जो मेवाड़ जीतेगा, वही राजस्थान जीतेगा, इस संभाग में सबसे ज्यादा चर्चित सीट उदयपुर
उदयपुर से अंजनी कुमार सिंह मेवाड़ का राजस्थान की राजनीति में खासा महत्व है. ऐसा माना जाता है कि मेवाड़ में जीत हासिल करने वाला ही जयपुर की गद्दी हासिल करता है. पूर्व के चुनाव परिणाम इस बात को साबित करते हैं. यही कारण है कि कांग्रेस और भाजपा, दोनों मेवाड़ में पूरी ताकत से […]
उदयपुर से अंजनी कुमार सिंह
मेवाड़ का राजस्थान की राजनीति में खासा महत्व है. ऐसा माना जाता है कि मेवाड़ में जीत हासिल करने वाला ही जयपुर की गद्दी हासिल करता है. पूर्व के चुनाव परिणाम इस बात को साबित करते हैं. यही कारण है कि कांग्रेस और भाजपा, दोनों मेवाड़ में पूरी ताकत से लगे हुए है. भाजपा जहां अपनी सीट बचाने की जद्दोजहद कर रही है, वहीं कांग्रेस की कोशिश भाजपा की जीती सीटों को वापस पाने की है.
प्रशासनिक तौर पर उदयपुर संभाग के नाम से जाने जाने वाले इस क्षेत्र में ,उदयपुर, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, डुंगरपुर, भीलवाड़ा और सिरोही जिले का कुछ हिस्सा शामिल है, लेकिन इस संभाग की सबसे ज्यादा चर्चित सीट उदयपुर है.
यहां से मौजूदा सरकार के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया चुनाव मैदान में हैं. वहीं कांग्रेस से पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ नेता गिरिजा व्यास चुनाव मैदान में है. जैन बहुल इस सीट से भाजपा के बागी नेता दलपत सुराणा के मैदान में उतरने से मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है.
वैसे उदयपुर में विधानसभा की आठ सीटें है और इनमें से छह सीटें बचाना भाजपा के लिए चुनौती है. खुद राज्य के गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया चुनावी चक्रव्यूह में फंसे दिख रहे हैं.
देहली गेट, बापू बाजार, खोजी पीठ, सलावट बारी, मलतनई इलाकों में लोगों की सरकार के प्रति नाराजगी है. लोग शहर की समस्याओं से परेशान है.
लोगों का कहना है कि सरकार इस क्षेत्र की जनता के लिए कुछ नहीं कर पायी है, जबकि कटारिया सरकार के मंत्री हैं. बटियानी चोटा के कांग्रेस समर्थक गीता पालीवाल कहती हैं, मेवाड़ के लिए गिरिजा व्यास जरूरी हैं. वहीं, रमेश कटारिया कहते हैं कि भाजपा प्रत्याशी ने जितने काम कराये हैं, उतने पिछले 50 सालों में किसी ने नहीं कराये होंगे. कांग्रेस सिर्फ सरकार के खिलाफ अफवाह फैलाने में जुटी है. चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस का भ्रम टूट जायेगा.
उदयपुर के भाजपा कार्यालय के पास गहमागहमी है. भाजपा कार्यकर्ता अपनी जीत का दावा जरूर कर रहे हैं, लेकिन भाजपा के ही वरिष्ठ नेता दलपत सुराणा के निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर जाने से सभी सशंकित दिखते हैं. कटारिया और सुरेणा दोनों स्वजातीय हैं.
वहीं, जिंक कॉलोनी में कांग्रेस प्रत्याशी गिरिजा व्यास के चुनाव कार्यालय में गहमागहमी ज्यादा है. वहां आने वाले लोग क्षेत्र की दिनभर की रिपोर्टिंग करते हैं और फिर गिरिजा व्यास के अगले दिन का कार्यक्रम तय होता है. जीके गुप्ता कहते हैं कि मैडम की जीत पक्की है, जीत के अंतर ज्यादा हो, इस पर काम किया जा रहा है. यहां पर एक ओर जहां कार्यकर्ता चुनावी रणनीति में लगे हैं, वहीं दूसरी ओर गिरिजा व्यास की भाभी पुष्पा शर्मा बाहर से आये लोगों को खाने के लिए पूछना नहीं भूलती हैं.
मेवाड़ में 28 विस सीटें हैं, जिनमें से 19 सीटें एससी-एसटी के िलए
विधानसभा के लिहाज से मेवाड़ में 28 सीटें हैं, जिनमें से 19 सीटें अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. 1952 से लेकर पिछले 14 विधानसभा चुनावों तक उदयपुर विधानसभा से कांग्रेस 5, भाजपा 6 तथा अन्य पार्टियों को तीन बार जीत मिली है.
राजनीतिक रूप से मेवाड़ के महत्व का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि राज्य पर सबसे अधिक दिनों तक शासन करने वाले मोहन लाल सुखाड़िया मेवाड़ के ही रहे हैं. बड़े नेताओं ने मेवाड़ को ही अपनी कर्मभूमि माना, क्योंकि वे जानते थे कि मेवाड़ के बिना जयपुर पर राज नहीं किया जा सकता. कांग्रेस के दिग्गज नेता सीपी जोशी और गिरिजा व्यास मेवाड़ से ही आते हैं. हरिदेव जोशी, शिवचरण माथुर से लेकर हीरालाल देवपुरा और गुलाबचंद कटारिया का राजस्थान की राजनीति में अच्छा खासा असर है. हरिदेव जोशी, मोहन लाल सुखाड़िया और अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद तक पहुंचाने में मेवाड़ का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. इनमें से कई नेता चुनावी मैदान में आज भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.