विधानसभा चुनाव 2018 के चुनाव परिणामों के बाद फिर सत्ता के केंद्र में आयी कांग्रेस

नयी दिल्ली : मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों का राष्ट्रीय राजनीति पर असर पड़ना तय है. हिंदी पट्टी के तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जीत से भाजपा की 2019 की राह कठिन हुई हैं. 2014 के बाद पहली बार भाजपा और कांग्रेस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 12, 2018 10:33 AM


नयी दिल्ली :
मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों का राष्ट्रीय राजनीति पर असर पड़ना तय है. हिंदी पट्टी के तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जीत से भाजपा की 2019 की राह कठिन हुई हैं. 2014 के बाद पहली बार भाजपा और कांग्रेस की सीधी लड़ाई में कांग्रेस ने जीत हासिल की है और इससे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का कद बढ़ना तय है.

लेकिन अगर आंकड़ों पर गौर करें तो मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पिछले 15 साल से भाजपा की सरकार थी. वहीं राजस्थान में पांच साल बाद सरकार बदलने की परंपरा रही है. लेकिन मध्य प्रदेश और राजस्थान में एंटी इनकंबेंसी के बावजूद कांग्रेस शानदार जीत हासिल नहीं कर पायी. वहीं तेलंगाना में महागठजोड़ बनाने के बावजूद ‘तेलंगाना राष्ट्र समिति’ (टीआरसी) की ऐतिहासिक जीत से 2019 में महागठबंधन की सफलता को लेकर संशय की स्थिति पैदा हो गयी है. मिजोरम की हार के बाद कांग्रेस उत्तर-पूर्व के राज्यों में हाशिये पर पहुंच गयी है. वहीं भाजपा के लिए चिंता की बात यह है कि छत्तीसगढ़ में बिना मजबूत नेता और सांगठनिक क्षमता के बावजूद कांग्रेस शानदार प्रदर्शन करने में कामयाब रही.

हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद कांग्रेस का मनोबल बढ़ेगा. लेकिन इस जीत से कांग्रेस के लिए समस्या भी पैदा हो सकती है. इससे कांग्रेस के महागठबंधन बनाने की कोशिशों को झटका लग सकता है, क्योंकि अधिकांश क्षेत्रीय पार्टियां कमजोर कांग्रेस के साथ गठबंधन करना बेहतर समझती हैं. बसपा प्रमुख मायावती पहले ही कांग्रेस के रवैये पर नाखुशी जाहिर कर चुकी है. लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इन परिणामों से भाजपा की 2019 की राह मुश्किल हुई है. राजनीतिक विश्लेषक मनीषा प्रियम का कहना है कि हिंदी पट्टी के चुनाव नतीजों से राजनीतिक विमर्श बदला है.

अब किसान, युवा, गरीब और ग्रामीण इलाके राजनीतिक विमर्श के केंद्र में आ गये है. भाजपा को आगामी लोकसभा चुनाव में जीत के लिए नये साथियों की तलाश करनी होगी और भाजपा को नया राजनीतिक विमर्श तैयार करना होगा. एक बात साफ है कि इन नतीजों से कांग्रेस 2014 के बाद पहली बार फिर सत्ता के केंद्र में खड़ी दिख पा रही है.

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