नयी दिल्ली: संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के कार्यकाल में हुए कोयला घोटाला मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को एक खदान आवंटन में गड़बड़ी करने के आरोप में पूर्व कोयला सचिव एससी गुप्ता को तीन साल की सजा सुनायी. हालांकि, पटियाला हाउस कोर्ट ने थोड़ी देर बाद श्री गुप्ता और दो अन्य नौकरशाहों को जमानत दे दी.
अदालत ने दो अन्य नौकरशाह केएस क्रोफा और केसी समारिया को भी तीन-तीन साल की सजा सुनायी. विशेष न्यायाधीश भरत पराशर ने दोषी ठहराये गये अन्य व्यक्तियों विकास मेटल्स एंड पावर लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विकास पाटनी और कंपनी के अधिकृत हस्ताक्षरी आनंद मलिक को चार-चार साल जेल की सजा सुनायी.
अदालत ने विकास मेटल्स और पावर लिमिटेड कंपनी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया. सीबीआई ने पांच दोषी ठहराये गये व्यक्तियों के लिए अधिकतम पांच साल की सजा और निजी कंपनी पर भारी जुर्माना लगाने की मांग की थी. इस अपराध में अपराधी ठहराये गये दोषियों को न्यूनतम एक साल और अधिकतम सात साल जेल की सजा हो सकती है.
अदालत ने 30 नवंबर को कोयला मंत्रालय के पूर्व संयुक्त सचिव क्रोफा और मंत्रालय में तत्कालीन निदेशक (सीए-I) समारिया को दोषी ठहराया था. आदेश में कंपनी, पाटनी और मलिक को भी दोषी ठहराया गया था.
संबंधित मामले में पश्चिम बंगाल में मोइरा और मधुजोर (उत्तर और दक्षिण) कोयला ब्लॉक वीएमपीएल को आवंटन में कथित अनियमितता का था. सितंबर, 2012 में सीबीआई ने मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की थी.