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सोहराबुद्दीन और प्रजापति के फर्जी मुठभेड़ मामले में 21 दिसंबर को आ सकता है फैसला

मुंबई : सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति के कथित फर्जी मुठभेड़ से जुड़े मामले में एक विशेष सीबीआई अदालत 21 दिसंबर को फैसला सुना सकती है. फिलहाल इस मामले में 22 आरोपी मुकदमे का सामना कर रहे हैं जिसमें अधिकतर गुजरात और राजस्थान के पुलिसकर्मी हैं. न्यायाधीश एस जे शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि […]

मुंबई : सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति के कथित फर्जी मुठभेड़ से जुड़े मामले में एक विशेष सीबीआई अदालत 21 दिसंबर को फैसला सुना सकती है. फिलहाल इस मामले में 22 आरोपी मुकदमे का सामना कर रहे हैं जिसमें अधिकतर गुजरात और राजस्थान के पुलिसकर्मी हैं.

न्यायाधीश एस जे शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि वह 21 तारीख को फैसला सुनाएंगे. न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मुझे करीब 14 दिन की जरूरत है. मुझे विश्वास है कि मैं इसे 21 दिसंबर तक पूरा कर लूंगा अगर मैं 21 दिसंबर तक पूरा नहीं कर पाया तो मैं 24 दिसंबर को फैसला सुनाउंगा. लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि मैं 21 दिसंबर तक काम पूरा कर लूंगा.” इस कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में सीबीआई ने 38 लोगों को आरोपी बनाया था जिसमें से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह (जो उस वक्त राज्य के गृह मंत्री थे) और सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों समेत 16 आरोपियों को मामले में बरी किया जा चुका है .
इससे पहले सीआरपीसी की धारा 313 के तहत उनके बयान दर्ज करने के दौरान अधिकांश आरोपियों ने निर्दोष होने का दावा करते हुए कहा कि जांच एजेंसी ने उन्हें गलत तरीके से फंसाया है. धारा 313 के तहत गवाहों की पूछताछ के बाद आरोपी को बयान दर्ज कराने के लिये एक अंतिम मौका दिया जाता है. आरोपी अब्दुल रहमान ने इससे पहले अदालत को बताया, ‘‘मेरे खिलाफ आरोप पत्र जाली गवाहों के आधार पर तैयार किया गया था. मैं निर्दोष हूं. मैंने किसी पुलिस मुठभेड़ में हिस्सा नहीं लिया.”
सीबीआई के मुताबिक, तब राजस्थान पुलिस के निरीक्षक अब्दुल रहमान मुठभेड़ दल का हिस्सा थे और शेख पर गोली चलाई थी. रहमान ने सीबीआई के उस दावे से भी इनकार किया कि उसने शोहराबुद्दीन शेख मामले में एफआईआर दायर की थी. प्रजापति पर गोली चलाने के आरोपी आशीष पांड्या ने अदालत को बताया कि उसने आत्मरक्षा में गोली चलाई थी और वह अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे थे. पांड्या ने कहा, ‘‘मुठभेड़ असली थी. मैंने आत्मरक्षा में प्रजापति पर गोली चलाई थी.” उसने कहा कि वह अपने आधिकारिक दायित्व का निर्वहन कर रहा था. पांड्या मुठभेड़ के वक्त गुजरात पुलिस में उप निरीक्षक थे और एसटीएफ का हिस्सा थे.

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