भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों, प्रदेश प्रमुखों की बैठक में संगठनात्मक तैयारी की समीक्षा
नयी दिल्ली : हिंदी प्रदेश के तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में पराजय की पृष्ठभूमि में भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारों एवं प्रदेश प्रमुखों की यहां बैठक हो रही है जिसमें हार की समीक्षा के साथ 2019 के लोकसभा चुनाव के संदर्भ में संगठनात्मक तैयारियों एवं स्थानीय एवं राष्ट्रीय मुद्दों पर मंथन होना है. सूत्रों ने […]
नयी दिल्ली : हिंदी प्रदेश के तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में पराजय की पृष्ठभूमि में भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारों एवं प्रदेश प्रमुखों की यहां बैठक हो रही है जिसमें हार की समीक्षा के साथ 2019 के लोकसभा चुनाव के संदर्भ में संगठनात्मक तैयारियों एवं स्थानीय एवं राष्ट्रीय मुद्दों पर मंथन होना है.
सूत्रों ने बताया कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक बुलायी है जिसमें सभी राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों और संगठन महासचिवों को बुलाया गया है. समझा जाता है कि इस बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन के एजेंडे को लेकर चर्चा होगी जो जनवरी के दूसरे हफ़्ते में होनेवाली है. उन्होंने बताया कि इस बैठक में तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव में मिली हार और 2019 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए संगठन की तैयारियों, स्थानीय मुद्दों पर पार्टी की रणनीति आदि विषयों पर चर्चा हो रही है. पार्टी नेतृत्व इस बात पर जोर दे रहा है कि केंद्र सरकार की गरीब कल्याण योजनाओं को जल्द से जल्द जमीन पर पहुंचाया जाये. समझा जाता है कि बैठक में इस विषय पर भी चर्चा हुई है.
भाजपा शासित राज्यों में सरकार और पार्टी के बीच बेहतर समन्वय बनाने पर भी जोर दिया जा रहा है. समझा जाता है कि पार्टी नेतृत्व ने सभी प्रदेश अध्यक्षों से जमीनी स्तर पर पार्टी के प्रदर्शन की रिपोर्ट मांगी है. इसमें राजनीतिक चुनाौतियों पर जानकारी जुटाने के साथ-साथ संगठन से जुड़ी चीजें और भविष्य के लिए रोड मैप तैयार करने पर भी जोर दिया गया है. इस बैठक में राष्ट्रव्यापी बूथ योजना की समीक्षा भी होनी है. आगामी लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा तमाम मुद्दों पर रणनीति तैयार करने में जुट गयी है ताकि सत्ता में वापसी कर सके. उल्लेखनीय है कि यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब भाजपा को मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा है. तेलंगाना में मजबूत ताकत के रूप में उभरने के भाजपा के प्रयासों को भी झटका लगा है. वहां उसे एक सीट से ही संतोष करना पड़ा, जबकि पहले वहां पार्टी की पांच सीटें थीं. मिजोरम में भाजपा को एक सीट पर जीत मिली है.