण के दुकानदार संजय सोनी बताते हैं कि ऐसे प्रचार से मतदाता के ऊपर किसी तरह का कोई फर्क नहीं पड़ता है. क्योंकि, ‘ना तो कांग्रेस खिलायेगी, ना बीजेपी खिलायेगी, हमें तो अपनी मेहनत से ही खाणों है.’
भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के होर्डिंग-पोस्टर से चौक-चौराहे पटे हुए हैं. होर्डिंग-पोस्टर को देखकर यह अनुमान लगाना कठिन है कि किस उम्मीदवार का पलड़ा भारी है. सबके अपने-अपने दावे और वादे हैं. भाजपा प्रत्याशी के होर्डिंग, बैनर, पोस्टर जहां ‘उत्तर का विकास, गुंजन पर विश्वास’ से पटा हुआ है, वहीं कांग्रेस का ‘महंगा सिलेंडर महंगा तेल, भाजपा को कर दो इस बार ढेर’ जैसे स्लोगनों से भरे हुए हैं. आप पार्टी भी इसमें पीछे नहीं है. उसके बैनर दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल से पटे हैं, जिसके स्लोगन हैं- ‘करो तैयारी जीत की’, ‘आप ने बदली है दिल्ली, अब बदलेंगे राजस्थान.’ सोशल मीडिया के आने के बाद ऐसे स्लोगनों, पोस्टरों और बैनरों से प्रत्याशी को कितना फायदा मिलेगा, यह तो समय ही बतायेगा, लेकिन मतदाता पहले के मुकाबले आज काफी जागरूक हैं. तभी तो दशकों से पान की दुकान संभाल रहे मान सिंह पान भंडार के अमित मीणा कहते हैं- ‘अठि कोई फर्क ना पड़ो. सबे होसियार हों. सब मानस बना चुको हो.’