14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मध्यप्रदेश में चूक गये चौहान : मतदान में जीती बीजेपी, मतगणना में हार गयी

मिथिलेश झा मध्यप्रदेश में चौहान चूक गये, क्योंकि ये एमपी अजब है. यहां की जनता गजब है. यहां के चुनाव अजब हैं, चुनाव परिणाम गजब हैं. जी हां, देश के दिल मध्यप्रदेश की जनता के दिल में क्या था, कोई नहीं भांप पाया. यहां मत तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को ज्यादा मिले, लेकिन मतगणना […]

मिथिलेश झा

मध्यप्रदेश में चौहान चूक गये, क्योंकि ये एमपी अजब है. यहां की जनता गजब है. यहां के चुनाव अजब हैं, चुनाव परिणाम गजब हैं. जी हां, देश के दिल मध्यप्रदेश की जनता के दिल में क्या था, कोई नहीं भांप पाया. यहां मत तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को ज्यादा मिले, लेकिन मतगणना में सीटें कांग्रेस के खाते में ज्यादा आयीं. इस तरह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जीतकर भी हार गये, लेकिन ‘बाजीगर’ कोई और बनेगा. यहां जीतकर हारने वाला ‘बाजीगर’ नहीं कहलाता.

इसे भी पढ़ें : राजस्थान में फंसा मुख्यमंत्री का पेच, सचिन ने कही यह बात

पंद्रह साल तक मध्यप्रदेश में शासन करने के बाद भाजपा के हाथ से यह राज्य निकलकर कांग्रेस के खाते में चला गया. इस जीत पर कांग्रेस बेहद गौरवान्वित है. कांग्रेस कह रही है कि मध्यप्रदेश की जनता ने बीजेपी सरकार को खारिज कर दिया है. शिवराज के शासन को नकार दिया है. लेकिन, सच यह नहीं है. लोकतंत्र में जीत और हार जनता तय करती है. जिस प्रत्याशी को ज्यादा मत मिलते हैं, वह जीतता है. इस हिसाब से मध्यप्रदेश में बीजेपी जीत चुकी है.

चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि इस राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा को 1,56,42,980 वोट मिले हैं, जबकि कांग्रेस को 1,55,95,153 मत. दोनों पार्टियों के मतों का अंतर देखें, तो भाजपा को कांग्रेस को मिले कुल मत से 47,827 वोट ज्यादा मिले हैं. कांग्रेस के हिस्से 40.9 फीसदी वोट आये, तो भाजपा को 41 फीसदी वोट मिले. इस तरह 0.1 फीसदी ज्यादा वोट पाकर भी भाजपा अपने ही गढ़ में बहुमत से दूर रह गयी. चौहान चूक गये.

इसे भी पढ़ें : राजस्थान विधानसभा के चुनाव परिणाम 2018 : एक-एक सीट का ब्योरा, पढ़ें, कौन जीता, कौन हारा

पिछले चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें, तो इस साल कांग्रेस का प्रदर्शन बढ़िया रहा. कांग्रेस को वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में 36.79 फीसदी वोट मिले थे. इसमें 04.11 फीसदी मतों का इजाफा हुआ है, जबकि भाजपा को 2013 में मिले मतों के मुकाबले इस साल 4.19 फीसदी मत कम आये. यानी कांग्रेस को 2013 के मुकाबले जितना फायदा हुआ, भाजपा को उससे ज्यादा नुकसान हुआ. 2013 में भाजपा को 45.19 फीसदी मत मिले थे और इस साल उसे 41 फीसदी मत मिले हैं, जबकि कांग्रेस के पक्ष में 2018 में 40.9 फीसदी लोगों ने मतदान किया. यह भाजपा को मिले मत से 0.1 फीसदी कम है.

NOTA का कम हुआ इस्तेमाल

इस साल के चुनाव में लोगों ने NOTA यानी इनमें से कोई नहीं (None of the Above) का बटन पिछले साल की तुलना में कम दबा. वर्ष 2013 के चुनावों में 1.9 फीसदी लोगों ने नोटा दबाया था, जबकि इस साल महज 1.5 फीसदी लोगों ने इस बटन का विकल्प चुना.

मप्र में बसपा की ताकत घटी

वर्ष 2013 के चुनावों में मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने चार सीटें जीती थीं. इस बार उसकी सीटें घटकर दो रह गयीं. वहीं, समाजवादी पार्टी, जिसका पिछली बार खाता नहीं खुला था, इस बार अपना खाता खोलने में कामयाब रही. ये दोनों पार्टियां कांग्रेस को समर्थन देने का एलान कर चुकी हैं. हालांकि, कांग्रेस से बागी हुए नेता, जो निर्दलीय चुनाव जीतकर आये हैं, उन्होंने भी कांग्रेस के साथ जाने के संकेत दे दिये हैं. इसलिए कांग्रेस को सरकार बनाने में कोई दिक्कत पेश नहीं आयेगी.

शिवराज ने दिया इस्तीफा

कांग्रेस ने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है. वहीं, शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. मामा ने कांग्रेस को जीत की बधाई दी और जनता के फैसले को स्वीकार किया. जोड़-तोड़ करके सरकार बनाने की कोशिश करने की बजाय उन्होंने विपक्ष में बैठने का फैसला किया और राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें