भोपाल/जयपुर : मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ का गढ़ तो कांग्रेस ने अपने नाम कर लिया, लेकिन इन राज्यों में मुख्यमंत्री कौन होगा, यह मसला फंसगया है. कांग्रेस हाइकमान के लिए सबसे बड़ी परेशानी पार्टी की गुटबाजी को शांत करते हुए सर्वसम्मति से एक नाम तय करने की है.
इस बीच, मध्यप्रदेश आैर राजस्थान मेंविधायक दलकेनेता के चयन के लिएनवनिर्वाचित विधायकों की बैठकहुई जिसमें एक प्रस्ताव पारित कर पार्टी हाइकमान को नेता चुनने की जिम्मेदारी सौंप दी गयी. मध्यप्रदेश में विधायक दल का नेता चुनने के लिए नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायकों की बैठक बुधवार को भोपाल में हुई. बैठक में मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ एवं प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष और गुना से सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी माैजूद हैं.
यहां कांग्रेस हाइकमान के सामने सबसे बड़ी दुविधा सीएम के चेहरे की घोषणा की है. यहां कमलनाथ व ज्योतिरादित्य के बीच दबाव की राजनीति की सूचना है. कमलनाथ और ज्योतिरादित्य के समर्थक सड़क पर उतरआये और अपने नेता को मुख्यमंत्री बनाने के लिए जमकर नारेबाजी की. इससे पहले, मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने कमलनाथ से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद ऐसी चर्चाएं शुरू हो गयीं कि दिग्विजय ने कमलनाथ के नाम को एक तरह से अपना समर्थन दिया है. चुनाव से पहले दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य के बीच तनातनी की खबरें भी सामने आयी थीं. हालांकि, दोनों नेताओं ने इस तरह की सभी खबरों का खंडन किया था.
इससे पूर्व मध्य प्रदेश में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात कर अपने 121 विधायकों की सूची सौंपी. बता दें कि मध्यप्रदेश कांग्रेस को 114, बसपा को दो, सपा कोएक और निर्दलीय विधायकों कोचार सीट पर जीत मिली है, जबकि भाजपा को 109 सीटें मिली हैं. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने राजभवन के बाहर संवाददाताओं को बताया, प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में बसपा के दो, सपा के एक और चार निर्दलीय के समर्थन से कांग्रेस के पास समर्थन का कुल आंकड़ा 121 विधायकों का है.
इससे पहले मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार की जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपना इस्तीफा प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को राजभवन में सौंपा. उन्होंने कहा, पराजय की जिम्मेदारी सिर्फ मेरी, मेरी और मेरी है. चौहान ने बताया, जनता का भरपूर प्यार भी मिला. कार्यकर्ताओं का भरपूर प्यार भी मिला. वोट भी हमें (कांग्रेस से) थोड़ा ज्यादा मिल गये, लेकिन संख्या बल में (कांग्रेस से) पिछड़ गये. इसलिए मैं संख्या बल के सामने शीश झुकाता हूं. उन्होंने कहा, हमने फैसला किया है कि स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के कारण हम सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करेंगे. चौहान ने बताया, (मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष) कमलनाथ को (कांग्रेस की जीत के लिए) मैंने शुभकामनाएं दी हैं. बधाई दी है. इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा को 41 प्रतिशत मत हासिल हुए, जबकि कांग्रेस को इससे थोड़ा कम 40.9 प्रतिशत वोट मिले. शिवराज सिंह चौहान वर्ष 2005 से मुख्यमंत्री थे और वह प्रदेश के सबसे लम्बे कार्यकाल तक मुख्यमंत्री रहे हैं.