आतंकियों ने 17 साल पहले लोकतंत्र के मंदिर पर किया था हमला, बरसी आज

13 दिसंबर, 2001 को सफेद एंबेसडर से परिसर में घुसे थे आतंकी 13 दिसंबर 2001, यह वह तारीख है, जिसे भुलाना भारतीयों के लिए आसान नहीं होगा. इसी दिन लोकतंत्र के मंदिर (संसद) पर हमला हुआ था. दहशत के वह 45 मिनट के गुरुवार को 17 साल हो गये. सफेद रंग की एंबसेडर कार से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 13, 2018 6:48 AM

13 दिसंबर, 2001 को सफेद एंबेसडर से परिसर में घुसे थे आतंकी

13 दिसंबर 2001, यह वह तारीख है, जिसे भुलाना भारतीयों के लिए आसान नहीं होगा. इसी दिन लोकतंत्र के मंदिर (संसद) पर हमला हुआ था. दहशत के वह 45 मिनट के गुरुवार को 17 साल हो गये. सफेद रंग की एंबसेडर कार से आये आतंकियों ने ताबड़तोड़ गोलियों की बौछार कर पूरे संसद भवन को हिला कर रख दिया था. लेकिन, हमारे बहादुर जवानों के हाथों आतंकियों को मुंह की खानी पड़ी थी.

आतंकियों का सामना करते हुए दिल्ली पुलिस के पांच जवान, सीआरपीएफ की एक महिला कांस्टेबल और संसद के दो गार्ड शाहीद हो गये थे, जबकि 16 अन्य जवान घायल हो गये थे. इस हमले के पीछे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का मुखिया मसूद अजहर का हाथ था. हमले में चार आतंकी मोहम्मद अफजल गुरु, शौकत हुसैन, अफसान और प्रो सैयद अब्दुल रहमान गिलानी शामिल थे.

हमले के बाद संसद की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गयी है. संसद भवन के अंदर सीआरपीएफ, दिल्ली पुलिस और क्यूआरटी को तैनात किया गया है. मुख्य जगहों पर अतिरिक्त स्नाइपर भी तैनात किये गये हैं. इसके साथ न दिखने वाला सुरक्षा कवर भी बढ़ा दिया गया है. किसी भी अप्रिय स्थिति को रोकने के लिए आतंक निरोधी दस्ते लगातार औचक निरीक्षण कर रहे हैं. बता दें कई तरह के उच्च तकनीक वाले उपकरण जैसे बुम बैरियर्स और टायर बस्टर्स लगाने में करीब 100 करोड़ रुपये खर्च किये गये.

मास्टरमाइंड है आतंकी मसूद

मसूद अजहर संसद हमले का मास्टरमाइंड है. मसूद ने 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हमला कराया था. इससे पहले, अक्तूबर 2001 में ही जम्मू-कश्मीर विस पर हमला कराया था. इसके अलावा, पंजाब के पठानकोट में वायुसेना की छावनी पर भी हमला कराया. फिलहाल, वह पाक में रहकर भारत के खिलाफ जहर उगल रहा है.

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