नयी दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र से पहले विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरने की रणनीति तैयार करने के मकसद से कांग्रेस सहित 21 विपक्षी दलों के नेता एकजुट हुए.
बैठक में सहमति बनी है कि ‘संविधान और संस्थाओं की रक्षा करने’ तथा भाजपा को कराने के लिए वे मिलकर लड़ेंगे. बैठक के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि विपक्षी दल संसद के भीतर और बाहर मोदी सरकार को घेरेंगे. गांधी ने संवाददाताओं से कहा, बैठक में यह सहमति बनी है कि संस्थाओं और संविधान पर भाजपा के हमले को रोकना है.
राफेल और नोटबंदी तथा दूसरे क्षेत्रों में भाजपा का भ्रष्टाचार अस्वीकार्य हैं और हम इसके खिलाफ लड़ेंगे. यह भी सहमति बनी है कि हम मिलकर भाजपा और आरएसएस को हराएंगे. संसद के भीतर और बाहर हम तालमेल बनाए रखेंगे. उन्होंने कहा, यह (विपक्षी दलों की बैठक) चलने वाली प्रक्रिया है. सभी साथ आ रहे हैं. इस कक्ष की आवाज देश में विपक्ष की आवाज है. हम हर आवाज का सम्मान करते हैं. हमें मिलकर भाजपा को हराना है और इस देश की संस्थाओं की रक्षा करनी है.’
तेलुगू देसम पार्टी (तेदेपा) प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू ने कहा, यह ऐतिहासिक बैठक हुई. जो भी भाजपा का विरोध कर रहे हैं और संस्थाओं और भारत को बचाना चाहते हैं वो साथ आये हैं. यह राष्ट्र की आवाज है. उन्होंने कहा, इस सरकार को जाना चाहिए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो देश का बड़ा नुकसान हो सकता है.
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नायडू ने कहा कि विपक्षी दलों के बीच समन्वय को लेकर कार्ययोजना बनेगी तथा विपक्ष के नेता राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मुलाकात कर सकते हैं. गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा के खिलाफ मोर्चा बनाने के लिए हुई विपक्षी नेताओं की बैठक में बसपा और सपा ने भाग नहीं लिया.
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम विधानसभा चुनावों के नतीजों की घोषणा से एक दिन पहले विपक्षी दलों के नेताओं ने मुलाकात की है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू द्वारा बुलाई गई बैठक में कांग्रेस सहित कुल 16 विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए.
बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं एचडी देवगौड़ा, कांग्रेस की शीर्ष नेता सोनिया गांधी, पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी तथा पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, ए के एंटनी, अशोक गहलोत, मल्लिकार्जुन खड़गे एवं गुलाब नबी आजाद शामिल हुए.
संसद भवन सौंध में हो रही बैठक में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह एवं भगवंत मान, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार एवं प्रफुल्ल पटेल, तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी, नेशनल कान्फ्रेंस (नेकां) के प्रमुख फारुक अब्दुल्ला, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी और भाकपा के महासचिव एस सुधाकर रेड्डी एवं सचिव डी राजा ने भाग लिया.
इनके साथ ही तेदेपा के चंद्रबाबू नायडू, के. राममोहन एवं वाईएस चौधरी, द्रमुक के अध्यक्ष एमके स्टालिन, कनिमोई एवं टीआर बालू, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव, मनोज झा एवं जयप्रकाश नारायण यादव, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के हेमंत सोरेन, राष्ट्रीय लोक दल के अजित सिंह, लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव, केरल कांग्रेस (एम) के एमके मणि, एआईयूडीएफ के बदरूद्दीन अजमल, झारखंड विकास मोर्चा के बाबू लाल मरांडी, हिंदुस्तान अवामी मोर्चा (हम) के जीतन राम मांझी, जद(एस) के दानिश अली, आईयूएमएल के पीके कुनालीकुट्टी, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन और एनपीएफ के केजी केने भी इस बैठक में शामिल हुए.
विपक्षी एकजुटता एवं शीतकालीन सत्र में सरकार को घेरने की रणनीति के अलावा यह बैठक इस मायने में महत्वपूर्ण है कि यह मध्य प्रदेश,छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम विधानसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा और संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से एक दिन पहले हुई है. भाजपा ने विपक्ष की इस बैठक को फोटो खिंचवाने का मौका करार दिया है.
पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने आरोप लगाया कि भ्रष्ट लोगों की यह बैठक खुद को बचाने के लिए है. भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने इस बैठक को तवज्जो न देते हुए रविवार को कहा था कि मोदी सरकार को बेदखल करने के बारे में सोचने से पहले विपक्षी दलों को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करना चाहिए. यह बैठक पहले 22 नवंबर को बुलाने की योजना थी, लेकिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने की वजह से इसे टाल दिया गया था.